दिल्ली का जहर मेरठ शिफ्ट

kabir Sharma
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दिल्ली से खदेड़ी गई ओवरऐज डीजल गाड़ियां, मेरठ बना है ओवरऐज गाड़ियों का ठिकना, शहर की सड़कों पर पांच सौ से ज्यादा गाड़ियां

नई दिल्ली/मेरठ। पंद्रह साल की मियाद पूरी कर चुकी दिल्ली से निकाली गई गाड़ियां एनसीआर में बैन कर दिए जाने के बावजूद मेरठी अफसरों की कृपा से शहर की सड़कों में बेरोकटोक दौड़ रही हैं और प्रदूषण का जहर परोस रही हैं। इन गाड़ियों में ज्यादातर छोटी बसें हैं जो मेरठ में अवैध रूप से तमाम रूटों पर दौड़ रही हैं। इसके बाद भी पुलिस और आरटीओ के अफसर या तो बे-खबर हैं या फिर खबर होते हुए भी खास वजहों से इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। ओवरऐज होने के चलते दिल्ली से निकाले गए ऐसी तमाम गाड़ियां मेरठ में मोदीपुरम से सरधना व परतापुर रूट पर दौड़ रही हैं। केवल इन दो रूटों पर ही नहीं बल्कि उन तमाम रूटों पर दौड़ रही हैं जहां परमिट होना ना होना इतना जरूरी नहीं है जितना जरूरी आरटीओ और पुलिस के अफसरों से सेटिंग का होना जरूरी है। उसी के बूते दिल्ली की ओवरऐज ये ओवरऐज गाड़ियां मेरठ में आकर संजीवनी पा रही हैं। एक अनुमान के तहत दिल्ली से बाहर कर दिए गए ऐसे करीब पांच सौ डिजल वाहन मेरठ की आबाहवा को जहरीली बना रहे हैं।

शहर की सड़कों पर पांच सौ ओवरऐज गाड़ियां

दरअसल GRAP-III के सख्त नियमों के तहत पुरानी डीजल गाड़ियों पर बैन लगने से हजारों वाहन राजधानी से बाहर कर दिया गया है। ऐसी गाड़ियों को लेकर नोएडा व गाजियाबाद के अफसर पूरी सख्ती बरत रहे हैं, लेकिन जिसके बाद ऐसे आउट डेटेड डीजल वाहनों ने मेरठ को अपना ठिकाना बना लिया है। यहां ऐसे वाहनों का काला धुआं हवा को और जहरीला बना रहा है। जानकारों का कहना है कि दिल्ली से आ रही BS-III और BS-IV डीजल गाड़ियां यहां के प्रदूषण को 20-25% तक बढ़ा रही हैं। दिल्ली में 12 नवंबर से लागू GRAP-III के तहत BS-IV डीजल लाइट मोटर वाहनों (जैसे कारें और छोटी पैसेंजर गाड़ियां) और BS-III पेट्रोल वाहनों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है। इन गाड़ियों को दिल्ली-NCR में घुसने या चलने की इजाजत नहीं। नतीजा हजारों पुरानी डीजल गाड़ियां दिल्ली के बॉर्डर क्रॉस कर मेरठ की सड़कों पर उतर आई हैं। मेरठ के ट्रैफिक पुलिस के अनुसार, पिछले तीन दिनों में दिल्ली नंबर वाली 500 से ज्यादा डीजल वाहन शहर में स्पॉट किए गए, जिनमें से ज्यादातर 10-15 साल पुरानी SUV और कमर्शियल वाहन हैं।

मेरठ के पर्यावरण कार्यकर्ता रवि शर्मा ने कहा, “दिल्ली प्रदूषण कम करने के नाम पर अपनी समस्या दूसरे शहरों पर थोप रही है। ये डीजल गाड़ियां BS-VI मानकों पर खरी नहीं उतरतीं, इसलिए उनका धुआं PM2.5 और NO2 को आसमान छूने पर मजबूर कर रहा है। सरकार को तुरंत बॉर्डर पर चेकपॉइंट सख्त करने चाहिए।”

क्या कहते हैं अधिकारी?

उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) के एक अधिकारी ने बताया, “हम दिल्ली से आने वाले वाहनों पर नजर रख रहे हैं। सोमवार से स्पेशल ड्राइव शुरू होगी, जिसमें पुरानी डीजल गाड़ियों को चेक किया जाएगा। लेकिन स्थायी समाधान के लिए केंद्र सरकार को इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना होगा।” दिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने भी कहा कि पुराने वाहनों को स्क्रैप करने की प्रक्रिया तेज की जा रही है, लेकिन फिलहाल ‘ट्रांसबाउंड्री’ प्रदूषण एक बड़ी चुनौती है।

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दिल्ली से पलायन मेरठ में ठिकाना

ये ‘प्रदूषण का पलायन’ न केवल मेरठ, बल्कि पूरे यूपी को प्रभावित कर सकता है। क्या राज्य सरकार दिल्ली मॉडल को कॉपी करेगी, या कोई नया रास्ता निकालेगी? आने वाले दिनों में इसका असर साफ दिखेगा। फिलहाल, मेरठवासी जहरीली हवा से जूझ रहे हैं—क्या ये सिलसिला रुकेगा?

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