वृंदावन में क्या जरूरत है इसकी

kabir Sharma
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श्रीराधा कृष्ण की नगरी में यह सब क्यों, क्या संत ऐसे होते हैं, दावन कहने पर बागेश्वन धाम से नाराज

नई दिल्ली/वृंदावन। श्रीधाम वृंदावन की पवित्र नगरी जो तीनों लोक से न्यारी है.. श्रीराधा और कृष्ण की इस प्रिय नगरी को शायद नरज लग गयी है जो संतों का व्यवहार व्यापकुल करने वाला है। सबसे ज्यादा नाराजगी बागेश्वर धाम धीरेन्द्र शास्त्री से है जिसने दावन कहकर संबोधित किया। हालांकि फजीहत के बाद उसने यूटर्न ले लिया और सॉरी बोला.. लेकिन सॉरी से क्या वृजवासियों को दावन वाले वक्तव्य की भरपाई हो पाएगी और केवल बागेश्वर वाला ही नहीं कई अन्य भी हैं जो संत प्रेमानंद को लेकर परेशन हैं। लेकिन संत प्रेमानंद का निश्चल स्वभाव सभी को शीतलता प्रदान करता है। संत होते ही प्रेमानंद सरीखे हैं।

संतों के संग्राम का मैदान बनी वृंदावन नगरी

ब्रजभूमि की पावन धरती, जहां राधा-कृष्ण की लीला गूंजती है, आज ‘संतों के संग्राम’ का मैदान बन गई है! कल्पना कीजिए: रात के सन्नाटे में भजन-कीर्तन की धुनें गूंज रही हैं, लेकिन पड़ोसी सोसायटी वाले ‘शोर’ का शिकार होकर शिकायत कर देते हैं। नतीजा? प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज की रात्रिकालीन पदयात्रा रुक जाती है। लेकिन असली ट्विस्ट? बागेश्वर धाम के ‘बाबा बागेश्वर’ (पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री) फट पड़ते हैं – “विरोध करने वाले इंसान नहीं, दानव हैं!” ये बयान सुनकर प्रेमानंद महाराज के समर्थक तो खुश, लेकिन ब्रजवासी ब्राह्मण समाज में ‘आग’ लग जाती है। क्या ये ‘भजन vs शांति’ का विवाद सनातन की एकता को चीर देगा, या बागेश्वर बाबा का ‘सपोर्ट’ प्रेमानंद को ‘सुपरहीरो’ बना देगा? चलिए, इस ‘स्पिरिचुअल सस्पेंस’ को डिकोड करते हैं – बयानों, बैकफुट और ब्रजवासियों के बैर के साथ!

ब्रजवासियों को कहा दावन धीरेन्द्र ने

फरवरी 2025 में वृंदावन के केली कुंज आश्रम से शुरू हुई प्रेमानंद महाराज की रात्रिकालीन पदयात्रा – भक्तों की भारी भीड़ के साथ ‘राधे-राधे’ की धुनें। लेकिन स्थानीय सोसायटी वालों ने शिकायत की: “रात के 10 बजे तक शोर, नींद हराम!” प्रेमानंद महाराज ने विवाद से बचने के लिए यात्रा रोक दी, लेकिन उनके समर्थक ‘फायर’ हो गए। धीरेंद्र शास्त्री ने गरजकर कहा, “भजन में रोक लगाने वाली ‘देवियां’ (महिलाओं) इंसान नहीं, राक्षस हैं! पुराने समय में हवनकुंड से राक्षसों को दिक्कत होती थी, मनुष्यों को भजन से कभी नहीं। विरोध करने वालों के पेट में दर्द है – वृंदावन छोड़कर दिल्ली चले जाएं!” उन्होंने प्रेमानंद को मनाने वृंदावन जाने का ऐलान भी किया। सोर्स बताते हैं: ये विवाद ‘संत vs सोसायटी’ से ‘सनातन vs सेल्फी’ बन गया। AI फोटो विवाद (प्रेमानंद-राधा की) ने भी आग में घी डाला – संत समाज ने ‘मुकदमा’ की धमकी दी!

क्या दावन है बृजवासी क्यों बोले अनिरूद्धाचार्य

कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने भी ब्रजवासियों को लताड़ा – “विरोधी दानव हैं!” लेकिन ये बयान ‘बूमरैंग’ बन गया! प्रेमानंद महाराज ने चुप्पी साधी, लेकिन उनके भक्तों ने पदयात्रा फिर शुरू की – थोड़े बदलाव के साथ। बागेश्वर बाबा बाद में बैकफुट पर आए: “नाराजगी के बाद माफी मांगी।” अक्टूबर में वृंदावन विजिट पर प्रेमानंद के सामने दंडवत हुए और गले लगे – “मायाजाल से बाहर आया!” प्रेमानंद महाराज ‘नाराज’ तो नहीं लगे (उनकी चुप्पी ‘मास्टरस्ट्रोक’?), लेकिन उनका समाज बागेश्वर के ‘दानव’ वाले शब्दों से ‘फ्यूरियस’! यहां ब्रेकडाउन – फैक्ट्स और फायरब्रैंड्स:

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नाराज पक्षक्यों नाराज?‘हॉट टेक’ ट्विस्टकनेक्शन?
ब्राह्मण समाज (मथुरा)‘दानव’ बयान से अपमान – “अनर्गल बकवास!”नोटिस चिपकाए: “विरोधी ब्राह्मण समाज का हिस्सा!”सोसायटी vs दुकानदार: ब्रजवासी ‘शांति’ चाहते, प्रेमानंद समर्थक ‘भजन फ्रीडम’!
जगद्गुरु रामभद्राचार्यप्रेमानंद पर ‘पाखंडी’ टिप्पणी (चमत्कार पर)बागेश्वर ने मध्यस्थता: “दोनों महान संत!”विवाद में बागेश्वर की ‘एंट्री’ – गुरु का बचाव या प्रेमानंद का सपोर्ट?
फलाहारी बाबा (दिनेश महाराज)प्रेमानंद की ‘दिखावटी’ शैली पर हमला“संत भजन करें, दिखावा न!”लेकिन बागेश्वर ने प्रेमानंद का बचाव किया – ‘पेट की बीमारी’ बोलकर!
अनिरुद्धाचार्यप्रेमानंद पर ‘चरित्र सर्टिफिकेट’ वाले बयानलड़कियां बोलीं: “ढोंगी बाबा, सम्मान लायक नहीं!”बागेश्वर ने ‘एकता’ की अपील की, लेकिन विवाद बढ़ा।

‘माफी मार्च’ या ‘महासंग्राम’?

  1. प्रेमानंद का ‘साइलेंट स्ट्राइक’: कोई डायरेक्ट नाराजगी नहीं, लेकिन समर्थक ‘रिवेंज मोड’ में – पदयात्रा फिर शुरू!
  2. बागेश्वर का ‘पीस प्लान’: संतों को सलाह – “रार छोड़ो, सनातन बढ़ाओ!” लेकिन रामभद्राचार्य विवाद में उनकी ‘मिडिल ग्राउंड’ ने सवाल खड़े किए।
  3. ब्रज का ‘बिगर पिक्चर’: क्या ये ‘शोर’ से ‘साइलेंस’ बनेगा? या फेसबुक पर ‘गर्दन उतारने’ वाली धमकियां (जैसा एक युवक ने दी) बढ़ेंगी?

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