
बैकफुट पर पावर कारपोरेशन, हाईकोर्ट में आदेश के खिलाफ वाद, वेतन रोकने से इंकार, अफसरों को अवमानना के केस की चेतावनी
मेरठ/लखनऊ/प्रयागराज।, उत्तर प्रदेश पावर कॉपोर्रेशन लिमिटेड एवं उसके अंतर्गत सभी वितरण निगमों में कार्यरत फील्ड कर्मचारियों पर निजी मोबाइल फोन से फेशियल अटेंडेंस लागू करने के विरुद्ध दायर वाद पर उच्च न्यायालय, इलाहाबाद की द्वि-सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष महत्वपूर्ण सुनवाई हुई। न्यायालय मे सुनवाई के दौरान राविप प्राविधिक कर्मचारी संघ, उत्तर प्रदेश की ओर से प्रस्तुत किया कि ऊर्जा प्रबंधन द्वारा कर्मचारियों पर निजी मोबाइल फोन से फेशियल अटेंडेंस लागू करने का अनावश्यक दबाव डाला जा रहा है। फेशियल अटेंडेंस न लगाने वाले कर्मचारियों का वेतन रोकना, निलंबन का भय दिखाना, दूरस्थ स्थानांतरण, विभागीय जांच तथा अन्य अनुशासनात्मक कार्रवाइयाँ श्रमिक अधिकारों एवं मानवीय गरिमा का उल्लंघन हैं। वाद में राज्य सरकार की ओर से उपस्थित अपर महाधिवक्ता कार्तिकेय शरण ने न्यायालय को बताया कि फेशियल अटेंडेंस के आधार पर रोका गया सभी कर्मचारियों का वेतन जारी किया जा चुका है।
कार्रवाई से किया इंकार
साथ ही जिनका वेतन शेष है, उसे भी त्वरित रूप से जारी किया जा रहा है। यह भी अश्वस्त किया गया कि फेशियल अटेंडेंस न लगाने के कारण किसी भी कर्मचारी के विरुद्ध वेतन रोकना, निलंबन, स्थानांतरण, विभागीय जांच आदि अन्य किसी भी प्रकार की अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की जा रही है तथा पूर्व में की गई सभी कार्रवाइयां समाप्त कर दी गई हैं।
अवमानना के वाद की चेतावनी
वादी सत्यनारायण उपाध्याय ने बताया कि भविष्य में यदि केवल फेशियल अटेंडेंस न लगाने के कारण किसी भी कर्मचारी पर प्रतिकूल कार्रवाई की गई, तो न्यायालय मे ऐसे मामलों कों उपस्थित कर न्याय की गुहार लगाई जायगी और न्यायालय के आदेशों की अनदेखी के विरुद्ध अवमानना वाद के लिए भी विचार किया जायगा।
वाद मे पैरवी कर रहे चन्द्रभूषण उपाध्याय ने बताता कि यह निर्णय श्रमिक अधिकारों, सम्मानजनक कार्य-परिस्थिति और मानवीय गरिमा की रक्षा के प्रति न्यायपालिका की दृढ़ प्रतिबद्धता को दशार्ता है। वादी सुनील सोनी ने बताया कि न्यायालय ने राज्य सरकार एवं प्रबंधन को निर्देशित किया है कि— फेशियल अटेंडेंस प्रणाली की तकनीकी व्यवहार्यता, कानूनी औचित्य तथा व्यावहारिक प्रभावों पर विस्तृत काउंटर-अफिडेविट चार सप्ताह में प्रस्तुत करें। अगली सुनवाई 15 जनवरी 2026 कों निर्धारित की गई है। वादी मो. वसीम ने कहा कि कर्मचारियों की निजता का उल्लंघन करने वाली किसी भी तकनीक को बाध्यकारी रूप में लागू करना अस्वीकार्य है।