गलत नीतियों से आने वाला वक्त डरावना, मशहूर अर्थशास्त्री और सामाजिक कार्यकर्ता ज्यां द्रेज़ का मानना है कि भारत की अर्थव्यवस्था का वर्तमान स्वरूप आने वाले पांच साल में देश को अधिक बुरी हालत में डालने वाला है. भारत में मोदी सरकार की गलत आर्थिक नीतियों की वजह से आने वाले पांच सालों के बाद देश की स्थित ज्यादा या कहें बहुत ज्यादा खराब होने वाली हैं. ज्यां द्रेज का यह भी मानना है कि मोदी सरकार खासतौर से वित्त मंत्री के पास आर्थिक नीतियों को लेकर कोई विजन नहीं है. अज्ञानता की पराकाष्ठा नजर आती है.
मोदी सरकार में इकोनॉमी नीचे गई उन्होंने की बड़े मीडिया ग्रुप के साथ बातचीत में कहा कि “यूपीए सरकार में ग्रॉस नेशनल इनकम (कांस्टेंट प्राइस) 6.8 फ़ीसदी था, जो बीजेपी की मौजूदा सरकार में घटकर 5.5 पर आ गया. रियल कंजप्शन 5 से घटकर 3 पर आया. कृषि मज़दूरों की वार्षिक वृद्धि दर साल 2004-05 और 2014-15 के बीच 6.8 प्रतिशत थी. वह साल 2014-15 से 2021-22 के दौरान घटकर माइनस 1.3 प्रतिशत हो गई.” भारत सरकार ने साल 2021 में जनगणना ही नहीं कराई. आज़ादी के बाद ऐसा पहली दफ़ा हुआ, जब जनगणना ही नहीं हुई. इस कारण अकेले झारखंड में 44 लाख योग्य लोग जन वितरण प्रणाली की सुविधाओं से वंचित हैं. पूरे देश में ऐसे वंचित लोगों की संख्या 100 मिलियन से भी अधिक है. मोदी सरकार में कई पुरानी योजनाओं के नाम बदल दिए गए. इन्होंने न केवल यूपीए सरकार के समय से चल रही योजनाओं के नाम बदले, बल्कि अपनी सरकार की योजनाओं की भी री-ब्रैंडिंग की. मसलन, आयुष्मान योजना के तहत चलने वाले वेलनेस सेंटर का नाम अब आयुष्मान आरोग्य मंदिर कर दिया गया. केरल सरकार ने मलयाली भाषा भाषियों के लिए इसका पुराना नाम ही रखने की अपील की, तो सरकार इसपर सहमत नहीं हुई. इससे केरल के लोगों को इसका लाभ ही नहीं मिल पा रहा है.” “भारत सरकार में शामिल नेता गर्व से कहते हैं कि जीडीपी के मामले में भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर आ गया है. लेकिन, प्रति व्यक्ति आय के नज़रिये से भारत का रैंक दुनिया के 170 देशों में 120 वें नंबर पर है. यह कैसी ग्रोथ है. इसपर सवाल तो उठने ही चाहिए.”