SSP व SP CBCID को अवमानना के नोटिस

kabir Sharma
7 Min Read
WhatsApp Channel Join Now

तेइस कर्मचारियों की फर्जी नियुक्ति का मामला, पूर्व नगर स्वास्थ्य अधिकारी गए हैं हाईकोर्ट, निगम अफसरों के गले की फांस बना है प्रकरण

मेरठ/इलाहाबाद। नगर निगम में पेराशूट के जरिये तेइस कर्मचारियों को स्थायी करने वाले अफसरों की कारगुजारी की कीमत वर्तमान अफसरो को चुकानी पड़ रही है। इस मामले में कार्रवाई ना किए जाने को लेकर एसएसपी मेरठ और एसपी सीबीसीआईडी आगरा की एसप के खिलाफ हाईकोर्ट की अवमानना का केस दायर किया गया है। निगम के पूर्व नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. प्रेम सिंह ने ही निगम के फर्जी नियुक्ति घोटाले का पर्दाफाश किया था। मामला हाईकोर्ट में गया। हाईकोर्ट ने तय मियाद में कार्रवाई के आदेश किए, लेकिन मियाद बीत जाने के बाद भी जब कार्रवाई नहीं की गयी तो डा. प्रेम सिंह ने अवमानना का वाद दायर किया जिस पर हाईकोर्ट ने एसएएसी मेरठ और सीबीसीआईडी एसपी आगरा को नोटिस जारी कर दिए। हाईकोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 22 जनवरी 2026 को होनी है।

कार्रवाई के इंतजार में दो सिधार गए परलोक

तेइस कर्मचारियों की फर्जी नियुक्ति का यह मामला दो दशक से ज्यादा का पुराना है। इस मामले की शिकायत भी पूर्व में तत्कालीन नगरायुक्त ने की थी। शासन ने मंड़लायुक्त व जिलाधिकारी को जांच के आदेश दिए थे। शासन के आदेश में कहा गया है कि सभी तेइस कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर उनसे वेतन की रिकबरी की जाए, लेकिन वेतन की रिकबरी तो दूर की बात रही कार्रवाई के इंतजार में दो कर्मचारी परलोक भी सिधार गए। हैरानी तो इस बात की है कि शासन और मंडलायुक्त के स्तर से लगातार रिमांडरो के बाद भी निगम के कोई भी नगरायुक्त इस मामले मे हाथ डालने की हिम्मत नहीं जुटा सके। इतना ही नहीं शासन की रोक के बाद भी तमाम कर्मचारियों को लगातार सेलरी दी जा रही है।

एफआईआर के बाद पैरवी नहीं

मई 2024 को सीबीसीआईडी के इंस्पेक्टर नागेन्द्र प्रताप ने इस मामले में थाना देहलीगेट में एफआईआर तो दर्ज कराई लेकिन पैरवी कर आगे की कार्रवाई कराना शायद वह भूल गए। एफआईआर में होटल अल करीम और तेइस कर्मचारियों की अवैध तरीके से नियुक्ति किए जाने का जिक्र है। दरअसल में शासन के आदेश पर सीबीसीआईडी होटल अलकरीम के अवैध निर्माण और नगर निगम में 23 कर्मचारियों की फर्जी नियुक्ति की जांच कर रही थी। यह जांच सीबीसीआईडी आगरा के अधीन थी। कुल चार मुकदमे थाना देहलीगेट पुलिस ने दर्ज किए हैं। नगर निगम के जिन 23 अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी किया गया, उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ है नियुक्ति करने वाले अधिकारी पर भी शिकंजा कसा गया है। हालांकि अभी उसका नाम बताया गया। इसकी जांच भी जारी है। फर्जी नियुक्ति मामले की जांच पूर्व में शासन के आदेश पर तत्कालीन मंडलायुक्त से लेकर जिलाधिकारी तक करवा चुके हैं। जिन कर्मचारियों की नियुक्ति हुई है, उनमें से दो का निधन हो चुका है। पूर्व की जांचों में 23 कर्मचारियों की नियुक्ति को अवैध ही नहीं माना बल्कि उनसे सैलेरी की रिकवरी के भी आदेश दिए जा चुके हैं।

इसलिए जारी किया गया है नोटिस

एसएसपी मेरठ और सीबीसीआईडी एसपी को नोटिस जारी किए जाने को लेकर डा. प्रेम सिंह ने बताया कि दोनों ही अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की। जबकि हाईकोर्ट ने कार्रवाई के आदेश दिए थे, जिसके बाद गिरफ्तारी व अन्य कार्रवाई की जानी अनिवार्य थीं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर किया कुछ भी नहीं गया।

- Advertisement -

अवैध निर्माण का स्वरूप ही बदल दिया

इनमें एक मुकदमा नगर निगम की दुकानों को तोड़कर अवैध निर्माण कर उनका स्वरूप बदलने का भी है, लेकिन इस मुकदमों में सबसे बड़ा मुकदमा नगर निगम के 23 कर्मचरियों की फर्जी नियुक्ति का है। ये फर्जी नियुक्ति अलग-अलग सालों में तत्कालीन अलग-अलग अफसरों की कलम से की गई। दरअसल, यह पूरा मामला अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी करने से जुड़ा है। नगर निगम के जिन अस्थायी जिन 23 कर्मचारियों स्थायी किया गया, उनके खिलाफ भी मामला दर्ज हुआ है साथ ही सक्षम अधिकारी के खिलाफ भी लिखा पढ़ी की गयी है। इसके अलावा नगर निगम के जिन 23 अस्थायी कर्मचारियों  की फर्जी नियुक्ति के मामलों को लेकर पूर्व में शासन के आदेश पर तत्कालीन मंडलायुक्त से लेकर डीएम स्तर के अधिकारी तक जांच कर चुके हैं। जिनकी नियुक्ति की गयी उनमें एक दो का निधन हो चुका है। ज्यादातर सेवानिवृत्त हो चुके हैं। पूर्व की जांचों में 23 कर्मचारियों की नियुक्ति को अवैध ही नहीं माना बल्कि उनसे सेलरी की रिकवरी के भी आदेश दिए जा चुके हैं। यह बात अलग है कि इस आश्य के जितने भी आदेश शासन से नगर निगम आते थे, वो सक्षम अधिकारी तक पहुंंचने से पहले ही गायब कर दिए जाते थे।

इनके खिलाफ हुआ केस
नगर निगम का नियुक्ति अधिकारी, जावेद, अमरदेव, महमूद अली, मनोज कुमार गौड़, सुनील कुमार, दिनेश कुमार, मोहम्मद परवेज, धर्मेंद्र, आलोक शर्मा, सुनील शर्मा, सुनील दत्त शर्मा, राजकुमार, मनोज कुमार, संजय शर्मा, आरिफ, सतीश कुमार, राजेश कुमार, नौशाद, नुकुल वत्स, हरवीर सिंह, साकिब खांन, राजेन्द्र कुमार ।

महापौर-एसएसपी-पूर्व नगर स्वा. अधिकारी कहिन..

महापौर हरिकांत अहलूवालिया से जब सवाल किया गया तो उन्होंने बताया कि मुझे इस बारे में कुछ जानकारी नहीं है। नगरायुक्त सौरभ गंगवार ही इस संबंध मे बेहतर व विस्तार से जानकारी दी सकते हैं।

नगर निगम के तेइस कर्मचारियों की फर्जी नियुक्ति मामले में कार्रवाई पर एसएसपी मेरठ डा. विपिन ताडा ने बताया कि उन्हें नोटिस की अभी जानकारी नहीं मिली है। इस संबंध में वह मालूमात करेंगे।

नगर निगम के पूर्व नगर स्वास्थ्य अधिकारी डा. प्रेम सिंह ने बताया कि इस ामले में शासन व मंडलायुक्त के स्तर से जांच की जा चुकी है। नगरायुक्त को कार्रवाई व सेलरी की रिकबरी करनी है जो नहीं की गयी। हाईकोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया। इसके बाद एसएसपी मेरठ व सीबीसीआईडी एसपी आगरा को हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया है।

- Advertisement -

WhatsApp Channel Join Now
Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *