रुपया गिर रहा इज्जत नहीं!

kabir Sharma
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एक डालर करीब 90 रुपए पर पहुँच गया है, लेकिन देखो पड़ोसियों की हालत बांग्लादेशी टका = 1 रुपया से महंगा 1 रुपया = 0.97 टका (यानी हमारा रुपया हार गया) श्रीलंकाई रुपया = 1 भारतीय रुपया से 3.5 गुना मजबूत अफगानिस्तान का अफगानी = 1 रुपया से 35% ज्यादा कीमत पाकिस्तानी रुपया भी अब 83.50 से बेहतर ट्रेड कर रहा है। हैरान करने वाली सच्चाई 2024 में 1 भारतीय रुपया = 83.50 पाकिस्तानी रुपये 84 बांग्लादेशी टका 3.70 श्रीलंकाई रुपये 1.20 अफगानी यानी मोदी सरकार के 11 साल में हमारा रुपया इन 4 देशों से हार गया जिनके पास न तेल है, न आईटी है, न बड़ा एक्सपोर्ट है फिर भी उनकी मुद्रा हमसे मजबूत हो गई। अब बताओ “रुपया मजबूत हुआ” ये झूठ कितने दिन चलेगा? पेट्रोल 100, सब्जी 200, बिजली बिल दोगुना और पड़ोसी देश हँस रहे हैं कि “भाई तुम्हारा रुपया तो हमसे भी कमजोर हो गया” अगर तुम भी गुस्से में हो क्योंकि ये सिर्फ आंकड़े नहीं, हमारी जेब की इज्जत का सवाल है

पाकिस्तानी, अफगानी, श्रीलंकाई और बंगलादेशी करेंसी की बेहतर परफारमेंस, रुपए अपने निचले स्तर पर, नो टेंशन पीएम की साख को कोई खतरा नहीं

नई दिल्ली। भारतीय रुपया रसातल की ओर बढ़ रहा और सरकार नो टेंशन के मोड में है। सबसे ज्यादा तो निर्लजता नेशनल टीवी की एंकर एंकराएं देखा रहे हैं। वो अब डालर के मुकाबले रुपए के कमजोर होने के फायदे गिनाने पर तुले हुए हैं। वित्त मंत्री की बात करें तो ऐसा लगता है कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं है। साल 2014 से पहले ये सभी रुपए के गिरने को पीएम मनमोहन सिंह और देश की प्रतिष्ठा से जोड़ देते थे, लेकिन अब इन्हें ऐसा नहीं लगता।

कराह रही है अर्थ व्यवस्था

भारत की अर्थव्यवस्था पर एक और करारा प्रहार! मोदी सरकार के दस साल के शासन में भारतीय रुपया ऐसी दुर्गति पर पहुंच गया है कि पड़ोसी देशों – बांग्लादेश, अफगानिस्तान, श्रीलंका और यहां तक कि पाकिस्तान – की मुद्राएं भी अब इससे मजबूत साबित हो रही हैं। वैश्विक बाजारों में डॉलर के मुकाबले रुपया 90 के पार लुढ़क चुका है, लेकिन पड़ोसी मुद्राओं के सामने यह हार मान चुका है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि यह सरकार की गलत नीतियों, बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी और विदेशी निवेश में कमी का सीधा नतीजा है।

आंकड़ों की मार्मिक तस्वीर

हाल के एक्सचेंज रेट्स के मुताबिक, भारतीय रुपया (INR) अब इन पड़ोसी मुद्राओं के मुकाबले कमजोर हो चुका है। यहां एक सरल तुलना:

मुद्रा1 यूनिट की वैल्यू INR में (दिसंबर 2025)INR की स्थिति
अफगान अफगानी (AFN)1 AFN ≈ 1.37 INRAFN मजबूत (INR 5.58% कमजोर पिछले 90 दिनों में)
बांग्लादेशी टका (BDT)1 BDT ≈ 0.74 INRBDT मजबूत (INR 2.09% कमजोर पिछले 90 दिनों में)
श्रीलंकाई रुपया (LKR)1 LKR ≈ 0.28 INRLKR मजबूत (हालिया सुधार के बाद)
पाकिस्तानी रुपया (PKR)1 PKR ≈ 0.36 INRPKR मजबूत (क्षेत्रीय तुलना में)
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(स्रोत: Currency.Wiki, Exchange-Rates.org, दिसंबर 2025 डेटा)currency.wiki

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आंकड़े ताकि सनद रहे

ये आंकड़े झूठ नहीं बोलते। अफगानिस्तान की तालिबान सरकार द्वारा सख्त करेंसी कंट्रोल ने अफगानी को मजबूत बनाया है, जबकि बांग्लादेश की निर्यात-आधारित अर्थव्यवस्था ने टका को चमकाया। श्रीलंका ने IMF की मदद से अपनी मुद्रा को संभाला, और पाकिस्तान भी अब भारत से बेहतर स्थिति में खड़ा है। लेकिन भारत? 2014 में डॉलर के मुकाबले 58.86 पर शुरू हुआ सफर अब 90.30 तक पहुंच गया है – यानी 53% की भयानक गिरावट!opindia.com

क्यों हो रही है यह गिरावट?

  • महंगाई और बेरोजगारी का जाल: खुदरा महंगाई 7% के पार, युवाओं में बेरोजगारी 20% से ऊपर। निवेशक भाग रहे हैं।
  • विदेशी पूंजी का पलायन: FII (फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स) ने 2025 में 5 बिलियन डॉलर से ज्यादा निकाले।
  • नीतिगत नाकामी: GST से लेकर डिजिटल इंडिया तक – वादे हवा-हवाई, नतीजे शून्य। तालिबान शासन वाला अफगानिस्तान भी करेंसी कंट्रोल से बेहतर कर रहा!reddit.comopindia.com

विपक्षी नेता सुप्रिया श्रीनाते ने ट्वीट कर तंज कसा: “देश आपसे जवाब मांग रहा है, पीएम मोदी!” सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी हुई है – क्या यह ‘अच्छे दिन’ का अंत है?

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