अटल जी की जयंती पर काव्य संध्या

kabir Sharma
5 Min Read
WhatsApp Channel Join Now

तमाम भाजपा नेता रहे मौजूद, कवि मित्र परिवार का आयोजन, बड़ी संख्या में पहुंचे साहित्य प्रेमी

मेरठ। देश के पूर्व प्रधानमंत्री व भारत रत्न स्वगीय अटल बिहारी वाजपेयी जयंती की पूर्व संध्या पर कवि मित्र परिवार ने अखिल भारतीय कवि सम्मेलन ‘मैं अटल हूँÓ का आयोजन आईएमए हॉल में किया गया। इस मौके पर देश के कई बड़ी कवियों ने कविता पाठ किया। कार्यक्रम का शुभारंभ डा. राजकुमार सांगवान सांसद बागपत, मेयर हरिकांत अहलूवालिया, पूर्व सांसद राजेंद्र अग्रवाल, गौरव चौधरी अध्यक्ष जिला पंचायत, भाजपा जिलाध्यक्ष हरवीर पाल, विमल शर्मा अध्यक्ष जिला सहकारी बैंक, महानगर भाजपाध्यक्ष विवेक रस्तोगी, ककमल दत्त शर्मा आदि ने दीप प्रज्वलन कर किया। इस मौके पर समिति के मुख्य संरक्षक ज्ञानेंद्र अग्रवाल ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के साथ-साथ साहित्य के भी युगपुरुष थे, जिनके विचार आज भी राष्ट्र को दिशा देते हैं।
कवि सम्मेलन का संचालन डॉ. प्रतीक गुप्ता (हास्य एवं व्यंग्य कवि) ने किया। उन्होंने अपने काव्य पाठ में कहा.. सच का साथ निभाना आसान नहीं होता, आँधियो में दीप जलाना आसान नहीं होता, अटल बन जाऊं मैं भी कह देना हैं आसान मगर, अटल होकर अटल बन जाना आसान नहीं होता।

इन्होंने भी किए काव्य पाठ

जिन कवियों ने काव्या पाठ किए उनमें दिनेश रघुवंशी (फरीदाबाद) ने ओज और राष्ट्रभाव से भरपूर रचनाओं से श्रोताओं में जोश भर दिया।राजेश चेतन (भिवानी) ने अपनी विचारप्रधान और संवेदनशील कविताओं के माध्यम से समाज और समय की गूढ़ व्याख्या प्रस्तुत की। उन्होंने कहा हिंदुस्तान जोड़ने को सड़कें बनाईं ख़ूब, गाँव-गाँव गली-गली का सहारा हो गया जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान जोड़कर, पंडित अटल सबका दुलारा हो गया।
राज कौशिक (गाजियाबाद) ने वीर रस में कहा अगर नाचूँ नहीं तो पाँव मेरे रूठ जाते हैं, अगर नाचूँ ज़रा खुलकर तो घुंघरू टूट जाते हैं, ज़माने की अदाएं देख कर ये सोचता हूं मैं, वहां सच क्यों नहीं जाते जहां तक झूठ जाते हैं
धर्मेंद्र सोलंकी (भोपाल) ने उगो दिन से, नहीं ढलती हुई तुम शाम हो जाओ, नहीं मधुशाला वाला तुम बहकता जाम हो जाओ, अभी भगवान का अवतार तो मुमकिन नहीं लोगों, उठो! तुम ही किसी रावण की ख़ातिर राम हो जाओ, प्रस्तुत की।
हास्य कवि दीपक पारिक (भीलवाड़ा) न श्रोताओं को हँसाते-हँसाते गहन संदेश दिया। शिखा श्रीवास्तव (लखनऊ) ने मैं नारी हूँ नारी का सम्मान समेटे हूँ, मातु शारदे ने जो दिया वरदान समेटे हूँ, मुझमें गीतों गज़लों का एक झरना बहता है, लेकिन दिल मे जन गण मन का गान समेटे हूं, प्रस्तुत की।
कवयित्री कोमल रस्तोगी (मेरठ) ने प्यार मुझ सा निभाना नहीं आएगा, रूठ कर फिर मनाना नहीं आएगा, जाने वाले तो एक दिन चले जायेंगे, कोई अच्छा बहाना नहीं आएगा प्रस्तुत कर मन को छू लिया।

ये रहे मौजूद

आयोजन में मीडिया का दायित्व संभाल रहे भाजपा के व्यापारी नेता विपुल सिंहल ने बताया कि कार्यक्रम में राज्यसभा सदस्य डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी, कैंट बोर्ड की पूर्व उपाध्यक्ष बीना वाधवा कवियत्री डा. अनामिका जैन अंबर एवं हिंदी साहित्य अकादमी के अध्यक्ष सौरभ जैन सुमन, समिति के सभी मुख्य सदस्य शान्ति स्वरूप गुप्त, डॉ. सुबोध गर्ग, नीरज गुप्ता, संजीव कुमार गुप्ता, अमित कुमार गुप्ता, डॉ. राजीव शेखर, विपुल सिंघल, राजकुमार, सुमित मिश्रा, अंकित अरोड़ा, संयम सिंघल, रोली गोयल, डॉ. शैली गुप्ता, अनुज पाठक, मयंक अग्रवाल, मोहित जैन, संजय सम्राट, योगेश अग्रवाल, अंकुर गोयल, मैचिंग कपल अनुराग गुप्ता- कीर्ति गुप्ता, नवीन अग्रवाल, सतीश चंद जैन सहित बड़ी संख्या में कविता प्रेमी उपस्थित रहें ७ हिंदी साहित्य अकादमी के पदाधिकारी उमंग गोयल, नितीश राजपूत, मनमोहन भल्ला, दिव्यांश टंडन, उदिता शर्मा, अमन जैन का विशेष सहयोग रहा ७ काइट काव्यांजलि के अध्यक्ष गुरमीत सिहं गुनी के साथ उनकी टीम के ७ विधार्थी भी मुख्य सहयोगियों में उपस्थित रहे।

WhatsApp Channel Join Now
Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *