जश्न मनाने वाले अब बहा रहे हैं कश्मीर पर आंसू,
चंड़ीगढ़/ नई दिल्ली। पांच अगस्त साल , 2019 को अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के नाम पर जश्न मनाने वाले घाटी के लोग आज उस घड़ी को कोस रहे हैं जब उन्होंने 370 हटाने का जश्न मनाया था। हालांकि इस जश्न से लेह-लद्दाख के मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में सन्नाटा पसरा रहा। उनके इलाके सुनसान रहे। लेकिन यह जश्न का सिलसिला ना तो ज्यादा देर तक टिक रहा और ना ही 370 खत्म करने के नाम पर जो खुशी की बात कही ज रही थी वो टिकी रह सकी। जो जश्न मना रहे थे वो अब केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ सड़कों पर हैं। पुलिस के लाठी डंडे खा रहे हैं। बाहरी लोगों से अपनी संस्कृति, पहचान, जमीन और नौकरियों को बचाने की मांग कर रहे हैं। लद्दाख के नायक के रूप में पूरी दुनिया में पहचान बना चुके सोनम वांगचुक ने 21 दिनों की भूख हड़ताल की। अब शायद भाजपाक को भी गलती का अहसास हो रहा है।
भाजपा को मिली करारी शिकस्त
लद्दाख को बिना विधानसभा के केंद्र शासित प्रदेश में बदलने वाली भाजपा को मुंह की खानी पड़ी और स्वतंत्र उम्मीदवार मोहम्मद हनीफ को 18वीं लोकसभा चुनाव में भारी जीत मिली। कश्मीरी मुस्लिम और गैर मुस्लिम का प्रोपेगेंडा धरा का धरा रहा गया। भाजपा के सारे दांव पेंच धरे के धरे रह गए। भाजपा को चुनाव में लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनने का कोई लाभ नहीं मिला। लोगों की शिकायत है कि ‘कुछ नहीं बदला है. लेह के लोगों को नौकरी भी नहीं मिल रही हैं। लद्दाख में भी कश्मीर वालों को ही नौकरी मिलती हैं। सभी सरकारी ऑफिस और बैंक में हर जगह कश्मीरी ही हैं। लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनने का कोई लाभ नहीं मिला है, ‘कुछ नहीं बदला है। हालांकि ऐसा नहीं कि कुछ हुआ नहीं है। हुआ भी है पहले एक ही कॉलेज था, अब तीन विश्वविद्यालय हैं- लेह, कारगिल और खलत्से में सरकारी स्कूलों की शिक्षा में सुधार हुआ है।