MES प्रॉपर्टी पर कैंट बोर्ड का खर्चा क्याें ?,
MES की प्रॉपर्टी DEO का ऑफिस और सरकारी आवास इनके रखरखाव पर कैंट बोर्ड पर भार क्यों डाला जा रह है। संभवत पहले तो ऐसा नहीं होता था कि DEO ऑफिस का रखरखाव कैंट बोर्ड करता हो, अब ऐसा क्यों हालांकि माना जा रहा है कि इसकी वजह तो बड़े साहब ही बेहतर बता सकते हैं। लेकिन इसको लेकर चर्चाएं आम हैं और सवाल गरम हैं। कि ऐसा क्या माजरा है जो माल रोड स्थित रक्षा संपदा कार्यालय व आवास के रेनोवेशन पर खर्चा कैंट बोर्ड कर रहा है। डीईओ आफिस में जो भी काम हो रहा है वह सारा काम कैंट बोर्ड के द्वारा भेजे गए दैनिक वेतन भोगियों द्वारा कराया जा रहा है। इन सभी की सेलरी तो कैंट बोर्ड के खजाने से दी जाएगी, लेकिन डयूटी के नाम पर इन्हें भेजा गया है डीईओ ऑफिस व आवास पर लगाई जा रही है।
एक बारंगी यदि यहां MES ऑफिस के अधिकारी रखरखाव पर खर्चा करते तो भी बात समझ मे आती, लेकिन DEO ऑफिस के रेनाेवेशन के काम में Cantt Board का स्टाफ का लगाया जाना वाकई सवाल खड़े कर रहा है। हालांकि नाम न छापे जाने की शर्त पर DEO ऑफिस के एक कर्मचारी ने बताया कि यह सरकारी धन के दुरूपयोग के अलावा कुछ नहीं है।
स्टाॅफ का हर शख्स परेशान सा क्यों है
DEO OFFFICE में जब से पुराने वाले बड़े साहब की विदाई हुई है जानकारों का कहना है तब से कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। इस सब के पीछे क्या कारण है और कौन है यह तो बड़े साहब ही बात सकते हैं लेकिन नए वाले बड़े साहब के आने के बाद रक्षा संपदा आफिस के स्टॉफ में बेचैनी खासतौर से देखी जा रही है। जानकारों की मानें तो यह भी संभव है कि रौब को इस तरह से गालिब करने के पीछे अपना सिक्का जमाना भर है इससे ज्यादा कुछ भी नहीं। वहीं दूसरी ओर स्टॉफ में इस बात को लेकर भी खासी सुगबुगाहट है कि साहब बहादुर के देर तक ऑफिस में बैठक की वजह क्या है। आमतौर पर ऑफिस का वक्त सुबह 9.30 से शाम छह बजे तक का है, लंच का वक्त दोपहर डेढ बजे से दो बजे तक का है, लेकिन बड़े साहब का तो रुतबा ही निराला है उनके तो ना आने का वक्त ना जाने का कोई समय लेकिन कई बार तो ऐसा भी हुआ है कि बड़े साहब लंच से ही दोपहर बाद अक्सर साढे़ पांच बजे तक ऑफिस पहुंचते हैं और फिर कई बार आठ बजे तक जमे रहते हैं। इतनी देर तक ऑफिस में बैठने की वजह क्या हो सकती है यह तो बड़े साहब या उनके करीबी ही बता सकते हैं।