विहिप ने करायी शस्त्र पूजा,
भारत वर्ष में प्राचीन काल से ही परम्परागत शस्त्र, शास्त्र और शक्ति पूजन किया जाता रहा है। मां भगवती की आराधना के नौ दिन में शास्त्रों का पठन, मां भगवती के पूजन के साथ ही उनके हाथों में विराजमान विविध शस्त्रों का पूजन हर सनातनी हिंदू विधि-विधान से करते हैं इसी विचार को आगे बढ़ाते हुए मां दुर्गा के नवरात्रि के उपलक्ष्य में मातृशक्ति विश्व हिंदू परिषद के बैनर तले मां वंदना यात्रा का आयोजन किया। प्रांत मंत्री राजकुमार डूंगर जी विभाग संयोजक रंजना वर्मा, प्रमुख अध्यक्षा ललिता रहीं।
मुख्य वक्ता राजकुमार डूंगर व नवीन परिस्थितियों में अहिल्याबाई ने हिंदू मंदिरों के लिए जो कुछ किया वह चिरस्मरणीय है, उनके इन्ही आदर्शो को समाज के समक्ष रखने हेतू यह वंदना यात्रा निकली जा रही है। रानी दुर्गावती ने अपने राज्य की स्वतंत्रता और अस्मिता के लिए जिस प्रकार युद्ध भूमि को चुना और अनेक बार शत्रुओं को पराजित करते हुए 1564 ई में बलिदान दे दिया उन्होंने बड़े साहस और कुशल नेतृत्व से मुगल साम्राज्य की ताकत का सामना किया। उन्होंने अपने समय की कई अन्य महिलाओं की तरह, दुश्मन के हाथों में पड़ने के बजाय मौत को गले लगाना स्वीकार किया। उनका नाम प्रचंड रूप वाली हिंदू देवी दुर्गा के नाम पर रखा गया गया था। दुर्गावती स्वयं दुर्गा का मानव अवतार साबित हुईं। आज उसी प्रकार विश्व हिंदू परिषद मातृशक्ति इस यात्रा में समस्त हिन्दू समाज की माताओं बहनों को साथ लेकर जातिवाद,भेदभाव एवं ऊँच-नीच जैसी राक्षसी विचारधारा का अंत करेगी। आत्म रक्षा के साथ-साथ सनातन धर्म व संस्कृति की रक्षा के लिए बेटियों को शास्त्रों का अध्ययन व शस्त्रों का प्रशिक्षण अवश्य लेना चाहिए। यह अवसर न केवल मातृशक्ति के सम्मान का है, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का भी एक माध्यम है,समाज में नारी शक्ति के प्रति जागरूकता फैलाने का भी एक प्रयास है। आज समस्त हिन्दू समाज एक नई चेतना को अपने भीतर समाहित कर रहा है पूरे विश्व का हिंदू समाज आज गौरवान्वित महसूस कर रहा है। जिस भूमि में हमने जन्म लिया है उसे माता मानकर उसकी रक्षा हेतू हमें वचनबद्ध होना पड़ेगा। सामाजिक समरसता के कार्य को अपने जीवन ध्येय मानकर हम सब को कार्य करना होगा। यह सब जानकारी संजीव जैन ने दी है।