सही कहा है! औरत जो करा दे थोड़ा

kabir Sharma
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मेरठ। कोतवाली के गुदड़ी बाजार के तिहरी हत्या कांड के आरोपी शम्मी को भी अदालत ने उम्र कैद की सजा सुनाई है। हत्या कांड के इजलाल समेत दस आरोपियों को अदालत पहले ही उम्र कैद की सजा सुना चुकी है। एक आरोपी को नाबालिग बताए जाने के चलते हाईकोर्ट में अपील विचाराधीन है। पहले से ही जेल में बंद शम्मी का ट्रायल चल रहा था, शनिवार को उसको भी उम्र कैद की सजा सुनाई दी गयी। शुक्रवार को अदालत ने शम्मी को गिल्टी होल्ड करार दिया था। 

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पुरानी कहावती है और बड़े बुर्जुगाें ने भी कहा है कि औरत जो करा दे थोड़ा है। एक ऐसा हत्या कांड़ जिसमें एक औरत की वजह से चौदह लोग जेल की सलाखों के पीछे सड़ रहे हैं और तीन को जिदंगी से हाथ धोना पड़ा। बात हो रही है इंडियन आर्मी के एक कैप्टन की तलाशुदा पत्नी सीबा सिराही जिसको यूपी के मेरठ के कोतवाली गुजरी बाजार इलाके में 22 मई 2008 को अंजाम दिए गए तिहरे हत्या कांड़ की जड़ माना जाता है। इस हत्या कांड में मेरठ निवासी 27 वर्षीय सुनील ढाका निवासी निवासी ढिकौली बागपत, 22 वर्षीय पुनीत गिरि निवासी खटकी परीक्षितगढ़ और 23 वर्षीय सुधीर उज्ज्वल निवासी सिरसलगढ़ बिनौली बागपत को निर्मम मौत दी गयी थीये हत्याकांडइसरार व माजिद की सजा से पहले मौतकैप्टन की तलाकशुदा पत्नी शीबा बनी थी हत्याकांड की वजह
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23 मई 2008 की दोपहर बागपत और मेरठ जिले की सीमा पर बालैनी नदी के किनारे तीन युवकों के शव पड़े मिले थे। इनकी पहचान मेरठ निवासी 27 वर्षीय सुनील ढाका निवासी निवासी ढिकौली बागपत, 22 वर्षीय पुनीत गिरि निवासी खटकी परीक्षितगढ़ और 23 वर्षीय सुधीर उज्ज्वल निवासी सिरसलगढ़ बिनौली बागपत के रूप में हुई थी। 22 मई की रात कोतवाली के गुदड़ी बाजार में हाजी इजलाल कुरैशी ने अपने भाइयों और साथियों के साथ मिलकर तीनों की हत्या की। 22 अगस्त 2008 को कोतवाली पुलिस ने तिहरे हत्याकांड में 14 आरोपियों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था। मुकदमे की सुनवाई के दौरान दो आरोपी इसरार और माजिद की मौत हो गई थी। अगस्त 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मुकदमे में रोजाना सुनवाई करने के आदेश दिए थे। दस जुलाई 2024 तक लगातार हर रोज सुनवाई हुई। 14 साल तक सभी को जेल में रहना पड़ा। 2023 में इजलाल पक्ष की तरफ से हाईकोर्ट में जमानत अर्जी लगाई, 14 साल जेल में रहने के चलते जमानत मिल गई थी। सभी नौ आरोपी तब से बाहर थे। एक अगस्त को कोर्ट ने इजलाल और उसके भाई अफजाल, महराज, कल्लू उर्फ कलुआ, इजहार, मुन्नू ड्राइवर उर्फ देवेंद्र आहूजा, वसीम, रिजवान, बदरुद्दीन पर हत्या समेत तमाम धाराओं और शीबा सिरोही पर हत्या के लिए उकसाने के आरोपों को सही मानते हुए दोषी करार दिया था।

हत्याकांड के दो आरोपी इसरार और माजिद की मौत हो चुकी है। । इजलाल के मुकदमे में 27 गवाह और शीबा के मुकदमे में 12 गवाह पेश किए गए थे।गुदड़ी बाजार के तिहरे हत्याकांड में न्यायालय ने अपने 173 पेजों के निर्णय में इस घटना को विरल से विरलतम श्रेणी का न मानते हुए इजलाल समेत दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी और जुर्माना लगाया। सभी दोषियों को पहले से कोई आपराधिक इतिहास नहीं रहा, इसलिए भी इस मामले में विरलतम श्रेणी का नहीं माना। शीबा के मामले में अदालत ने 58 पेज का निर्णय दिया था। जिसमें माना है कि हत्या करते वक्त इजलाल के दिमाग में शीबा के शब्द गूंज रहे थे कि तीनों को रास्ते से हटा दो।


इजलाल और सेना के कैप्टन की तलाकशुदा पत्नी शीबा सिरोही की दोस्ती थी। सुनील ढाका, सुधीर उज्ज्वल और पुनीत गिरि इसका विरोध करते थे। बाद में इजलाल ने तीनों युवकों से समझौता कर लिया था। शीबा को इजलाल का तीनों से मिलना पसंद नहीं था। उसने इजलाल को तीनों की हत्या के लिए उकसाया। 22 मई 2008 की रात इजलाल ने तीनों को बात करने के बहाने बुलाया और मार डाला।

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