अवैध निर्माण दहशत या सेटिंग, छावनी परिषद मेरठ क्षेत्र में अवैध निर्माणों की बाढ़ पर कैंट बोर्ड मेरठ के आला अधिकारियों खासतौर से इंजीनियरिंग व सेनिटेशन सेक्शन की चुप्पी पर बोर्ड के CEO पर सवाल उठ रहे हैं। अब तो खुद स्टाफ पूछ रहा है कि आला अफसर दहशत में हैं या फिर अवैध निर्माण करने वालों से सेटिंग गेटिंग है। एक टाॅयलेट व झुग्गी बनाने पर हथोड़ा बरसाने वाला गैंग गायब है। ऐसा क्या हो गया जो अवैध निर्माण प्रकरणों में कैंट बोर्ड मेरठ घुटनों पर है। अवैध निर्माणों की बात की जाए तो 340-रंगसाज मोहल्ला-Lives-शोरूम, वेस्ट एंड रोड दीवान स्कूल के भीतर अवैध निर्माण, 215-जैन विवाह मंडप, 213-होटल कोनार्क के सामने पूरा मार्केट, 209-वेस्ट एंड रोड यहां रिहायशी संपत्ति व्यवसायिक में तब्दील, 210-ए वेस्ट एंड रोड, 240-भूसा मंड़ी, 201-शांति फार्म, 7-आरए लाइन, 8-आरए लाइन, 291- आरए बाजार, 87-हिल स्ट्रीट, 284-चैपल स्ट्रीट (दुबई स्टोर), 48-बीआई लाइन, 44-बीआई लाइन, 161-बी-माल रोड, 46-धर्मपुरी, 276-सरकुलर रोड व्हाइट हाउस (कैंट बोर्ड अफसरों के अवैध निर्माण के भ्रष्टाचार को समझने के लिए इसकी फाइल बांचना काफी होगा)। 196-सदर रंगसाज मोहल्ला के अलावा 300-क्लेमेंट स्ट्रीट सरीखे अवैध निर्माण हैं। तमाम अवैध निर्माण कैंट बोर्ड के इंजीनियरिंग सेक्शन और सेनेट्री सेक्शन के अफसरों की कारगुजारी के पुख्ता सबूत हैं। ये सभी अवैध निर्माण रातों रात नहीं कर लिए गए। एक लंबा अरसा लगा इन अवैध निर्मणों को पूरा होने में, लेकिन जो हालात हैं उससे तो यही लगता है कि लोगों के छोटे-छोटे अवैध निर्माणों पर दनदनाने वाले कैंट बोर्ड प्रशासन के अफसर जब ये अवैध निर्माण कराए जा रहे थे और जो जिम्मेदारी सरकार ने उन्हें दी थी, उससे वह भागे हुए थे या जिम्मेदारी की जानबूझ कर अनदेखी कर रहे थे। यदि कैंट प्रशासन कहता है कि ऐसा नहीं था तो फिर खुद अधिकारी बताएं कि ये भारी भरकम अवैध निर्माण कैसे हो गए। अवैध निर्माण का सील किया जाना, निर्माण सामग्री जब्त किया जाना और ध्वस्तीकरण सरीखी कार्रवाई क्यों नहीं की गयी। यह सांठगांठ तो है ही और भारत सरकार को करोड़ों के राजस्व का चूना भी।