माल रोड की साख को कैंट बोर्ड का बट्टा, देश की तमाम 62 छावनियों में सबसे ज्यादा प्रतिष्ठित मानी जाने वाली मेरठ छावनी की माल रोड की साखा को बट्टा लगाने का काम कोई और नहीं बल्कि मेरठ कैंट बोर्ड के इसके रखरखाव के लिए जिम्मेदार अफसर ही कर रहे हैं। माल रोड की यदि बात की जाए तो किसी दौर में मेरठ की यह माल रोड सेना की शान हुआ करती थी। एक दौर वो भी था कि इससे होकर कोई भी छुट्टा पशु गुजरना तो दूर की बात इस ओर से सड़क के दूसरी ओर भी नहीं जा सकता था। इतना सख्त पहरा बाेर्ड के स्टाफ का हुआ करता था। इसकी हिफाजत किसी बेशकीमती चीज की तरह की जाती थी। माल रोड खराब न हो जाए इसके लिए एक बार तो डंडाधारी तक तैनात कर दिए थे। उस दौर में मेरठ की माल रोड को सब एरिया कमांडर सरीखे आला अफसर जो भी रक्षा मंत्रालय से मेरठ छावनी के विजिट को आते थे, उनको घूमाना अनिवार्य हुआ करता था। मेरठ की माल रोड का डंका देश भर की तमाम छावनियों में बजा करता था, लेकिन वो दौर और तब के अफसर शायद और ही थे, आज माल रोड कैंट बोर्ड अफसरों की उदासीनता पर आंसू बहा रही है। जिस माल रोड पर दाग न लग जाए यह ध्यान रखा जाता था, वो माल रोड बोर्ड प्रशासन की लापरवाही व उदासीनता के चलते दिन पर छुट्टा पशुओं के गोबर व गंदगी से बज बजाती रहती है। माल रोड देखकर ऐसे लगता है मानों माल रोड न होकर इसको अफसरों ने पशुओं के लिए चारागाह बना दिया हो। पूर्व में डेयरी संचालक इस बात का खास ध्यान रखते थे कि उनके पशु माल रोड पर न पहुंच जाएं, लेकिन अब कि यदि बात की जाए तो खुद डेयरी संचालक ही अपने पशुओं को माल रोड को चारागाह मानते हुए वहां छोड़ जाते हैं। हालत यह है जिस माल रोड से गुजरने में शान समझा जाता था, उस माल रोड से अब कन्नी काटते हैं। मार्निंग वॉक पर आने वाले उलाहना देते हैं कि तब के सीईओ, एसएस, इंजी. सेक्शन हेड, ओएस माल रोड को लेकर संवेदनशील थे, अब हैं उदासीन।