
कर्ज से ये कैसी मुक्ति! कुछ नहीं तो मासूमों को तो जिंदा छोड़ देते! मासूम को भी मार डाला

नई दिल्ली/ पंचकूला। बाबा बागेश्वर की कथा से वापस से लौट रहे एक ही परिवार के सात लोगों ने कर्ज के चलते जहर खाकर जान दे दी। इस खबर से हर कोई स्तब्ध है। ऐसा क्या था और क्या मजबूरी हो गयी थी जो सभी ने ऐसा कदम उठा लिया जहां से लौटा नहीं जा सकता। कोई नहीं लौटा जहां से। जिन्होंने मौत को गले लगाया उनमें पति पत्नी के अलावा तीन मासूम बच्चे व दो बुर्जुग सदस्य भी शामिल हैं। बड़ों ने जहर खाया यह बात समझ में आ सकती है, लेकिन मासूम बच्चे तो खुद जहर नहीं खा सकते तो क्या यह मान लिया जाए कि खुद जाने देने से पहले मासूमों की जान ली गई। ऐसा दुखद वाक्या कोई दूसरा फिलहाल ध्यान में नहीं आ रहा है। पंचकूला की इस घटना ने लोगों को भीतर तक झकझोर दिया है।
मंगलवार में अमंगलकारी खबर
हरियाणा के पंचकूला में मंगलवार को इस अमंगलकारी खबर से हर किसी को धक्का लगा है। पंचकूला पुलिस के मुताबिक सोमवार रात करीब 11 बजे डायल 112 पर सूचना मिली कि सेक्टर-27 के मकान नंबर 1204 के बाहर खड़ी एक कार में कुछ लोग आत्महत्या कर रहे हैं। सूचना मिलते ही पुलिस बगैर देरी किए मौके पर पहुंच गयी। कार में सवार छह लोगों को तुरंत सेक्टर-26 के एक निजी अस्पताल ले जाया गया जहां डाक्टरों ने कह दिया कि इनमें कुछ भी नहीं बाकि है। सातवां व्यक्ति जो कार से बाहर तड़पता हुआ मिला, उसे सेक्टर-6 के नागरिक अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उसे भी बचाया नहीं जा सका। यह देश राज मित्तल का परिवार था। उनका कारोबार बेटा प्रवीण मित्तल संभालता था। अच्छा खासा हंसता खेलता घर था। लेकिन कर्ज ने इस परिवार की खुशियां हमेशा के लिए निकल लीं।
दो पेज का सुसाइड नोट भी मिला
पुलिस को कार से दो पन्नों का सुसाइड नोट भी मिला है जिसमें प्रवीण मित्तल ने लिखा कि मैं बैंक से दिवालिया हो चुका हूं, मेरी वजह से ही ये सब कुछ हुआ है, मेरे ससुर को कुछ मत कहना, सुसाइड नोट में यह भी उल्लेख किया गया कि अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी उनके मामा के बेटे को सौंपी गई है। प्रवीण मित्तल और उनका परिवार मूल रूप से चंडीगढ़ का रहने वाला था, लेकिन पिछले 8-9 महीनों तक देहरादून के कोलागढ़ क्षेत्र में किराए के मकान में रह रहा था. और परिवार हाल ही में पंचकूला के सेक्टर-27 में किराए के मकान में शिफ्ट हुआ था. प्रवीण मित्तल टूर एंड ट्रैवल्स का व्यवसाय करते थे और साथ ही ‘चाइल्ड लाइफ केयर मिशन’ नामक एक एनजीओ भी चलाते थे। परिवार पर कथित तौर पर 15-20 करोड़ रुपये का कर्ज था, जिसके कारण उन्हें लगातार धमकियां मिल रही थीं. परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो चुकी थी कि उनका गुजारा भी मुश्किल हो रहा था।
कर्ज से यह कैसी मुक्ति
शवों को पोस्टमार्टम को भेज पंचकूला पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. साथ ही देहरादून पुलिस भी परिवार के अन्य रिश्तेदारों से संपर्क कर यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आखिर परिवार ने इतना बड़ा कदम क्यों उठाया। इस घटना ने पंचकूला से लेकर देहरादून तक लोगों को ग़मगीन कर दिया है। हर कोई हैरान है कि क्या वाकई कर्ज और आर्थिक स्थिति की वजह से परिवार ने इतना बड़ा कदम उठाया।