इतना हंमामा क्यों है भाई

kabir Sharma
8 Min Read
WhatsApp Channel Join Now

मेरठ। सदर दुर्गाबाड़ी स्थित प्राचीन 1008 दिगंबर जैन पंचायत मंदिर को लेकर ऐसा क्या हुआ है जिसकी चर्चा पुलिस प्रशासन के मेरठ के ही नहीं लखनऊ तक अफसरों में हड़कंप मचा हुआ है। सबसे ज्याद चर्चा तो पुलिस महकमे में ऐसा क्या हुआ जो सदर सदर बाजार के1008 दिगंबर जैन पंचायत मंदिर पंचायती मंदिर की जांच कररहे आईओ को पूरे जिले के सबसे शानदार माने जाने वाले थाना सदर बाजार उठाकर देहात यानि परिक्षितगढ़ सरीखे के पुलिस महकमे के लो ग्रेड थाने में ले जाकर जा पटका। इसकी पुलिस महकमे में जितनी चर्चा है इतनी चर्चा शायद ही किसी मामले की पहले कभी रही हो। कोतवाली को भनत तक नहीं लगने दी गई और बड़े-बड़े खेल कर डाले। इसकी जब जानकारी हुई तो त्यौरियां ना चढ़ती और कार्रवाई ना होती तो और क्या होता। पुलिस महकमे में तो ना जाने क्या-क्या चर्चा हो रही है। लेकिन चर्चा है, जो बात पर्द है वाे पर्दे में रही रहे तो अच्छा है। हर बात से पर्द उठे यह मुनासिब भी नहीं

ऐसे समझे इस मामले को

करीब दो माह पहले थाना सदर बाजार में एक लंबी जांच पड़ताल के के बाद बाद FIR संख्या 116 / दर्ज होती है यह FIR जिस मंदिर जिक्र ऊपर किया है, उसके अध्यक्ष रंजीत जैन समेत मृदुल जैन, सुनील जैन और अनिल बंटी आदि के खिलाफ 420, 467 471 और 120-बी की धाराओं में दर्ज की गयी। इनमें से 420 और 120-बी को लेकर तो आरोपियों को कोई परेशानी नहीं थी। असली परेशानी तो 467 और दूसरी धारा से था। इन दो धाराओं ने ही सारा फायद करा डाला। फसाद भी ऐसा जिस भी पुलिस वाले ने सुना हाथ कानों को लगा लिया और हैरानी भी जतायी। हैरानी इस बात की कि इतना बड़ा खेल हो गया और कोतवाल को भनक तक नहीं लगा दी गयी। मानना पड़ेगा आईओ के हाजमे को। जब बात कप्तान तक पहुंची तो मय केस डायरी आई को तलब कर लिए और उसके बाद जो हुआ वो सबके सामने है। बात मेरठ ही नहीं पुलिस प्रशासन के तमाम आला अधिकारियों से होती हुई लखनऊ में बैठे अफसराें तक जा पहुंची

ये है असली किरदार

1008 दिगंबर जैन पंचायत मंदिर सदर दुगाबाड़ी को लेकर इस सारे फसाद की जड़ वो शख्स है जिसका नाम प्रेम मामा है। प्रेम मामा वो शख्स यह जिसने उक्त मंदिर समिति के फर्जी चुनाव कराए और खुद स्वयं-भू चुनाव अधिकारी बन बैठे। प्रेम मामा क्यों चुनाव अ यह बात हम नहीं कर रहे, बल्कि करीब छह साल लंबी डिप्टी रजिस्ट्रार की जांच चींख-चींख कर कह रहे है। प्रेम मामा ही इस सारे फायद की जड़ है जिसने ना केवल जैन समाज को शर्मसार किया हुआ है बल्कि पुलिस महकमे में भी तूफान खड़ा किया है। लगे हाथों प्रेम मामा की कारगुजारी का भी खुलासा कर देते हैं। प्रेम मामा के तथाकथित उस फर्जी चुनाव के बाद रंजीत जैन, मृदुल जैन, सुनील जैन और अनिल बंटी का प्रबंया समिति के नाम पर मंदिर परअवैध कब्जा हो गया। अवैध इसलिए क्योंकि डिप्टी रजिस्ट्रार जो सरकारी अफसर हैं उन्हें छह साल तक मांगे जाने के बावजूद चुनाव के साक्ष्य नहीं दिखाए गए। आखिरकार डिप्टी रजिस्ट्रार को उक्त चुनाव को अवैध घोषित करने के साथ थाना सदर बाजार पुलिस काे फर्जी चुनाव का हिस्सा बनने वालों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश करनी पड़ी। डिप्टी रजिस्ट्रार की सिफारिश के बाद भी इस मामले की फाइल पुलिस महकमे के तमाम आला अफसरों की टेबल से होकर गुजरी तब ही जाकर यह FIR दर्ज हो सकी जिसमें रंजित जैन, मृदुल जैन, सुनील जैन, अनिल बंटी आदि के खिलाफ बेहद गंभीर मानी जाने वाली धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ। जांच के के नाम पर आई ने दो माह से ज्यादा का अरसा गुजार दिया। जो कार्रवाई की गई उसमें आईओ को ही नहीं हटाया गया बल्कि उन्हें परीक्षितगढ़ भेज दिया।

देश भर के जैन समाज को किया शर्मसार

जिस मंदिर का जिक्र किया जा रहा है, उसमें देख भर से जैन समाज के साधु किसी दौर में आया करते थे। स्वभाविक है कि जब जैन साधु आएंगे तो देश भर से जैन समाज के दानदाता भी आया करते थे। ये जैन दानदाता करोड़ों का दान करते थे और इससे ज्यादा रकम का सोना थान करते थे। केवल साेना ही इस मंदिर को दान नहीं किया गया इस मंदिर को संपत्तियां भी दान की जाएगी। बात की तह तक जाए जाए संपत्तियों के दान का भी खुलासा हो जाएगा। किसने दान दिया और किसने उन संपत्तियों को खरीदने के नाम पर घालमेल किया था दरअसल हमाम में सभी नंगे हैं। फर्जी चुनाव से अवैध रूप मंदिर को दान में मिलने वाले धन व सोने को डकारने वालों के खिलाफ ही जांच के नाम पर कार्रवाई की जानी थी, लेकिन बजाए कार्रवाई के बाकि सब कुछ किया गया। कार्रवाई की बात करें तो विधि विशेषज्ञों के राय में इस मामले में मंदिर को मिले दान में गवन की बात तमाम जांचों में साबित हो गई। अब करना यह था कि माल की बरामदकी की जाती, कोर्ट का निर्णय आने तक आराेपियों के बैक खाते सीज किए जाते। आरोपियों की गिरफ्तारी की जाती। इस मामले में यदि दो आरोपियों को भी जेल भेज दिया होता तो भी छिछलेदारी ना होती। दूसरे कामों के चक्कर में बाकि काम भूल बैठे। वहीं दूसरी ओर इस कांड के सामने आने के बाद सदर या मेरठ के जैन समाज को को नहीं बल्कि करतूतों से देश भर के जैन समाज को शर्मसार करने का काम किया है। इसमें आरोपियों ने हाईकोर्ट से भी राहत का प्रयास कियाल लेकिन वहां भी राहत नहीं मिली। विजय सनमती भी हाईकोर्ट जाने वालाें में शामिल हैं। पुलिस कार्रवाई को हाईकोर्ट में चैलेज देने वाले सबसे पहले पुलिस रडार पर आ गए। रंजीत जैन और दिनेश मंदिर एक तरह से इस मामले में पुलिस के मददगार बन गए। रंजीत जैन को इस मामले में पुलिस का सबसे बड़ा मददगार माना जा रहा है। उन्होंने व जिन्होंके भी अब तक बयान दर्ज किया गए है, उन सभी काे लेकर सुनने में आया है कि जो कुछ हुआ है उसके लिए मृदुल जैन, सुनील जैन, अनिल बंटी व रंजीत जैन जिम्मेदार हैं। लेकिन रंजित जैन ने भी अपने बयानों में मृदुल जैन, सुनील जैन, अनिल बंटी को दान का रुपया व सोना हड़पने वाला बताया है। लोग गुनाहों की माफी के लिए मंदिर जाते तो सुने गए हैं, लेकिन मंदिर के दान ही कोई गुनाह करे यह पहली बार सुना है। जैन समाज की इस लड़ाई को लड़ रहे सीए डा. संजय जैन का साफ कहना है कि मंदिर का करोड़ों का दान व सोना हजम करने वालों को वह सलाखों के पीछे पहुंचाकर ही दम लेंगे। यह बात भी तय है।

- Advertisement -

WhatsApp Channel Join Now
Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *