षष्ठम दिवस – ज्ञानकल्याणक आहारदान, समवशरण रचना एवं दिव्य देशना, हस्तिनापुर नगरी में उमड़े श्रद्धालु, उपाध्याय श्री ने का उद्बोधन
मेरठ। श्री जी के अभिषेक शांति धारा के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ उपाध्याय श्री ने अपने उद्बोधन मे कहा कि आप सभी आज हस्तिनापुर नगरी में विराजमान है दीक्षा के 6 माह का समय होने पर मुनीकुमार ऋषभदेव ने विहार किया मगर कोई यह नहीं जानता था कि मुनि महाराज का आहार कैसे होता है। मुनिराज प्यार करते हुए हस्तिनापुर नगरी पहुंचे मुनिराज को देखते ही राजा सोम,श्रेयांश को पूर्व भव का याद आ जाता है की मुनिराज को आहार कैसे देते हैं उन्होंने इच्छुक रस का आहार कराया मुनीकुमार ऋषभदेव का दीक्षा लेने के एक वर्ष 12 दिनों के बाद आहार हुआ उसी दिन को आज अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है।
सभी को आशीर्वाद प्रदान किया
सभी को बहुत-बहुत आशीर्वाद प्रदान किया। अपराह्न में समवसरण की रचना की गई जिसमें तीर्थंकर की दिव्य ध्वनी खिरी। यह संस्कार पूज्य उपाध्याय श्री 108 वृषभानंद जी महाराज ससंघ के सानिध्य में हुए। चेयरमैन श्री वीरेंद्र कुमार जैन पुष्प ज्वेलर्स श्री प्रदीप जैन जी दीपक जैन ऋषभ जैन जी अजय जैन आलोक जैन विपिन जैन संजीव जैन (प्रवक्ता)संजय जैन कलश अभिनव जैन प्रदीप जैन मुकेश जैन संजीव जैन पंप वाले प्रथम जैन जी आनंद जैन जी आदि उपस्थित रहे।