जब हमला कर भारत को फारस में मिला लिया था

kabir Sharma
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ईसा पूर्व 535 में साइरस महान ने किया था हमला, भारत पर यह पहला विदेशी हमला था, भारत उस समय छोटे राजाओं में था बंटा

मुंबई/नागपुर। भारत पर पहले विदेशी हमले के बाद उसको फारस जिसको वर्तमान में इरान कहा जाता है, में मिला लिया गया था। भारत का मुंबई/नागपुर। भारत पर पहले विदेशी हमले के बाद उसको फारस जिसको वर्तमान में इरान कहा जाता है, में मिला लिया गया था। भारत का उत्तर पश्चिम सीमा प्रांत का इलाका सालों तक फारस के आधिपत्य में रहा। भारत पर उस वक्त किसी एक शक्तिशाली राजा का शासन नहीं था। भारत की दशा उस वक्त कबिलियाई सरीखी थी। छोटे छोटे राजे रजवाडे थे। वो भी आपस में लड़ने मरने को तैयार रहते थे। साइरस महान ने भारत पर हमला किया था, जो कि अकेमेनिड साम्राज्य  के संस्थापक थे। उन्होंने लगभग 550 ईसा पूर्व में भारत के उत्तर-पश्चिमी सीमा क्षेत्र पर आक्रमण किया। उस समय, गांधार, कम्बोज और मद्र जैसे छोटे भारतीय राज्य आपस में लड़ रहे थे, और साइरस ने इसका फायदा उठाकर गांधार क्षेत्र और सिंधु नदी के पश्चिम के हिस्सों पर कब्ज़ा कर लिया। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इस दौरान भारतीय शासकों ने साइरस को श्रद्धांजलि भी दी थी। 

सिंघु घाटी की सभ्यता का केंद्र

भारत के इतिहास में सबसे पहला दर्ज विदेशी हमला अचेमेनिड साम्राज्य के संस्थापक साइरस महान (Cyrus the Great) द्वारा किया गया था। यह आक्रमण लगभग 535 ईसा पूर्व में हुआ, जब साइरस ने सिंधु नदी के पश्चिमी क्षेत्रों (आधुनिक पाकिस्तान के हिस्से) को अपने साम्राज्य में मिला लिया। यह भारत के उत्तर-पश्चिमी सीमांत पर पहला संगठित विदेशी विजय अभियान था, जो अचेमेनिड फारसी साम्राज्य की पूर्वी सीमा को मजबूत करने के उद्देश्य से किया गया।

गंधार था भारत का हिस्सा

जिस वक्त यह हमला किया गया उस वक्त गंधार यानि आधुनिक अफगानिस्तान भारत का हिस्सा हुआ करता था। साइरस ने गांधार (आधुनिक अफगानिस्तान और पाकिस्तान का उत्तरी हिस्सा) और सिंध क्षेत्र पर कब्जा किया। यह क्षेत्र प्राचीन भारत का अभिन्न अंग माना जाता था, क्योंकि सिंधु घाटी सभ्यता का केंद्र यहीं था। साइरस के भारत पर हमले का मकसद भारत की समृद्धि, मसाले, सोना और कृषि संसाधनों की लालच था और वहां तक फारसी शासन का विस्तार करना था। साइरस की मृत्यु (530 ईसा पूर्व) के बाद उनके उत्तराधिकारी डेरियस प्रथम (Darius I) ने 518 ईसा पूर्व में इस क्षेत्र को और मजबूत किया, जिससे भारत फारसी साम्राज्य का हिस्सा बन गया। यह आक्रमण लगभग 200 वर्षों तक चला, जब तक कि सिकंदर महान ने 326 ईसा पूर्व में इसे समाप्त नहीं किया।

ऐतिहासिक संदर्भ और महत्व

  • किस राजा के काल में? यह आक्रमण साइरस महान के शासनकाल में हुआ, लेकिन बाद में डेरियस प्रथम के समय (522-486 ईसा पूर्व) में और विस्तृत हुआ। डेरियस ने भारत को 29वें प्रांत (सत्रप) के रूप में संगठित किया, जहां से भारी कर वसूला जाता था। उस समय भारत में कोई एकीकृत साम्राज्य नहीं था; विभिन्न स्थानीय राजा और जनजातियां (जैसे गांधार के राजा) शासन करती थीं।
  • प्रभाव: इस आक्रमण ने भारत पर विदेशी प्रभाव की शुरुआत की। फारसियों ने प्रशासनिक प्रणाली (सत्रप व्यवस्था), सिक्के, कला और व्यापार को प्रभावित किया। साथ ही, यह भारत को वैश्विक व्यापार मार्गों से जोड़ने का माध्यम बना।
  • विवादास्पद दृष्टिकोण: कुछ इतिहासकार आर्यन आक्रमण (1500 ईसा पूर्व) को पहला मानते हैं, लेकिन यह सैन्य हमला नहीं, बल्कि धीमी प्रवासन प्रक्रिया थी। साइरस का आक्रमण पहला स्पष्ट सैन्य विजय अभियान है।

अन्य प्रमुख प्रारंभिक आक्रमण (तुलना के लिए)

आक्रमणकारीवर्षप्रभावित क्षेत्रप्रभावित राजा/काल
साइरस महान535 ईसा पूर्वसिंधु पश्चिमी क्षेत्रस्थानीय गांधार राजा
डेरियस प्रथम518 ईसा पूर्वउत्तर-पश्चिम भारतसत्रप व्यवस्था स्थापित
सिकंदर महान326 ईसा पूर्वपंजाब और सिंधपोरस (पुरु) राजा

यह आक्रमण भारत के इतिहास में “आक्रमणकारियों का स्वर्ग” की शुरुआत का प्रतीक है, जहां धन और संसाधनों ने सदियों तक विदेशियों को आकर्षित किया।

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