बुरा फंस गया मेयर का चुनाव

बुरा फंस गया मेयर का चुनाव
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बुरा फंस गया मेयर का चुनाव, कुछ अपनी गलतियां, कुछ चुनावी मैनेजमेंट की खामियां और रही सही कसर पूरी कर दी निर्वाचन कार्यालय के स्टाफ की कारगुजारी ने. दोपहर दो बजे तक मतदान का प्रतिशत बामुश्किल 26 फीसदी पहुंच सका,  जिसके चलते आशंका व्यक्त की जा रही है कि कड़े मुकाबले के चलते इस बार मेरठ नगर निगम के मेयर का चुनाव फंस गया लगता है, इसका नफा और नुकसान किस के हिस्से में आना है यह कहना जल्दबाजी होगी. हालांकि बाद में कुछ तेजी लाने का प्रयास किया गया. ग्राउंड रिपोर्ट की यदि बात की जाए तो कम मतदान का असली कारण बेतरकीब मतदाता सूची है. कई ऐसे मतदाता शहर के अलग-अलग बूथों पर  मिले जिन्होंने आरोप लगाया कि उन्होंने लोकसभा व विधानसभा तथा नगर निगम के पिछली बार हुए चुनाव में मतदान किया था, लेकिन इस बार उनका वोट काट दिया गया है. वोट कैसे कट गया यह कोई बताने को तैयार नहीं. कुछ ने शिकायत की कि उनके पास मतदान करने के लिए पर्ची आयी, जब वो बूथ पर पहुंचे तो वहां मौजूद मतदाता सूची में उनका नाम ही नहीं मिला. उन्हें बताया गया कि इस बूथ पर नहीं कुछ दूरी ओर एक अन्य बूथ है, वहां चले जाओ वहां पर नाम है, वहां पहुंचे तो वहां भी मतदान नहीं कर सके. वहां से बताया गया कि इस बूथ पर नहीं किसी अन्य बूथ शायद मतदाता सूची में नाम मिल जाए. दो बूथ पर भटकने के बाद फिर तीसरे बूथ पर जाने की हिम्मत नहीं जुट सके. जानलेवा गर्मी में फिर थक-हार कर एसी रूम में आकर निढाल होकर पड. गए. गुरूवार को सुबह के वक्त जरूर बूथों पर लंबी लाइनें नजर आ रही थीं, लेकिन जैसे-जैसे दिन चढ़ना शुरू हुआ, वैसे-वैसे बूथों के बाहर लगी लंबी कतारें, सिमटती नजर आयीं दोपहर एक से तीन बजे के बीच तो इतना सन्नाटा क्या है भाई, अनायास ही मुंह से निकल गया. वहीं यदि मुस्लिम इलाकों की बात की जाए तो वहां भी बंटवारा नजर आया. हालांकि इस बंटवारे में बड़ा हिस्सा साइकिल पर सवाल दिखाई दिया, कुछ पंतग उड़ा रहे थे, लेकिन कांग्रेस का हाथ कहीं भी पंजा लड़ाता नजर नहीं आया, शहर के कई इलाके तो ऐसे थे जहां कांग्रेस के बस्ते तक नहीं लगे, हालांकि आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी की कोशिश ज्यादातर बूथों पर बस्ता लगवाने की रही, लेकिन बस्ता लगना कभी भी वोट की गारंटी नहीं माना जा सकता. बसपा  का हाथी कुछ ही इलाकों मे चिंघाड़ता दिखाई दिया. भाजपा व गठबंधन प्रत्याशी का जलवा अपने-अपने इलाकों में नजर आया. कुछ भी प्रत्याशी ऐसे नहीं प्रतीत हुए जिसको लेकर कहा जा सके कि हर तरफ तेरा जलवा. इसी के चलते मतदान का रूझान देखते हुए कयास लगाया जा रहा है कि मेयर का कड़े मुकाबले में फंसा हुआ लगाता है. वहीं दूसरी ओर रूझान में एक बड़ी चीज यह भी नजर आयी की इस बार बड़ी संख्या में निर्दलीय नगर निगम में पहुंच सकते हैं. मतदान के रूझान को देखते हुए कड़े मुकाबले में फंसे चुनाव को देखते हुए कई की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है. प्रतिष्ठा इसलिए दांव पर लगी है क्योंकि सूबे के सीएम और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव दोनों ही मेरठ में चुनाव प्रचार के लिए आए थे.

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