कैंट बोर्ड: जिन पर आरोप-उन्हें जांच, मेरठ कैंट बोर्ड की शनिवार 20 अगस्त को हुई बोर्ड बैठक की अध्यक्षता कर रहे कमांडर ने मुटेशन के सभी मामलों की जांच के आदेश दिए हैं। बाेर्ड के मनोनीत सदस्य डा. सतीश शर्मा की अध्यक्षता में जांच समिति का गठन किया गया है। कमेटी में कैंट बोर्ड के सीईओ, एई, जेई तथा भूमि लिपिक शामिल किए गए हैं। वहीं जांच कमेटी को लेकर बोर्ड के स्टाफ में तमाम तरह की चर्चाएं हैं। ऑफ दा रिकार्ड बोर्ड के स्टाफ का कहना है कि जो लोग खुद पहले से ही दागदार हैं, मसलन अवैध निर्माण या कब्जों को लेकर जिन पर आराेप लग चुके हैं, उन्हें इस कमेटी का हिस्सा बनाया जाना क्या उचित है। अवैध निर्माण व सरकारी जमीनों पर कब्जों को लेकर डीजी डिफैंस के निर्देश पर कैंट बोर्ड पहुंचे डायरेक्टर मध्य कमान डीएन यादव ने जिन्हें कठधरे में खड़ा किया था व बंगला 22-B में आरोपों के चलते पैनल्टी लगाकर एक माह की वेतन वृद्धि रोक दी गई, बोर्ड के ऐसे लोगों को जांच समिति रखना क्या मुनासिब है। निष्पक्ष जांच संभव है। आरटीआई एक्टिवस्ट एडवोकेट संदीप पहल का तो यहां तक कहना है कि यदि निष्पक्ष जांच चाहिए तो फिर किसी फौजी अफसर की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाकर बोर्ड से इतर लोग शामिल कर जांच कराई जाती तो दूध का दूध पानी का पानी हो पाता। चर्चा है कि लालकुर्ती में जिन खोखों का अलाटमेंट नियम कानूनों को ताक पर रखकर किया जा रहा था, उनमें बड़ी खाईबाड़ी की बू आ रही है। इसके अलावा बड़ी होशियारी बोर्ड एजेंडा में चार बंगलों के नक्शे 212 सरकुलर रोड, 146 व 151 बीसी लाइन तथा भूसा मंड़ी के छह नक्शों को लेकर भी चर्चा है कि पटल पर इन नक्शों का ना रखा जाना भी कैंट बोर्ड के कुछ अधिकारियों की मंशा पर सवाल खड़े रहा है। चर्चा है कि भूसा मंड़ी के जो नक्शे बोर्ड में पास होने के लिए लगें हैं, वहां नक्शे पास कराए बगैर ही अवैध रूप से निर्माण करा दिया गया।