
डोर टू डोर कूडा में बड़ा घोटाला, सेग्रिगेशन का हर माह करीब आता है बीस लाख, ठेका देकर भी बोर्ड कंगाल, कैंट बोर्ड को दस करोड़ का फटका
मेरठ। आगरा के डोर टू डोर ठेकेदार ने कैंट बोर्ड को जोर का झटका धीरे से दिया है। ठेकेदार से मिले इस दस करोड़ी फटके के बाद भी कैंट बोर्ड के आला अफसर बजाए कार्रवाई के अभी तो इस ठेकेदार से दोस्ती निभाते नजर आ रहे हैं। उसके खिलाफ कार्रवाई तो रही दूर की बात। सबसे हैरानी की बात तो यह है कि ठेकेदार के इस दस करोड़ी झटके की बात खुद कैंट बोर्ड के सेनेट्री सेक्शन हेड ने आरटीआई में दिए गए जवाब में मांगी है। बोर्ड ने बताया है कि सेग्रिगेशन के नाम पर ठेकेदार से एक पाई भी कैंट बोर्ड को नहीं मिली है, वहीं दूसरी ओर जानकारों की मानें तो ठेकेदार हर माह करीब बीस लाख रुपए का कचरा बेचता है। कैंट बोर्ड के पांच वार्ड हैं जहां डोर टू डोर ठेकेदार के कारिंदे के कंधों पर सफाई व्यवस्था है। ये घर-घर जाकर कूडा कचर जमा करते हैं। इसको जमा किए जाने के बाद गीला और सूखा कूडा छांटा जाता है जिसको सेग्रिगेशन कहा जाता है। इस कचरे को बेचकर जो रकम मिलती है वह कैंट बोर्ड का राजस्व है। लेकिन सेग्रिगेशन के राजस्व के नाम पर ठेकेदार ने आज तक कैंट बोर्ड के खजाने में एक पाइ भी जमा नहीं करायी है। सारी मलाई या तो ठेकेदार या फिर उसका सुपरवाइजर चांट रहा है। हालांकि पूर्व में जो सुपरवाइजर सचिन था उसको हटाए जाने की बात पता चली है।
रेवेन्यू तो तब मिले जब कोई रिकॉर्ड हो
सबसे बड़ी हैरानी और लापरवाही की बात तो यह है कि जिस करोड़ी फटके की बात सामने आयी हे, उसको लेकर कैंट बोर्ड के अफसरों के पास किसी प्रकार का कोई रिकॉर्ड ही नहीं है। जब रिकॉर्ड ही नहीं तो फिर किस तरह से ठेकेदार से कचरा बेच कर जो कमाई कैँट बोर्ड को होनी थी, उसका हिसाब मांगा जाता। हिसाब मांगने के लिए कचरा कलेक्शन का हिसाब जरूरी है जो ना तो ठेकेदार ने दिया ना लगता है कभी कैंट बोर्ड के अफसरों ने मांगा। सो बोर्ड को दस करीब दस करोड़ी राजस्व की चपत लग गयी।
कुछ भी तो नहीं रिकार्ड के नाम पर
आरटीआई में बोर्ड के सेनेट्री सेक्शन हेड ने स्वीकार किया है कि उनके पास कुछ भी नहीं है। जबाव में बताया गया है कि कोई रिकार्ड उपलब्ध नहीं है। डेली कलेक्शन लॉग बुक, सेग्रिगेशन रेशो रजिस्टर, जीपीएस ट्रेकिंग लॉग, अटैंडेंस रजिस्टर, इंडोर व आउट डोर रजिस्टर, ड्राई वेस्ट की बिक्री से होने वाली आमदनी का ब्यौरा आदि कुछ भी तो नहीं है ना तो ठेकेदार ने दिया और ना ही लगता है कि कभी कैंट बोर्ड के अफसरों ने ठेकेदार को सामने बैठाकर उससे सेग्रिगेशन से होने वाली आमदनी का कोई ब्योरा ही मांगा है। नतीजा आरटीआई में बताया गया कि सब कुछ शून्य है।
ठेकेदार को भुगतान क्या मिले हुए हैं अफसर
डोर टू डोर कूडा कलेक्शन के सेग्रिगेशन से जो आमदनी होनी चाहिए थी वो कैँट बोर्ड को नहीं हुई, लेकिन उसके बाद भी कैंट बोर्ड के अफसर नियमित रूप से ठेकेदार को लगातार पेमेंट कर रहे हैं। जब ठेकेदार कैंट बोर्ड को कचरा बेचकर मिलने वाली हर माह की करीब बीस लाख की रकम नहीं दे रहा है तो फिर कैंट बोर्ड अफसर क्यों कर उसको भुगतान कर रहे हैं। इसकी दो ही वजह हो सकती हैं।
या तो अंजान या अफसर हैं मिले हुए
या तो कैंट बोर्ड अफसरों को ठेकेदार के द्वारा पहुंचायी जा रही वित्तीय हानि की जानकारी नहीं और यदि अफसरों को ठेकेदार द्वारा सरकारी खजाने को पहुंचाए जा रहे नुकसान की जानकारी नहीं है तो फिर इससे यह तो स्पष्ट है कि बोर्ड के मौजूदा अफसर अपना काम जिम्मेदारी से नहीं अंजाम दे रहे हैं और यदि सरकारी खजाने को पहुंचाए जा रहे नुकसान की जानकारी है तो इससे इस बात की आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता कि अफसर और ठेकेदार सेग्रिगेशन की कमाई की बंदरबाट में लगे हैं। इन दो बातों के अलावा कोई तीसरी बात भी हो सकती है ऐसा प्रतीत तो नहीं हो रहा है। कुछ तो है जिसकी पर्दादारी इतने अरसे से की जा रही है। या फिर यह भी मान लिया जाए कि डोर टू डोर जो कूडा कलेक्शन किया जा रहा है उसका सेग्रिगेशन नहीं किया जा रहा है, हां लेकिन ठेकेदार श्रीराम कंस्ट्रक्शन कंपनी को नियमित भुगतान जरूर किया जा रहा है। कुल मिला कर यही कहा जा सकता है कि कुछ तो गड़बड़ है या तो अफसर अंजान हैं या मिले हुए हैं।