
शहर के बाजारों में भारी भीड़, पैदल निकलना भी हुआ दुश्वार, कई लोग बगैर शॉपिंग के ही वापस
मेरठ/ दीपावली के मौके पर शहर का दिल कहे जाने वाले आबूलेन औा सदर बाजार में व्यापारियों ने भारी सजावट की। सदर बाजार व्यापार मंडल के नेता अमित बंसल व राजीव बंसल ने बताया कि हर साल की भांति इस साल भी आबूलेन, सदर बाजार,ख् बोम्बे बाजार, सदर कबाड़ी बाजार समेत पूरे महानगर में जबरदस्त सजावट की गयी है। राजीव बंसल व अमित बंसल ने बताया कि दीपावली पर्व को लेकर पूरे महानगर में हर्ष का माहौल है। लोग रोशनी के पर्व पर जश्न में सराबोर हैं। राजीव बंसल व अमित बंसल ने पूरे महानगर खासकर भाजपा के सभी जन प्रतिनिधियों को दीपावली की शुभकमानाएं दी हैं। दोनों ने सोमवार की सुबह प्रतिष्ठान पर आने से पहले मंदिर में जाकर पूजा अर्चना भी की।
बाजारों में था बद इंतजामी का आलम
दीपावली के मौके पर घर से शॉपिंग के लिए निकले लोगों बाजारों में बदइंतजामी का सामना करना पड़ा। सदर जैसे बाजार में तो खुद पुलिस वालों की बाइक भी फंसी रहीं। बाद में वो बाइक लेकर पैदल चले तब बाजार की भीड़ से निकल सके। रविवार को छोटी दीपावली पर शहर के बाजार भीड़ से गुलजार थे। शहर के तमाम प्रमुख बाजारों में जबदस्त भीड़ थी। सदर बाजार, लाला का बाजार, वैली बाजार, सरीखे बाजारों की यदि बात करें तो वहां हालत मेले सरीखी थी। सदर में तो लोग एक दूसरे से सट के निकलने को मजबूर थे। रही सही कसर उन लोगों ने पूरी कर दी जो बाइक पर परिवार के सदस्यों के साथ दीपावली की खरीदारी को पहुंचे थे। शाम के वक्त यहां बाजारों की दशा और भी ज्यादा खराब हो गयी। बाद में यह हुआ कि सदर मेन मार्केट में पुलिस ने बाइक की आवाजाही भी रोक दी। हालांकि इसको लेकर कोई सख्ती जैसी बात नहीं थी। पुलिस वाले बता रहे थे कि बाइक लेकर गए तो परेशान हो जाओगे। बाइक कहीं खड़ी कर शॉपिंग की सलाह दे रहे थे। लेकिन कुछ लोग ऐसे थे जो गलियों से होकर मेन बाजार में पहुंच गए और जाम में खुद भी फंसे और दूसरों के लिए भी मुसीबत खड़ी कर दी। ऐसा ही हाल बैली बाजार और लाला का बाजार का भी था। लाला का बाजार में हालात सबसे ज्यादा खराब नजर आयी।
शाम को उमड़ी भारी भीड़
शाम को बाजारों में जबरदस्त भीड़ थी। रविवार छुट्टी का दिन और फिर छोटी दीपावली शाम ढलते-ढलते हालत यह हो गयी कि बाजारों से निकलना भी दुश्वार हो गया। कुछ लोगों तो यह कहते सुने गए कोई बात नहीं सोमवार की सुबह जल्दी आकर जो सामान चाहिए वो ले जाएंगे। दरअसल तमाम बाजारों में बद इंतजामी का आलम था। बाजारों के व्यापार संघों ने बाजारों में सजावट तो की, लेकिन आने वालों को कैसे नियंत्रित करना है कैसे व्यवस्था बनानी है इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया।