मेरठ। दिल्ली-देहरादून हाइवे के एनएच-58 पर कदम-कदम पर मौत के कट के बाद भी एनएचएआई के अफसरों की नींद टूटती नजर नहीं आ रही है। शायद ही कोई ऐसा दिन जाता हो जब एनएच-58 पर हादसा ना होता हो, उसके बाद भी मौत के कट बंद करने को लेकर एनएचएआई अफसर गंभीर नजर नहीं आ रही हैं। मौत के कट की बात करें तो सबसे बुरी हालत मोदीपुरम से लेकर परतापुर टोल तक है। मोदीपुरम से लेकर परतापुर तक के रास्ते पर जगह-जगह लोग डिवाइडर जंप करते हुए नजर आ जाएंगे। चंद मिनट की दूर तय कर फ्लाई ओवर के नीचे से आने के बजाए तमाम लोग इस ओर से सड़क के स ओर जाने के लिए डिवाइडर जंप कर ते देखे जा सकते हैं। जिसकी वजह से हादसे होते हैं। हादसों की यदि बात करें तो केवल मौत के कट ही इसके लिए जिम्मेदार नहीं है। एनएच-58 पर पर जगह-जगह या कहें कुछ दूरी पर जिस प्रकार से रोड साइड में तमाम लोग बैठा दिए गए हैं जिनमें फल, पंक्चर, पान बीडी के खोखे, जूस, खेल खिलोने बेचने वाले और रही सही कसर पूरी कर देते हैं होटल ढावे वाले जो एनएच-58 पर ग्रीन बैल्ट में आबाद कर दिए गए है, हादसों के लिए वो भी कम जिम्मेदार नहीं हैं। उनकी वजह से भी आए दिन हादसे होते हैं। लेकिन सबसे पहले मौत के कट की बात। मौत के कट की शुरूआत मोदीपुरम फ्लाई ओवर से हो जाती है। फ्लाई ओवर खत्म होते ही जैसे ही डिवाइर शुरू होता हे दो पहिया वाहन चालक यह डिवाइडर जंप करते नजर आएंगे। सबसे बुूरा हाल यहां दोनों ओर स्थित कालोनी में रहने वालों का है। जो सड़क से इस पार से उस पार जाने के लिए जान हलेथी पर रखकर डिवाइर जंप करना अपनी शान समझते हैं। यह सिलसिला परतापुर तक जगह-जगह नजर आएगी। यदि यहां लोहे के बड़े अवरोध लगा दिए जाएं तो हादसों के साथ साथ डिवाइडर जंप करने वालों को भी रोका जा सकेगा। लेकिन एनएचएआई अफसर ऐसा नहीं कर रहे हैं। सबसे बुरा हाल तो हाइवे के खडौली इलाके का है, जहां डिवाइडर जंप करने वालों की वजह से दिन में कई बार हादसे होते हैं। उसके बाद भी डिवाइडर पर अवरोध नहीं लगाए जा रहे हैं।
रोड साइड पर अवैध खोखे
एनएच-58 पर हाइवे के दोनों ओर एनएचएआई और टोल कंपनी के स्टाफ ने ही छोटे-छोटे दुकानदार बैठा दिए हैं। इनसे हफ्ता वसूली की जाती है। इनमें फल वाले, खिलोनी वाले, बीडी सिगरेट के खोखे और ऐसे ही सामान की छोटी-छोटी खोखा नुमा दुकानें जगह-जगह नजर आ जाएंगी। इन दुकानों को देखकर अक्सर हाइवे पर तेजी से गाड़ी दौडाने वाले रूकते हैं, यह सोचे समझे बगैर की पीछे से जो गाड़ी फर्राटा भरते हुए आ रही है, वह टकरा भी कसती है। इस तरह के खोखे हाइवे के जटौली, श्रद्धापुरी , लाला मेहमदपुर, रोहटा रोड फ्लाई ओवर पर मिल जाएंगे।
खड़ौली में सबसे बुूरा हाल
हाइवे की यदि बात करें तो सबसे बुरा हाल तो खड़ौली इलाके में नजर आता है। यहां तो फिल्ड स्टाफ ने हाइवे से गुजरने वाली गाडियों में बैठे लोगों को मरवाने का पूरा इंतजाम किया हुआ है। खडौली में तो ईदगाह वाली साइड में बिलकुल हाइवे से सटाकर दुकाने खुलवा दी गयी हैं। इसके अलावा यहां अवैध मुस्लिम मीट मार्केट ने रही सही कसूर पूरी कर दी है। अवैध मुस्लिम मीट मार्केट के एक बड़े इलाके में हर वक्त जाम सरीखे हालात मिलेंगे। हाइवे पर लगने वाले जाम की बड़ी वजह मुस्लिम मीट मार्केट को माना जाता है। दिन का वक्त हो या फिर देर रात का खड़ौली के अवैध मुस्लिम होटलों के सामने हर वक्त हाइवे पर गाड़ियां खड़ी मिलेंगी ना कोई रोकने वाला ना कोई टोकने वाला। यहां कभी भी कोई कार्रवाई एनएचएआई या फिर टोल स्टाफ ने की हो ऐसा याद नहीं पड़ता।
सबसे ज्यादा असुरक्षित
परतापुर बाईपास से लेकर रामपुरम तिराहा (मुजफ्फरनगर) तक करीब 72 किमी लंबा यह हाईवे एक्सीडेंट फ्री नहीं हो पा रहा है। हाईवे पर दुर्घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। इसके लिए सबसे ज्यादा एनएचएआई और टोल कंपनी जिम्मेदार हैं। ये यहां पर टोल के रूप में अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं। वहीं, हाईवे पर जगह-जगह खुले कट दुर्घटनाओं को बढ़ा रहे हैं। इनसे निकलने वाले वाहन हाईवे पर तेजी से गुजरते वाहनों से दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं। यही कारण है कि हाईवे सुरक्षित नहीं है। ये कट ग्रामीणों, बिल्डरों और व्यापारियों ने खोल रखे हैं। इसका खामियाजा हाईवे पर चलने वाले यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है। इसके बावजूद एनएचएआई और टोल कंपनी के अधिकारियों को ये कट नहीं दिखाई दे रहे हैं।
नियमानुसार नहीं खुलने चाहिए कट
एनएचएआई और टोल कंपनी के अफसरों की मानें तो नियमानुसार हाईवे पर अवैध कट खुलना अपराध की श्रेणी में आता है। यहां कट खोलने वालों पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। हाईवे पर कई जगह कट खुले हैं। जिस कारण हादसे बढ़ रहे हैं। इन हादसों को रोकने के लिए स्थानीय लोगों को भी जागरूक होना चाहिए। स्थानीय लोगों के जागरूक होने की बात करने वाले अफसर अपने स्टाफ की कारगुजारियों पर बोलने को तैयार नहीं है। उनके पास इस बात का कोई उत्तर नहीं है कि हाइवे पर जगह-जगह खोखा नुमा दुकानें क्यों खुलवादी गई हैं।
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