1915 में नागपुर लौटने के बाद वे कांग्रेस में सक्रिय हो गए। कुछ ही समय में वे विदर्भ प्रांतीय कांग्रेस कमिटी के सचिव बने
नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार (जिन्हें हेडगेवार कहा जाता है) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य और सक्रिय कार्यकर्ता रहे हैं। उनको लेकर एक अन्य चौंकाने वाली जानकारी यह भी बतायी जाती है कि अंग्रेजों के खिलाफ जब असहयोग आंदोलन चल रहा था तो कांग्रेस के सभी बड़े नेता गिरफ्तार किए जा रहे थे। उसी क्रम में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार को भी अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया था। बताया जाता है कि उस वक्त गांधी जी ने उनसे कहा था कि अपनी ओर से कोई वकील कोर्ट में ना खड़ा करना और जो भी सजा ब्रिटिश कोर्ट दे उसको मान लेना। उस दौरान आंदोलन में भाग लेने वालों को एक-एक साल कैद ए बामशकत दी जा रही थी। इतिहासकारों की मानें तो जेल जाने के डर से हेडगेबार ने अपनी ओर से एक वकील खड़ा कर दिया कोर्ट में जिरह हुई, लेकिन अंग्रेजों ने पहले से ही तय किया हुआ था कि सभी कांग्रेसियों को जेल भेजना है सो हेडगेवार को भी एक एक साल का लिए जेल भेज दिया गया।
स्रोतों से संक्षिप्त जानकारी:
- कांग्रेस से जुड़ाव का समय: 1915 में नागपुर लौटने के बाद वे कांग्रेस में सक्रिय हो गए। कुछ ही समय में वे विदर्भ प्रांतीय कांग्रेस कमिटी के सचिव बने।
- मुख्य भूमिकाएं और गतिविधियां:
- 1920 में नागपुर कांग्रेस अधिवेशन में उन्होंने पूर्ण स्वराज (पूर्ण स्वतंत्रता) का प्रस्ताव रखा, हालांकि वह पारित नहीं हुआ।
- 1921 के असहयोग आंदोलन में भाग लिया, जिसके कारण उन्हें एक वर्ष की जेल हुई।
- 1930 के नमक सत्याग्रह (नमक कानून विरोधी आंदोलन) में भी उन्होंने व्यक्तिगत रूप से भाग लिया, हालांकि संघ के सदस्यों को इसमें शामिल होने से रोका।
- कांग्रेस से अलगाव: 1925 में आरएसएस की स्थापना के बाद उनका कांग्रेस से मोहभंग हो गया। वे हिंदू संगठन और राष्ट्र निर्माण पर अधिक जोर देने लगे। 1933 में कांग्रेस ने आरएसएस, हिंदू महासभा आदि से दूरी का प्रस्ताव पारित किया, जिससे औपचारिक रूप से संबंध टूट गए।
- हेडगेवार का शुरुआती जीवन क्रांतिकारी गतिविधियों (अनुशीलन समिति से जुड़ाव) और कांग्रेस के माध्यम से स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा रहा।