वैद्यों के भगवान धनवंतरी, समुद्र मंथन से प्रकट हुए बताया, लेकिन समुद्र मंथन से अमृत कलश लेकर तो रूपसी नारी हुई थी प्रकट
नईदिल्ली /वाराणसी। धनतेरस क्यों मनाया जाता है इसको लेकर जो खुद को ज्ञानी कहते नहीं अंघाते या जिन्हें लोग ज्ञानी मांनते हैं उनकी अलग अलग राय है। यह बात सही है कि आयुर्वेद जिनकी देन है उनको धनवंतरी कहा जाता है,, हालांकि कुछ अन्य ज्ञानियों का कहना है कि आयुर्वेद तो भगवान चरख या ऋषि चरख की देन है। फिर धन तेरस मनाने की क्या वजह है। कुछ ज्ञानियों का मानना है कि जब समुंद्र मंथन चल रहा था तो उसी समय भगवान धनवंतरी भी प्रकट हुए थे उनके हाथ में अमृत कलश था। यह स्टोरी कुछ समाचार पत्रों ने भी छापी है और चेनलों ने चलायी है, लेकिन कुछ पंड़ितों ने इसको खारिज कर दिया। उनका कहना है कि जब समुंद्र मंथन हुआ था तो अमृत कलाश लेकर रूपसी नारी प्रकट हुई थी।
यह है कथा अमृत कलश की
समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश लेकर प्रकट होने वाली सुंदर नारी मोहिनी थीं, जो भगवान विष्णु का ही एक रूप थीं। मोहिनी ने देवताओं को अमृत पिलाने और असुरों का ध्यान भटकाने के लिए यह मोहक रूप धारण किया था। मोहिनी अत्यंत सुंदर थीं और उनका रूप इतना मनमोहक था कि सभी असुर और दानव उन पर मोहित हो गए थे। उसी का फायदा उठाकर मोहिनी ने देवताओं को अमृतपान करा दिया। ताे फिर धनवंतरी वाली थ्योरी तो यहां आकर झूठी मान ली जाए या गलत मान ली जाए।
यह हाेता है धनतेरस को
धनतेरस दिवाली पर्व की शुरुआत का पहला दिन माना जाता है। इसे ‘धनत्रयोदशी’ भी कहा जाता है, जो कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है। इसधनत वर्ष धनतेरस 18 अक्तूबर 2025 को मनाई जा रही है। इस दिन खरीदारी का विशेष महत्व है। धनतेरस समृद्धि का पर्व है