हाईवे के अवैध होटल ढावों पर क्रॉस के लाल निशान लगाकर भूले मेडा अफसर
हाइवे पर करीब बीस गज ग्रीन बेल्ट पर अवैध होटलों व ढांवा संचालकों का कब्जा
एनजीटी की सख्ती के बाद ग्रीन बेल्ट मुक्त कराने के लिए लगाए थे क्रॉस के लाल निशान, कार्रवाई के नाम पर कांपने लगते हाथ
नई दिल्ली/ मेरठ। एनजीटी (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) के आदेशों के बाद मेरठ विकास प्राधिकरण के कुछ भ्रष्ट अफसरों ने बजाए हाइवे की ग्रीन बेल्ट मुक्त कराने के बजाए ग्रीन बेल्ट को निगलने वाले कई और अवैध होटलों, ढावों और रेस्टोरेंटों का निर्माण करा दिया है। एनएच-58 पर दस से पंद्रह गज तक ग्रीन बेल्ट को अवैध होटल ढावे वालों ने कब्जा लिया है। एनजीटी ने मेडा अफसरों को हाईवे के किनारे की हरित पट्टी को अवैध कब्जों से मुक्त कराने के लिए कई बार आदेश दिए हैं। लेकिन NH-58 ग्रीन बेल्ट पर अवैध होटलों और ढाबों का निर्माण जारी है, जो एनजीटी के आदेशों का उल्लंघन है। मेडा अधिकारियों द्वारा गैर-मानचित्रित स्वीकृति और इंजीनियरों की मिलीभगत से इन अवैध ढांचों को बनने दिया जा रहा है। इतना ही नहीं मेडा के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की कारगुजारी के चलते हाइवे की ग्रीन बेल्ट ही पूरी तरह से गायब हो गयी। माना जा रहा है कि लगभग पंद्रह गज ग्रीन बेल्ट कब्जा करा दी गयी है।
लगातार फटकार के बाद भी कब्जे
एनजीटी की लगातार फटकार के बाद भी मेडा अफसरों का रवैया हाइवे की ग्रीन बैल्ट पर कब्जा कराने का नजर आता है। हालांकि एनजीटी ने स्पष्ट किया है कि अगर अधिकारी इन आदेशों का पालन करने में विफल रहते हैं, तो उनके खिलाफ नागरिक और आपराधिक कार्रवाई की जा सकती है, जिसमें सिविल कारावास भी शामिल हो सकता है। हाइवे की ग्रीन बेल्ट में कई अवैध होटल और ढाबे बने हैं, जो पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करते हैं। एनजीटी के स्पष्ट सख्त व आदेशों के बावजूद इन अवैध ढांचों को बनने दिया जा रहा है।
एनजीटी का मेडा को प्रमुख आदेश
एनजीटी ने 16 अक्टूबर 2018 को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया, जिसमें मेडा को हाइवे के किनारे ग्रीन बेल्ट में अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया। इसमें ढाबे, रेस्टोरेंट, होटल जैसे अवैध निर्माणों को तत्काल हटाने और पौधरोपण कराने का आदेश था। इसको लेकर एनजीटी ने एनएचएआई को भी एक महीने में एक्शन प्लान तैयार करने को कहा। आदेश में यह भी कहा गया था कि ग्रीन बेल्ट पर्यावरण संतुलन, प्रदूषण नियंत्रण और जल संरक्षण के लिए आरक्षित है। अवैध निर्माण इससे खतरा पैदा करते हैं। इसके बाद साल 2021 के एक अन्य आदेश में ग्रीन बेल्ट के लिए आरक्षित भूमि पर कोई भी निर्माण (रिहायशी या व्यावसायिक) नहीं हो सकता। चाहे सरकारी हो या निजी, इसका दुरुपयोग वर्जित है। लेकिन मेडा के कुछ भ्रष्ट अफसरों से ग्रीन बेल्ट के खड़ौली हिस्से में पूरा मुस्लिम मीट मार्केट आबाद करा दिया। इससे बड़ी उनकी कारगुजारी होटल वन फेरर है। जिसको देखकर भी मेडा के भ्रष्ट अफसर आंखों पर भ्रष्टाचार की पट्टी बांधे हुए हैं। एनजीटी ने 20 जनवरी 2021 को उत्तर प्रदेश सरकार को ग्रीन बेल्ट पर सख्त निगरानी रखने का निर्देश दिया। एनजीटी से शिकायत की गयी थी कि शहर में पार्क, ओपन स्पेस और ग्रीन बेल्ट पर अवैध बिक्री व निर्माण हो रहे हैं, उसके बाद आदेश दिए गए थे। साथ ही मेडा को ग्रीन बेल्ट पर कब्जे के मामले में 250 से अधिक अवैध निर्माणों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने को कहा गया। शहरी विकास विभाग के प्रमुख सचिव को नियमित समीक्षा का आदेश दिया। एनएच-58 के किनारे परतापुर से मोदीपुरम तक ग्रीन वर्ज (ग्रीन बेल्ट) में अवैध होटल-ढाबों काे हटने की कार्रवाई की जानी थी।
बस इतना भर हुआ था
साल 2922 में मेडा के तत्कालीन उपाध्यक्ष अभिषेक पांडे ने हाइवे के ग्रीन वर्ज का दौरा किया और अवैध निर्माण (होटल, रेस्टोरेंट) रोकने के लिए अधिकारियों से सवाल किए। परतापुर-मोदीपुरम खंड में बुलडोजर कार्रवाई की चेतावनी दी व ग्रीन बेल्टों पर बने होटल ढावों पर क्रॉस के लाल निशान लगाए गए लेकिन उसके बाद मेडा के अफसर सब भूल गए और आज तक ग्रीन बेल्ट को मुक्त कराने के एनजीटी के आदेशों को भूले ही बैठे हैं। जहां डिमार्केशन किया गया था वहां अब तमाम होटल व ढावों में आलिशन एसी डाइनिंग रूम बन कर मेडा अफसरों को चिढाते नजर आते हैं।