किसी ब्राह्मण को जिम्मेदारी दिए जाने की अटकलें, पूर्वी उत्तर प्रदेश में सपा की काट को ब्राह्मण पर दाव संभव, डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी और डा. ब्रजेश पाठक के नाम की चर्चा
नई दिल्ली/लखनऊ/मेरठ। उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह साल 2022 से पिच पर डटे हुए हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि उन्होने संगठनात्मक तौर पर काफी कुछ किया है। लेकिन माना जा रहा है कि नए चेहरे की सरगर्मी से तलाश की जा रही है, यदि पंचायत चुनाव से पहले प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बदला जाता है तो कौन हो सकता है देश के सबसे बड़े उत्तर प्रदेश भाजपा का अगला अध्यक्ष। सूत्रों की मानें तो किसी ब्राह्मण को यह जिम्मेदारी दी जा सकती है। और यदि वाकई ऐसा होता है तो संगठन इसके लिए जिनको मुफीद मान कर चला रहा है उनमें प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष व राज्यसभा सदस्य डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक का नाम लिया जा रहा है। याद रहे कि डॉ. लक्ष्मीकांत वाजपेयी उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष 16 अगस्त 2002 से 25 जून 2016 तक रहे थे। भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि यदि किसी ब्राह्मण को तरजीह दी जाती है तो डा. वाजपेयी या फिर ब्रिजेश पाठक के अलावा कोई तीसरा नाम अभी नहीं है। यह भी बताया गया है कि पूर्वीै उत्तर प्रदेश के राजनीतिक गणित को ध्यान में रखते हुए ऐसा किया जा सकता है। यदि ओबीसी पर दांव लगाया जाता है तो फिर स्वतंत्र देव सिंह जल शक्ति मंत्री का नाम चर्चा में है।
कभी भी नाम का एलान
भाजपा सूत्रों की मानें तो संगठन का प्रयास है कि पंचायत चुनाव में उतरने से पहले प्रदेश भाजपाध्यक्ष के नाम का एलान कर दिय जाए। इसके लिए काफी वर्क किया भी जा चुका है। अब केवल नाम के एलान की औपचारिका भर है। यह तय है कि साल 2027 के यूपी विधानसभा के चुनाव में भाजपा अपने नए अध्यक्ष के साथ चुनावी महा समर में उतरने जा रही है।
इनके नाम की भी है चर्चा
प्रदेश भाजपाध्यक्ष के लिए ब्राह्मण व ओबीसी कोटा की चर्चा के इतर जिन अन्य नामों की खासी चर्चा है उनमें स्वतंत्र देव सिंह, प्रदेश अध्यक्ष, धर्मपाल सिंह पशुधन मंत्री, बाबूराम निषाद, अमरपाल मोर्य, डा. ब्रजेश पाठक डिप्टी सीएम, केशव प्रसाद मोर्य, दिनेश शर्मा और डा. लक्ष्मीकांत वाजेपयी राज्यसभा सदस्य व पूर्व प्रदेाश अध्यक्ष शामिल हैं।