सांसों पर भारी प्रदूषण हा-हाकारी

kabir Sharma
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प्रदूषण के चलते शहर देहात सभी बीमारी की चपेट में, सांसों व आंखों के रोगी मुसीबत में, हालात होंगे गंभीर

नई दिल्ली/ मेरठ। कोहरा और प्रदूषण सांसों पर भारी पड़ रहे हैं। प्रदूषण की वजह से बीमारियों पांव पसार चुकी हैं। आंखों में एलर्जी के मरीजों में एकाएक तेजी आ गयी है। साथ ही प्रदूषण के चलते दिल के रोगियों पर यह मौसम भारी पड़ रहा है। प्रदूषण की हालात कितनी खराब है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शहर के आउटर इलाकों में सुबह कार व बाइक से चलना भारी होता है। चारों ओर धुंआ व धुंध नजरआती है।

खतरे के निशान से 18 गुना ज्यादा प्रदूषण

सर्दी की दस्तक के साथ मेरठ की हवा जहरीली हो चुकी है। घने कोहरे और प्रदूषण का घातक मिश्रण शहरवासियों की सांसों पर भारी पड़ रहा है, जिससे सांस संबंधी बीमारियां रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं। पर्यावरण पर काम करने वाले मनजीत सिंह बताते हैं कि मेरठ में एयर क्वालिटी इंडेक्स (एआईक्यू) 394 तक पहुंच चुका है, जो ‘सीवियर’ श्रेणी में आता है। इसको खतरे के निशान से 18 गुना ज्यादा दर्ज किया गया है। जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सीमा से 18 गुना अधिक है। सीनियर डाक्टर संदीप जैन बताते हैं कि अस्पतालों में सांस की तकलीफ वाले मरीजों की संख्या 5 गुना बढ़ गई है, खासकर अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और सीओपीडी के केस तेजी से बढ़ रहे हैं। बाल रोग विशेषज्ञ डा. शिशिर जैन का कहना है कि बच्चो को लेकर बेहद सावधानी बरती जरूरी है।

सुबह शाम घने कोहरे के साथ प्रदूषण की चादर

महानगर में सुबह-शाम घना कोहरा छाया रहता है, जो प्रदूषकों को हवा में लटकाए रखता है। मौसम विभाग के अनुसार, ठंड बढ़ने से हवाओं की गति कम हो गई है, जिससे स्मॉग की परत मोटी हो रही है। शहर के विभिन्न इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स का हाल इस प्रकार है:

इलाकाAQI स्तरमुख्य प्रदूषक (PM2.5 µg/m³)स्थिति
पल्लवपुरम फेज 2322322हैजर्डस
जयभीम नगर553500+गंभीर
गंगानगर443400+गंभीर
शास्त्री नगर300250खराब
समग्र मेरठ394273सीवियर

नवंबर की शुरुआत से ही प्रदूषण बढ़ा है – 2 नवंबर को AQI 370 था, जो 11 नवंबर तक 528 तक पहुंच गया। मुख्य कारण: कचरे की आग, वाहनों का धुआं, निर्माण कार्य और पड़ोसी राज्यों से आने वाली पराली का धुआं। NCR में GRAP-3 लागू होने के बावजूद मेरठ यूपी का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर बना हुआ है।

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फेंफड़ों पर स्माकिंग सरीखा असर

चिकित्सकों का कहना हे कि प्रदूषण के कण फेफड़ों की गहराई तक पहुंचकर सूजन पैदा कर रहे हैं। कैलाश अस्पताल के चेस्ट फिजीशियन डॉ. ए.एस. संध्या ने बताया, “OPD में 70% मरीज सांस की तकलीफ से आ रहे हैं। अस्थमा अटैक, खांसी और सांस फूलना आम हो गया है।” केजीएमयू के डॉ. सूर्यकांत ने चेतावनी दी, “प्रदूषण से न केवल श्वसन तंत्र प्रभावित हो रहा, बल्कि हृदय रोग और कैंसर का खतरा भी बढ़ा है। जागरूकता और समय पर इलाज जरूरी है।”

बच्चे व बुर्जुगों को ज्यादा खतरा

बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा रोगियों पर सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली-NCR में रहने वाले गैर-धूम्रपानियों के फेफड़े स्मोकिंग करने वालों जितने काले पड़ गए हैं। मेरठ के सीएमओ डॉ. अशोक कटारिया ने कहा, “गले, आंखों और सांस के मरीजों में इजाफा हो रहा है। आंखों में जलन, सिरदर्द और निमोनिया के केस बढ़े हैं।” डाक्टरों का कहना है कि सुबह 6-10 बजे और शाम 5-8 बजे घर पर रहें। एन95 मास्क लगाएं, गुनगुने पानी से गरारे, हल्दी दूध पिएं। स्टीम लें, लेकिन अस्थमा वाले सावधान रहें, बच्चे-बुजुर्ग घर पर ही रहें। एयर प्यूरीफायर चलाएं, खिड़कियां बंद रखें।

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