प्रयागराज/ मेरठ। शिक्षा अधिकारियों की कार्यप्रणाली से हाईकोर्ट व शिक्षा निदेशक सख्त नाराज हैं। हाईकोर्ट ने फटकार लगाने के अंदाज में कहा है कि प्रदेश भर के शिक्षा अधिकारियों व लखनऊ में बैठे अफसरों की कार्यप्रणाली पर सख्त लहजे में नाराजगी व्यक्त की है साथ ही काम करने व निर्णय लेने के तरीकों को लेकर काबलियत पर सवाल उठा दिए हैं।
महकमे के शिक्षकों व लिपिक तथा अन्य कर्मचारियों के स्पष्टीकरण का संज्ञान लिए बगैर ही आदेश किए जाने पर लगायी फटकार
हाईकोर्ट की नाराजगी के बाद शिक्षा निदेशक (बेसिक) प्रकाश सिंह बघेल ने प्रदेश भर के शिक्षा अधिकारियों कर्मचारियों के मामले में आदेश जारी करने से पहले सोचे। शिक्षा निदेशक ने आदेश में कहा है कि जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा सुविचारित एवं तर्कसंगत आदेश नहीं जारी किए जा रहे हैं। उन्होंने इसको लेकर प्रदेश भर के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को भेजे गए आदेश में कहा है कि हाईकोर्ट द्वारा पारित किए गए आदेशों के अनुपालन में कर्मचारियों के हित जहां प्रभावित हो रहे हों ऐसे तमाम मामलों में संबंधित कर्मचारी को बगैर सुनवाई का मौका दिए ही आदेश पारित किए जा रहे हैं। शिक्षा निदेशक ने नाराजगी का इजहार करते हुए कहा है कि बीएसके आदेशों में विधिक व्यवस्था व शासनादेश एवं विभागीय कायदे कानूनों का पालन नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा है कि बेसिक शिक्षा अधिकारी कर्मचारियों के उत्तर व स्पष्टीकरणों का संज्ञान लिए बगैर ही आदेश पारित कर रहे हैं। पत्र में फटकार लगाते हुए कहा गया है कि हाईकोर्ट के पारित आदेशों के अनुपालन में जिन प्रकरणों में शिक्षकों एवं कर्मचारियों का प्रभावित हो रहा है, ऐसे प्रकरणों में संबंधित को सुनवाई का अवसर प्रदान करते हुए विधिक व्यवस्था व शासनादेश एवं विभागीय नियमों का उल्लेख करते हुए स्वत: स्पष्ट व सुसंगत आदेश निगत किए जाएं। पत्र में कहा गया है कि आदेशों का गंभीरता से अनुपाल किया जाए। शिक्षा निदेशक बेसिक ने इस संबंध में अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा उत्तर प्रदेश शासन, महानिदेशक स्कली शिक्षा यूपी शासन व सचिव उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिष प्रयागराज को भी उक्त विषयों पर लिए गए निर्णय की जानकारी पत्र के जरिये भेजी है।
लंबी फेरिस्त है मेरठी अफसरों की कारगुजारियों की
हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा अधिकारियों द्वारा विभाग शिक्षक व कर्मचारियों से संबंधित मामलों में लिए जाने वाले जिन मामलों को लेकर नाराजगी जतायी है उसकी मेरठ में एक लंबी फेरिस्त है। अधिकारियों की गैर जिम्मेदारा कार्रवाईयाें की बात करें तो निमिषा तिवारी, शाबिस्ता सुलतान, कृष्ण कुमार त्यागी सरीखे तमाम मामले हैं जिनमें पीडित शिक्षकों को हाईकोर्ट की शरण में जाना पड़ा उसके बाद ही उन्हें इंसाफ मिल सका। अन्यथा अधिकारियों ने उनके कैरियर का नुकसान करने में कोई कोरकसर नहीं छोड़ी थी।
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