हाइवे रात में डेंजर जोन

kabir Sharma
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दिल्ली देहरादून हाइवे रात में डेंजर जोन, यहां पहले भी कई हादसे, नजर आ रही मौत सिर पर मंडराती

होटलों ढावों में आने वाली गाड़ियों की पार्किंग हाइवे पर, रात में डेंजर जोन बन जाता है हाइवे, सब कुछ जानते हुए भी हाइवे चौकी पुलिस नहीं करती कोई कार्रवाई

New Delhi/मेरठ/ वाया मेरठ दिल्ली देहरादून हाइवे रात में डेंजर जोन बन जाता है। यहां पहले भी कई हादसे हो चुके हैं जिनमें लोगों की जान तक गई है और अभी भी जो हालत है उसमें भी मौत सिर पर मंडराती नजर आ रही है। हाइवे के हादसों को न्यौते की जानकारी होने के बाद भी पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है। मेरठ की सीमा में एनएच-58 पर कुल पांच थाने पड़ते हैं। इनमें परतापुर, जानी, टीपीनगर, कंकरखेड़ा, पल्लवपुरम और दौराला। इन पांचों ही थानों की यदि बात की जाए तो हाइवे में रात का सफर खतरों से भरा है।
सड़क किनारे के होटल ढावे
जिस खतरे की बात की जा रही है वो हाइवे पर सड़क किनारे बने होटल ढावों की वजह से है। हाइवे की दोनों ओर सड़क पर अनगिनत ढावे हैं। इन ढावों पर रूकने वाले तमाम वाहनों की पार्किंग रोड़ पर होती है। सबसे बुरा हाल हाइवे के जानी और टीपीनगर तथा कंकरखेड़ा इलाके का है। हाइवे का खडौली इलाके में जानी और टीपीनगर थाने की सीमा आमने सामने लगती हैं। यही पर मुस्लिम होटल व ढावों की मार्केट है। खड़ौली के मुस्लिम मार्केट की बात करें तो यहां पर आमतौर पर हैवी गाड़ियां जैसे लंबी दूरी के ट्रक और वोल्वो सरीखी गाड़ियां रूकती हैं। इनकी संख्या इतनी ज्यादा होती है कि जहां होटल या ढावा होता है उसकी पार्किंग में समा जाएं। खडौली के मुस्लिम मार्केट ही नहीं दो चार बडे होटल ढावों को यदि अपवाद मान लिया जाए तो किसी भी होटल ढावे की के पास खुद की पार्किंग नहीं हैं। खडौली का मुस्लिम मार्केट तो इस मामले में खासतौर से बदनाम है। हाइवे पर जितने भी जाम लगते हैं उसकी वजह खडौली का यह मुस्लिम मार्केट ही होता है। यहां रात रूकने वाले तमाम हैवी वाहनों की पार्किंग हाइवे पर होती है। इसके बाद जो दूसरा सबसे बड़ा डेंजर जोन वो है कंकरखेड़ा का जटौली रेलवे क्रासिंग पास पुलिस चौकी हाइवे कृष्णा पब्लिक स्कूल वाला इलाका।

रात भर हंगामा, सब पुलिस की नजरों में

इस इलाके में बड़ी संख्या में ढावे नुमा होटल हैं। इनमें वैज व नॉन वैज पर्याप्त संख्या में है। पास ही अंग्रेजी शराब का ठेका है। यहां पूरी रात अराजकता सरीखी स्थिति रहती है। दरअसल इन होटल ढावों पर आमतौर पर वो ही पहुंचते हैं जिन्हें रात में सरूर का शौक होता है। ये होटल ढावे वाले भी अपने ग्राहकों को पीने पिलाने की सहूलियत मुहैय्या करते हैं। दरअसल पीने पिलाने के बाद खान इन्हीं होटल ढावों पर लोग खाते हैं। नॉन वैज और फिर शराब की उपलब्धता के चलते हाइवे पर यह इलाका सबसे ज्यादा बवाली बन गया है। यहां रूकने वालों की गाड़ियां रोड पर ही पार्क होती हैं। कई बार तो रोड का आधा हिस्सा पार्क होने वाली लग्जरी गाड़ियों के कब्जे में होता है। ऐसा नहीं कि यहां की अराजकता से पुलिस अनभिज्ञ हो, जहां यह सब होता है उसके ठीक सामने और पास ही थाना कंकरखेड़ा की हाइवे पुलिस चौकी है। उसके बाद भी न कोई रोक ना कोई टोक।

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