शासन और डीएम की सख्ती के बाद भी शिकायतों पर गंभीर नहीं जांच अधिकारी, बयान दर्ज किए बगैर ही आॅफिस में बैठकर निपटायी जा रहीं हैं जांच
मेरठ। मुख्यमंत्री योगी की प्राथमिकताओं और समीक्षा बैठकों में जिलाधिकारी की लगातार हिदायतों के बाद भी शासन के आईजीआरएस पोर्टल व प्रशासन व पुलिस के बड़े अधिकारियों के यहां की जाने वाली शिकायतों पर उनकी जांच करने वाले अधिकारी गंभीर नजर नहीं आते। शिकायतों की जांच के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है। सबसे बुरा हाल पब्लिक डिलिंग वाले सरकारी दफ्तरों का है। इन्हीं में से एक है राशनिंग आफिस यानि जिला आपूर्ति कार्यालय (डीएसओ)। ओपी गुप्ता सेवा संस्थान के संजीव गुप्ता ने मंडलायुक्त कार्यालय में एक अगस्त को की शिकायत में अवगत कराया था कि मैसर्स असगरी बेगम अहमद नगर के नाम से संचालित राशन की दुकान जिस पर मैसर्स कमरजहां की दुकान भी संबद्ध इसका लाभ नसीर अहमद नाम का शख्स जो मैसर्स नवीन उपभोक्ता श्याम नगर का सेल्स मैन है और इस दुकान पर भी मैसर्स नवीन उपभोक्ता शकूर नगर संबंध है। इस प्रकार से नसीर अहमद एक साथ चार-चार दुकानों का संचालन कर रहा है।
मंडलायुक्त को दिए गए पत्र में अवगत कराया गया कि तीन जून 2025 को मैसर्स असगरी बेगम की दुकान पर अचानक पहुंचकर डीएसओ, एआरओ व सप्लाई इंस्पेक्टर ने जब निरीक्षण किया तो वहां खाद्यान में भारी अनियमितता पायी गयी। नियुमानुसार ऐसे मामलों में एफआईआर का प्रावधान है, लेकिन महज चार्जशीट देकर हाथ झाड़ लिए गए। यह भी बताया गया कि इसके बाद आरोपी ने ही 90 वर्षीया असगरी बेगम के खुद ही फर्जी साइन बनाकर कथित रूप से झूठा शपथ पत्र दे दिया। यह भी आरोप है कि इलेक्ट्रिोनिक कांटे पर डमी बांट रखकर ईपास मशीन में अंगूठा लगवाकर पर्ची देकर चार दिन आने की बात कहता है, जब वहां कार्ड धारक पहुंचता है तो उसको बजाए खाद्यान देने के बीस रुपए किलो की दर से जितनी यूनिट का राशन जाता है, उतने पैसे पकड़ा देता है। डीएसओ, एआरओ व सप्लाई इंस्पेक्टर के निरीक्षण में ज्यादा खाद्यान पाने की वजह यही है। मंडलायुक्त के यहां इन्हीं आरोपों के लेकर शिकायत की गयी थी। शिकायतकर्ता संजीव गुप्ता का कहना है कि मंडलायुक्त से जांच आयी जांच का निरस्तारण करने से पहले शिकायतकर्ता के बयान तक नहीं लिए गए और आॅफिस में बैठकर ही जांच का शिकायत का निस्तारण कर दिया गया। अब इस संबंध में सीएम कार्यालय को शिकायत भेजी गयी है।
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