जैन मुनिश्री का संतोष संदेश, श्री 1008 शांतिनाथ दिगंबर जैन पंचायती मंदिर असौड़ा हाउस मेरठ में जैन मुनिश्री ने जीवन में संतोष और धन्यवाद का मंत्र अपनाओ का संदेश दिया। सोमवार को प्रातः 7:00 बजे अनुसरण सागर जी महाराज द्वारा मंदिर जी में अभिषेक एवं शांति धारा कराई गई। जिसके पश्चात प्रवचनों में मुनिश्री ने कहा कि जीवन में जो भी घटित होता है वह अच्छा हो रहा है, ऐसा मानना चाहिए। ईश्वर कभी भी किसी का गलत नहीं कर सकता। वैसे भी ईश्वर हमें सुख-दुःख नहीं देता, बल्कि हमारा किया हुआ पूर्व कर्म ही हमें सुख-दुःख देता है। ईश्वर के प्रति विश्वास रखने से जीवन का वास्तविक अर्थ सिद्ध हो जाता है। कोई कितना भी बड़ा विद्वान क्यों न हो, किन्तु प्रभु व गुरू के सम्मान बिना उसकी विद्या अधूरी है। जो शाश्वत है, अनंत रूप है ऐसे ईश्वर से प्रेम करो। हृदय से ईश्वर के प्रति सतत् एवं अनन्य प्रेम करना ही भक्ति है। मुनिश्री ने कहा कि जीवन में जो हो रहा है अच्छा हो रहा है, जो प्राप्त हो रहा है, वह पर्याप्त है। इसलिए जीवन में संतोष और धन्यवाद का मंत्र अपनाओ, जीवन अपने आप ही सहज हो जाएगा और प्रसन्नाता उसका प्रतिफल होगा। जिसने आत्मा की पूंजी को पा लिया और संसार की पूंजी नहीं पा सका तो जानना कि उसने सब कुछ पा लिया और अगर स्वयं को खो दिया और संसार को पा भी लिया तो समझना कि उसने मूलधन को खो दिया। आत्म-तत्व को उपलब्ध कर लिया और बाह्य वैभव छूट गया तो कोई बात नहीं आत्म-धन तो प्राप्त हो गया, जो जीवन का लक्ष्य है। जिसके बाद प्रातः 10:00 महाराज श्री को आहार हुआ जिसमें सुभाष अजय अमित संजय प्रतीक राकेश सुधीर एवं बच्चों में ऐशनि प्रज्ञा आगम और महिलाओं में आभा शोभा अंजू अनामिका शशि सभी ने मिलकर बड़ी ही शुद्धता से भोजन बनाया एवं महाराज एवं माताजी को आहार दिया। कल प्रातः 6:45 पर मंदिर जी में महाराज द्वारा शांति मंडल विधान कराया जाएगा। यह जानकारी प्रचार संयोजक राकेश कुमार जैन ने दी।