जांच में सामने आएगा सच, मेरठ। बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय का एक लिपिक रिटायर्ड प्रधानाचार्य के वेतन से गलत रिकबरी के मामले में फंस गया है। पीड़ित ने सोमवार को जिलाधिकारी को पूरे मामले से अवगत कराया। ब्रहमपुरी के इंद्रानगर निवासी रिटायर्ड शिक्षक बालेश्वर त्यागी ने बताया कि वह 30 जून 2014 को प्राइमरी विद्यालय से रिटायर्ड हुए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि विद्वेष के चलते उनके वेतन खाते से 1,79,925 की जबरन रिकबरी कर ली गयी थी। शिकायत किए जाने पर शासन ने दो बार जांच करायी गयी जिसके बाद 53,740 व 24, 440 रूपए की रकम विभाग को उनके खाते में डालनी पड़ी। बालेश्वर त्यागी ने बताया कि जांच के बाद उनके खाते में रिकबरी की जो रकम काटी गयी दोबारा डाला जाना इस बात का सबूत है कि वो रिकबरी बीएसए कार्यालय में तैनात एक साजिश थी। बालेश्वर त्यागी ने बताया कि स्कूल में निर्माण संबंधित जो भी काम कराए गए थे, वह संबंधित सभासद व अन्य लोगों की सहमति से कराए गए थे। उन्होंने जानकारी दी कि स्कूल व उनका खाता संयुक्त रूप से खुला था। उन्होंने आरोप लगाया कि बीएसए ने जो भी इस संबंध मे ंलिखा है वह पूरी तरह से भ्रामक है। यदि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करा दी जाए, तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा। डीएम को बताया कि खंड शिक्षा अधिकारी दौराला, सहायक शिक्षा अधिकारी प्रदीप कुमार व खण्ड शिक्षा अधिकारी खरखौदा ने जो जांच की है वो एक पक्षीय है। बालेश्वर त्यागी का कहना है कि उनका पक्ष तक नहीं सुना गया। जब पक्ष ही नहीं सुना गया तो फिर जांच कैसी। जिलाधिकारी को दिए गए प्रार्थना पत्र में उन्होंने खण्ड शिक्षा अधिकारी दौराला पर रिश्वत के चालिस हजार रूपए मांगने के गंभीर आरोप लगाते हुए पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराए जाने की मांग भी जिलाधिकारी से की। साथ ही उन्होंने जो गलत रिकबरी से उनके खासे निकाली गयी जो बकाया रकम रह गयी है उसको भी वापस कराए जाने की मांग है। जिलाधिकारी दीपक मीणा ने मामले की जांच के निर्देश दिए हैं।