कमल की राह में अपनों के कांटे

कमल की राह में अपनों के कांटे
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कमल की राह में अपनों के कांटे, कैंट बोर्ड मेरठ के प्रस्तावित वार्ड चुनाव में केंद्र व प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी की राह में कुछ अपने ही कांटे बिछाने पर तुले हैं। इसका सीधा फायदा विपक्ष या कहें निर्दलीय को होने से नहीं रोका जा सकता। पुराने भाजपाइयों खासतौर से उनका जो कैंट बोर्ड की राजनीति को करीब से समझते हैं, का मानना है कि यदि ऐसा हुआ तो इसका सीधा साइड इफैक्त आने वाले वक्त में बड़े चुनावों पर भी पड़ेगा। दरअसल हो यह रहा है कि भाजपा के केंद्र व राज्य की सत्ता में काविज होने की वजह से मजबूत दावेदार इस चुनाव में संगठन की मुसीबत बने हैं। वार्ड एक की यदि बात की जाए तो यहां निवर्तमान मैंबर रिनी जैन के पति अनंत जैन के अलावा कैलाश मेहता व आलोक रस्तोगी दावेदार हैं। अनंत जैन व कैलाश दोनों ही चुनाव लड़ने की ठाने हैं। भले ही टिकट मिले या न मिले। ऐसे में बीच का रास्ता आलोक रस्तौगी हो सकते हैं उनकी लाटरी संभव है। वार्ड दो में यदि रूझान की बात की जाए तो भाजपा संगठन के छावनी मंडल अध्यक्ष विशाल कन्नौजिया के पक्ष में पब्लिक में सुगबुगाहट है। कैंट के यदि आठ वार्ड की बात की जाए तो वार्ड दो ऐसा है जहां तमाम धर्म व संप्रदाय व जाति तथा वर्ग के इतर इस बार पब्लिक का मूड विशाल कन्नौजिया को लेकर साफ नजर आता है। इनके अलावा अजमल कमाल व शानू की भी चर्चा है, लेकिन लोगों का कहना है कि अजमल व शानू के बीच की लड़ाई का फायदा ही विशाल को मिलेगा। बड़ी बात यह है कि विशाल के पक्ष में बड़ी संख्या में मुस्लिम नजर आ रहे हैं। लेकिन एक सोची समझी राजनीति के तहत संगठन से नाराज बताए जाने वाले  कुछ लोगों ने डाेली गुप्ता का नाम उछाल दिया है। लेकिन तर्क दिया जा रहा है कि बेहतर होगा कि यदि डोली गुप्ता का नाम किसी महिला वार्ड से आगे चलाया जाए। वार्ड तीन में निवर्तमान उपाध्यक्ष बीना वाधवा को लेकर किसी प्रकार के इफ बट सरीखी कोई चीज नजर नहीं आ रही है। यहां यूं कहने को दावेदार कई और भी हैं, लेकिन बीना वाधवा का नाम अकेला सब पर भारी है इसमें किसी को कई शक या सुबहा नहीं है। यूं कहने को रविन्द्र पासी व लकी सेठी भी अपने परिवार की महिलाओं संग कतार में है। लेकिन इस वार्ड में संगठन कोई जोखिम मोल नहीं लेना पसंद करेगा, इसलिए बीना वाधवा हर लिहाज से फाइनल मानी जा रही हैं। वार्ड चार में निवर्तमान मैंबर नीरज राठौर, भाजपा युवा मोर्चा अध्यक्ष हरीश साहू, सीमा अग्रवाल, दीपक ऐलन, राजीव शर्मा, अंजली गुप्ता दावेदारों मे शामिल है। लेकिन जहां तक चुनाव की बात है तो अब चुनाव पैसे का रह गया है। इस मामले में फिलाहल नीरज राठौर ही भारी माने जा रहे हैं। इस वार्ड में कुछ दावेदार ऐसे भी हैं जिन्हें टिकट न भी मिलेगा तब भी वो लडेगे। वार्ड पांच में बोर्ड के निवर्तमान मैंबर अनिल जैन का पलड़ा भारी है, लेकिन जहां तक दावेदारी की बात है तो ममता गुप्ता पत्नी सांसद प्रतिनिधि अमन गुप्ता, राजेश सिंहल की पत्नी रीना सिंहल भी दावेदार हैं। लेकिन मुकाबला अनिल जैन व ममता गुप्ता के बीच टिकट को लेकर है। वार्ड छह में भाजपा से टिकट मांगने वालों में गौरव गुप्ता व नितिन बालाजी के अलावा सुधीर रस्तौगी का नाम भी लिया जा रहा है। वार्ड छह में भाजपा का टिकट तय करेगा कि किस में कितना है दम और संगठन पर कितनी है पकड़। वार्ड सात में धर्मेन्द्र सोनकर का इकलौत टिकट हो सकता है। हालांकि इस वार्ड में चुनाव लडने वालों की लंबी कतार है। वार्ड आठ में पूर्व उपाध्यक्ष व मैंबर विपिन सोढी की पत्नी को लेकर माहौल नजर आता है लेकिन यहां गौरव हुरिया मांग रहे हैं। इस वार्ड में राजेश सेठी की पत्नी ममता का चुनाव लड़ना तय है।

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