नई दिल्ली। विधानसभा चुनाव में भाजपा का चौबीस घंटे साफ पानी का वादा था, लेकिन बूंद-बूंद पानी को तरसी रहे दिल्ली वाले अरविंद केजरीवाल को याद कर रहे हैं। वो उस घड़ी को कोस रहे हैं जब उन्होंने आम आदमी के बजाए भाजपा वालों के कहने पर अपना वोट देने का फैसला बदला। ग्राउंड जीरों पर जब यह संवाददाता पहुंचा तो लोगों का कहना था कि भले ही कुछ भी किया लेकिन केजरीवाली ने दिल्ली वालों को प्यासा नहीं रखा। मई जून के महीने में भी खूब पानी मिला, लेकिन चुनाव में पानी का वादा करने वाले भाजपा के नेता अब नजर भी नहीं आते। फोन काल्स तक नहीं उठाते। यह तो बात हुई पानी के लिए प्यासी दिल्ली की। अब बात कर लेते हैं कि पानी कि किल्लत हो क्यों रही है। सीमापुरी समेत तमाम ऐसे इलाके हैं जहां अब लोग केजरीवाल को याद कर रहे हैं। पहले पानी आता था वक्त पर और जाता भी देर से था अब पानी आता है देर में और चला भी जल्दी जाता है और जो आता है वो भी गंदा। लोगों की शिकायत है कि उनकी मोटर भी फुंक गई हैं।


दिल्ली में पानी की किल्लत कई कारणों से होती है, जिनमें प्रमुख हैं जल बंटवारे का विवाद, बढ़ती आबादी, जल वितरण प्रणाली का अद्यतन न होना, और जल की बर्बादी। दिल्ली को रोजाना 1250 एमजीडी पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन केवल 1005 एमजीडी ही उपलब्ध होता है, जिससे आधा पानी लीकेज या चोरी के कारण बर्बाद हो जाता है।
दिल्ली वालों को जब उक्त तर्क दिए गए तो उन्होंने कहा कि ये समस्याएं तो केजरीवाल के वक्त पर भी थीं, बल्कि तब ज्यादा थीं, लेकिन उसके बाद भी दिल्ली वालों को पानी की कमी नहीं होने दी गयी। कोई भी प्यासा नहीं रहा। अब पुरानी दिल्ली के एक बड़े इलाके की बात करें तो वहां या तो पानी आता ही नहीं और आता है तो ऐसा मानों नाले से सप्लाई किया जा रहा हो। पानी की सप्लाई की जहां तक बात है तो यह समस्या केवल पुरानी दिल्ली तक ही सीमित नहीं है। दिल्ली के तमाम इलाकों में पानी की कमी की शिकायत सुनने को मिल रही है। दिल्ली के लोग केजरीवाल को याद कर रहे हैं। वो उस घड़ी को कोस रहे हैं जब उन्होंने सोच समझ कर वोट नहीं किया। लोग बात-बात में आज केसरीवाल को याद करते हैं।