खाबरी जी! क्या है मेरा कसूर, मेरठ नगर निगम के महापौर का टिकट यूसुफ कुरैशी के हाथ क्या आया, एक हंगामा बरपा हो गया। उम्मीद नहीं की गयी थी कि हाथ आया टिकट छीनकर यूं यूसुफ कुरैशी के हाथ में थमा दिया, टिकट का यूं छीन लिया जाना व यूसुफ को थमाया जाना किसी झटके से ज्यादा अपमान जनक अधिक समझा जा रहा है। तैयारियां तो जुम्मा पढ़ने की चल रही थीं, लेकिन एकाएक खबर आयी कि चुनाव में उतरने की तैयारियां छोड़ो पहले खुद का टिकट बचाओ, तुमसे छिन कर टिकट यूसुफ कुरैशी को थमा दिया गया है। यह तीसरा बड़ा झटका था। यदि टिकट छीनना था को किसी अन्य को थमा देते यूसुफ कुरैशी को क्यों। लड़ाना ही था तो किसी अन्य को लडा दिया जाता। ब्राह्मण खेमा जिस कांग्रेसी को गोद में उठाए घूम रहा था, वो भी बुरा नहीं था। यूसुफ को टिकट का दिया जाना तीसरा झटका माना जा रहा है। एक साथ तीन-तीन झटके सो बगैर देरी किए जैसे बैठे थे, वैसे ही नहीं दिल्ली के लिए निकल गए। दरअसल खबर मिली थी के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ब्रजलाल खाबरी नई दिल्ली पहुंचे हुए हैं। मेरठ से दिल्ली दूर नहीं, सो बगैर देनी किए पूरी टीम लाव लश्कर के दिल्ली जा धमके। दिमाग में बस एक ही सवाल कि खाबरी जी बस इतना बता दो की मेरा कसूर क्या है। आप प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हैं और आप ने ही अपने हाथों से मेरठ महापौर का टिकट दिया और फिर टिकट काट दिया, यह आपकी भी बात पर सवाल है। वहीं दूसरी ओर राजनीतिक विश्लेषक मान खातसौर से पुराने कांग्रेसी भी मान रहे हैं कि यूसुफ की बात की जाए तो इसमें कोई दो राय नहीं कि वह नसीम कुरैशी से तो अच्छा ही चुनाव लड़ लेंगे। इसके अलावा कांग्रेसी इस सारे फसाद के पीछे संगठन से ज्यादा नसीम कुरैशी को कसूरवार मान रहे हैं। कुछ कांग्रेसी नसीम से जुड़ कुछ निजी कारणों को भी गिना रहे हैं। यूसुफ का टिकट होने की खबर मिलते ही बड़ी संख्या में कांग्रेसी उन्हें बंधाई दे रहे हैं।