कहीं उड़ ना जाए पावर का फ्यूज

कहीं उड़ ना जाए पावर का फ्यूज
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कहीं उड़ ना जाए पावर का फ्यूज,

-सीनियरों पर अनदेखी बड़े पदों पर जूनियरों को तजज्जो से असंतोष

-मृगांक दास भट्ट मिश्र के इस्तीफे  के पीछे कहीं नाराजगी को वजह नहीं

शेखर शर्मा

उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन में इन दिनों सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। पावर कारपोरेशन के निदेशक मृगांक दास भट्ट मिश्र के इस्तीफे की वजह कहीं सीनियरों की अनदेखी कर जूनियरों की बड़े पदों पर तैनाती किए जाने का एमडी का फैसला तो नहीं। सूत्रों की मानें तो यदि ऐसा है भी तो मृगांक दास भट्ट मिश्र का इस्तीफा इसकी शुरूआत भर है। आने वाले दिनों में उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन का फ्यूज उड़ाने वाले ऐसे कई समाचार सुनने को मिल सकते हैं। हालांकि निदेशक मृगांक दास भट्ट मिश्र ने अपने इस्तीफे की वजह निजी बतायी है। पावर कारपाेरेशन के निदेशक मिश्र का इस्तीफा एक इकलौती घटना नहीं जिसको लेकर पूरे महकमे में इन दिनों हलचल है।

पीवीएनएल में भी हलचल

पीवीवीएनएल के मेरठ विक्टोरिया पार्क स्थित ऊर्जा भवन की यदि बात की जाए तो यहां भी स्टाफ में जबरदस्त हलचल मची हुई है। सेवाकाल के दौरान अक्सर चर्चा में रहने वाले एक अफसर को जिस प्रकार से रिटायरमेंट के दिन ही नई नियुक्ति दी गयी उसको लेकर बाहर से नहीं बल्कि भीतर से सवाल खड़े किए जा रहे हैं। स्टाफ में सुगबुगाहट है कि यदि ऐसे ही दागददारों को नवाजा जाता रहा तो फिर खुद को दागदार करने की होड़  मच जाएगी।

जितनी ज्यादा गलतियां उतना बड़ा पुरस्कार

पश्चिमांचल के एक अधीक्षण अभियंता जिन पर अपने कार्यकाल के दौरान छह एमबीए के ट्रांसफार्मर को दस एमबीए का बजाए जाने और इस लापरवाही के चलते करीब पौने चार लाख का जुर्माना तथा इसके अलावा पांच इन्क्रीमेंट बैंक किए जाने की सजा के बावजूद रिटायरमेट के चंद घंटों के बाद ही या कहें तत्काल बाद 31 अक्तूबर को उन्हें एमडी का एडवाइजर बनाकर पुरस्कृत किए जाने पर भी सवाल उठ रहे हैंं। यह इकलौता मामला नहीं है। इसके अलावा बिजली चोरों के खिलाफ सघन अभियान चलाने वाले एक अन्य अफसर जो रेड से जुड़े थे, मुजफ्फनगर में एक सपा नेता के यहां बिजली चोरी पकड़े जाने की सजा के रूप में ट्रांसफर आदेश का थमा दिया जाना भी स्टाफ में नाराजगी की वजह  देखा जा रहा है। हालांकि यह भी सच है कि अधिकारित रूप से कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं।

रिटायरमेट की ऐज पर भी तूफान

पावर कारपोरेशन के निदेशकों की सेवानिवृत्त होने की उम्र 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष करने का राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने विरोध किया है। नियमावली का हवाला देते हुए उपभोक्ता परिषद ने कहा है कि बिजली चोरी करने के राजस्व निर्धारण को 65 प्रतिशत तक कम करने वाले निदेशक मंडल के सेवानिवृत्त होने की उम्र 60 करनी चाहिए। इसको लेकर महकमे में तूफान मचा हुआ है। विरोध करने वालों का कहना है कि इससे सबसे ज्यादा नुकसान उन काबिल इंजीनियरों का होगा जो प्रमोशन का बाट जोह रहे हैं। सूत्रों ने जानकारी दी है कि रिटायर्डमेंट की उम्र 62 से बढाकर 65 किए जाने को लेकर उठ रहे असंतोष के स्वर पावर कारपोरेशन का फ्यूज भी उड़ा सकते हैं। असंतोष को हलके में लेना महंगा पड़ सकता है।

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