शहर में ई-रिक्शा सुविधा के बजाए मुसीबत ही मुसीबत

शहर में ई-रिक्शा सुविधा के बजाए मुसीबत ही मुसीबत
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शहर में ई-रिक्शा सुविधा के बजाए मुसीबत ही मुसीबत,  मेरठ महानगर में ई रिक्शा से सुविधा कम और मुसीबत ज्यादा हो रही हैं। इनकी वजह से पूरे शहर का ट्रेफिक डि-रेल हो गया है। पीएल शर्मा रोड, लालकुर्ती पैठ एरिया, सदर बाजार के अलावा शहर घंटाघर का खैरनगर, बैली बाजार, कोटला, कबाड़ी बाजार,  लाला का बाजार, शहर सर्राफा बाजार और सबसे बुरा हाल जलीकोठी व अहमद रोड का बना हुआ है। उक्त इलाको में कई बार तो हालात इतने ज्यादा खराब होत हैं कि पैदल निकला भी दुश्वर हो जाता है।

राजस्व की हानि

ई रिक्शा चलाने वाले अक्सर बगैर लाइसेंस के निकलते हैं इससे राजस्व की हानि सूबे की सरकार को हो रही है। यदि लाइसेंस अनिवार्य कर दिया जाए तो पुलिस सख्ती से चैकिंग करे तो इ-रिक्शा सड़क पर निकलाने से पहले लाइसेंस बनवाएंगे इससे राजस्व मिलेगा। दूसरी बात यह कि ई रिक्शा की चार्जिंग अस्सी फीसदी घरेलू कनेक्शन से की जा रही है, जो अवैध है। दरअसल जितने ई रिक्शा दौड़ रहे हैं उस अनुपात में पीवीवीएनएल के कामर्शियल चार्जिंग स्टेशन नहीं है। यदि घरेलू कनेक्शन से ई रिक्श की बैट्री चार्ज की जा रही है तो वह भी राजस्व की हानि है।

जिम्मेदार कौन:

यदि यह मान लिया जाए कि महानगर में बड़ी संख्या में अवैध ई रिक्शा भी संचालित हो रहे हैं तो इसके लिए जिम्मेदार कौन है इलाके का थाना पुलिस या फिर ट्रेफिक पुलिस अथवा आरटीओ या फिर वो छुट भैय्ये नेता जिन पर अक्सर लोग थाने के दलाल का तमगा चस्पा कर देते हैं। या फिर वो जो इन ई रिक्शा से पुलिस के नाम पर उगाही करते हैं। जिम्मेदार कौन हो इसको लेकर बहस हो सकती है, लेकिन कायदे कानूनों को ताक पर रखकर संचालित किए जा रहे ई रिक्शा की वजह से पूरे महानगर के कई इलाके दिन में कई बार भयंकर जाम से रूबरू होते हैं।

ना उग्र की सीमा ना लाइसेंस का बंधन:

महानगर की सड़कों को रौंद रहे ई रिक्शा के हेंडल जिनके हाथों में नजर आते हैं उनमें अक्सर वो होते हैं जिनके लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती। जैंडर की बात करना तो बेमान होगा। अक्सर भीड़ वाले इलाकों में किशारों के हाथो में ई-रिक्शा के हैंडल नजर आते हैं या फिर ऐसे उम्रदराज भी ई-रिक्शा दौड़ाते देखे जा सकते हैं जो जिंदगी के सत्तर से ज्यादा बसंत देख चुके हैं। उम्र के इतर कभी भी ई रिक्शाओं के लाइसेंसों की चैकिंग होते नहीं देखी जाती।

नो एंट्री में जबरन एंट्री

महानगर के जिन इलाकोंं में ई रिक्शाओं की नो एंट्री के आदेश हैं वहां ये जबरन घुस जाते हैं। नतीजा दिन भर जाम के हालात। महानगर के आबूलेन व सदर बोम्बे बाजार जैसे प्रमुख इलाकों में ई रिक्शा की एंट्री पर रोक है, लेकिन इन इलाकों ई रिक्शा बे-रोकटोक दौड़ते भागते रहते हैं। इनकी वजह से उक्त इलाकों में दिन भर जाम सरीखे हालात होते हैं।

सुविधा नहीं, मुसीबत ही मुसीबत

शहर में ई-रिक्शा से लोगों को आने-जाने में सुविधा कम मुसीबत ज्यादा हो रही है। ले ई-रिक्शा का चलना शुरू हुआ। इसे सिर्फ मेन रोड में ही चलाने की अनुमति मिली। अब जहां देखो ई-रिक्शा ही दिखाई दे रहा है यह महानगर में ट्रैफिक जाम और एक्सीडेंट का कारण भी बन रहा है। ठोस रूल्स एंड रेगुलेशन नहीं होने के कारण धड़ल्ले से कोई भी ई-रिक्शा खरीदकर या फाइनेंस कराकर रोड पर उतर जा रहा है। ई-रिक्शा वाले अनाप-शनाप किराया लेकर पब्लिक की जेब काट रहे हैं।

बद-इंतजामी का आलम

नगर में बढ़ती ई-रिक्शों की संख्या अव्यवस्था फैला रही है। अवैध रूप से संचालित हो रहे अवैध ई-रिक्शों की संख्या दिनों दिन बढ़ रही है। शहर के किसी भी हिस्से में ई-रिक्शों की काफी संख्या नजर आ जाएगी। इनकी बढ़ती संख्या जाम के हालात पैदा कर रही है। प्रशासन की अनदेखी महानगर व  राहगीरों के लिए परेशानी का सबब है। जबकि प्रशासन इस और कोई ध्यान नहीं दे रहा है।दि ऐसे ही हालात रहे तो शहर ई-रिक्शों से भर जाएगा। जहां पैदल निकलना भी मुश्किल होगा। आम आदमी में प्रशासन की इस उदासीनता से रोष है। इन ई-रिक्शों के संचालन के लिए मानक तय होने चाहिए। जिससे शहर की व्यवस्था बनी रहे।

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