पावर किसी भी वक्त ब्लैक ऑउट

दसवीं पास बना दिए अवर अभियंता
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पावर किसी भी वक्त ब्लैक ऑउट,

-जेई के प्रमोशन के नाम पर घालमेल से हालात विस्फोटक

-45 फीसदी अंक वालों जेई के नीचे काम करेंगे 75 आईआईटी धारक

शेखर शर्मा

उत्तर प्रदेश पाव कारपोरेशन में  अवर अभियंताओं के प्रमोशन के नाम पर कथित रूप से जो खेल व घालमेल किया गया है, उससे भीतर ही भीतर सुलग रही नाराजगी की आग कभी भी भयंकर विस्फोट कर सकती है, यदि ऐसा हुआ तो फिर सूबे को रोशन करने का दम भरने वाले पावर कारपोरेशन में ब्लैक ऑउट हो जाएगा। इस सारे फायद की जड़ महकमे के वो उच्च पदस्थ माने जा रहे हैं जिन्होंने अपने चहेतों को प्रमोशन देने के चक्कर में तमाम कायदे कानून ताक पर रख दिए। और इसकी शुरूआत मुर्दों को प्रमोशन की सूची में शामिल करने से की गयी। जिसके खुलासे का काम भी सबसे पहले इस संवाददाता ने किया था। बाद में जब भारी फजीहत हुई तो बात लखनऊ तक जा पहुंची तब आनन-फानन में पीवीवीएनएल के मेरठ के विक्टोरिया पार्क ऊर्जा भवन में बैठने वाले अफसरों को गलती का अहसास हुआ। दिवंगतों के नाम सूची से बाहर किए गए। इतना ही नहीं सूची में अन्य जो खामियां उजागर की गयी थीं, उन्हें भी दुरूस्त करने का दावा किया गया, लेकिन वो नहीं किया जिसके चलते पावर कारपोरेशन स्टाफ की नाराजगी के चलते ब्लैक ऑउट के मुहाने पर जा पहुंचा है।

अज्ञानी हांकेंगे ज्ञानियों को

एक पुरानी कहावत है कि घोड़ों को नहीं मिल रही है घास……और खा रहे हैं च्यवनप्राश। जानकारों की माने तों  बिना तकनीकी ज्ञान वाले महज पैतालिस फीसदी  नंबर वाले काे अवर अभियंता बना दिया गया है। इसके इतर जो पिछत्तर  अंक वाले हैं और आईआईटी डिग्री  धारक हैं, उनकी कोई सुध नहीं ली गयी। जो डिजर्व करते हैं उनका नाम तक सूची में नहीं शामिल किया गया। जो दस-दस साल के काम का अनुभव रखते हैं, अवर अभियंता के पद पर प्रमोशन करते वक्त उन्हें ड्रॉप कर दिया गया। मुख्य अभियंता हाइडिल के कार्यालय द्वारा उन लोगों का प्रमोशन कर दिया गया हैं जिनका नियम 530 के आदेश के अनुसार पैतालिस  नंबर है, जबकि जिनके पास पिछत्तर नंबर हैं उनका परमोशन नहीं किया गया हैं।

सब कुछ नहीं चल रहा ठीक

जो हालात बने हुए हैं उसके चलते यही कहा जा सकता है कि मुख्य अभियंता हाईडिल में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। प्रमोशन के तरीके को लेकर जबदस्त आक्रोश है।  नियम 530 के अनुसार अहर्ता रखने वाले योग्य कर्मचारियों को दर किनार कर दिया गया। प्रमाेशन करने वालों ने बजाए महकमे के निजी हितों को तजज्जो दी गयी लगती है।

दस साल का तुर्जबा बेमाने

स्टाफ में सुगबुगाहट है कि काम का दस साल का तजुर्बा और आईआईटी की काबिलयत  रखने वालों की बजाय बिना तकनीकी ज्ञान रखने वालों का प्रमोशन कर दिया गया हैं। कुल 1353 में से एक तिहाई अर्थात 451 सीटों पर परमोशन की मंशा से नियम 187 के अनुसार तीन गुने की लिस्ट जारी की गई थीं, नियम अनुसार 1353 अर्ह कर्मचारी न मिलने पर 1353 अर्ह कर्मचारियों की लिस्ट 10 वर्ष का अनुभव रखने वाले अन्य कर्मचारियों को लेकर बनाते तो बेहतर होता।  जिसमें से 451 लोगों का अवर अभियंता पद पर चयन किया जाना था, लेकिन अहर्ता रखने वाले योग्य कर्मचारियों के अभाव में 451 की जगह केवल 302 लोगों की लिस्ट जारी कर दी गई है, जबकि परमोशन की इच्छा रखने वाले तकनीकी ज्ञान और 10–11 वर्ष का अनुभव पूर्ण करने वालों को उक्त 1353 की सूची में केवल अनैतिक लाभ की संभावना के कारण स्थान नहीं दिया गया जबकि वह सभी प्रकार से योग्य थें, नियम 530 के अनुसार ITI योग्यता वाले सभी प्रकार से अर्ह कर्मचारियो के 75 नंबर इस प्रकार से बैठते हैं।

हाईस्कूल – 30 अंक
आईटीआई – 35 अंक
अनुभव – 10 अंक (प्रतिवर्ष अनुभव का 1 नंबर) कुल अंक =75 अंक होता
जबकि बिना ITI योग्यता/ गैर तकनीकी ज्ञान वाले केवल विभाग में अनुभव रखने वालों का
हाईस्कूल – 30 अंक
अनुभव – 12 अंक (प्रतिवर्ष अनुभव का 1 नंबर) अधिकतम कुल अंक =42 अंक होता हैं ।

संशय हैं की चूंकि मुख्य अभियंता हाइडिल कार्यालय को वैध तकनीकी योग्यता धरियों से निजी स्वार्थ पूरी होने की संभावना नहीं थी, लेकिन अयोग्य, बिना तकनीकी ज्ञान वालों से अवैध धन उगाही की पूरी संभावना के चलते ही केवल उन्हीं का परमोशन कर दिया गया।

अब इसे खेल ना कहें तो क्या कहें

कारगुजारी की पराकाष्टा यहां तक रही की दर्जनों कर्मचारियों को पहली बार वरिष्टता सूची में शामिल किया गया, जबकि पिछले 12 वर्षों से वह अपना नाम भी वरिष्ठता सूची में चढ़वाने में असक्षम रहें थें। जो 10–12 वर्षों में स्वयं का नाम न चढवा पाए वह उपभोक्ताओं की क्या समस्या दूर करेगे। इन्हें अवर अभियंता भी बना दिया गया, जबकि नियमानुसार किसी को वरिष्ठता सूचि में शामिल कर कर लिस्ट सार्वजनिक की जानी चाहिए थी। कम से कम दर्जन भर लोगों की वरिष्ठता सूचि में ’ए’ जोड़ते हुए बीच बीच में समायोजित कर दिया गया हैं, जब तक इनकी गहनता से जांच न हो जाए तब तक तो इनको संदिग्घ मानते हुए इस चयन सूचि को होल्ड में डाल देना चाहिए। इसके अतिरिक्त 1353 की लिस्ट में मृतक, असहमत, अयोग्य, 8वी या कम पास की जगह नए लोगों को भी नहीं शामिल नहीं किया गया।

जांच से हो सकते हैं खुलासे

जानकारों का कहना है कि यदि प्रमोशन प्रक्रिया की जांच करा दी जाए तो प्रमोशन करने वालों में से कुछ की कारगुजारी बेपर्दा हो सकती है। आशंका है कि प्रमोशन के खेल में बहुत से फर्जी आईटीआई डिप्लोमा धारियों/ एक्सन द्वारा बिना अनुमति वाले/ डिप्लोमा अपूर्ण/ 10 वी या आईटीआई पास का कोई साक्ष्य लिए बिना ही केवल मौखिक सूचना पर ही परमोशन कर दिया गया हैं।

चुप्पी पर सवाल

अवर अभियंता के पद पर प्रमोशन को लेकर महकमे में उठ रहे बबाल पर पावर के उच्च पदस्थों की चुप्पी ज्यादा परेशान कर रही है। चुप्पी को लेकर सवाल उठ रहे हैं। क्या कारण है जो इसका संज्ञान लेकर जांच नहीं करायी जा रही है। यदि बाद में ऐसे बिना तकनीकी ज्ञान वाले अवर अभियंता द्वारा गलत कार्यों या तकनीकी दक्षता की कमी के कारण से विभाग की छवि धूमिल होगी तो परमोशन प्रक्रिया की बजाय अवर अभियंता या तकनीशियन संवर्ग की कार्य प्रणाली पर अंगुली उठा दी जाएगी। संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता हैं की बिना तकनीकी ज्ञान वाले प्रोन्नत अवर अभियंता ही परमोशन में पैसे खर्च किए गए पैसे या अपने तकनीकी सहयोगियों पर खर्च किए गए पैसों को उपभोक्ताओं को परेशान कर कर वसूल करेंगे।

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