कौन पी गया हाजीपुर के प्यासे सरोबर का अमृत

कौन पी गया हाजीपुर के प्यासे सरोबर का अमृत
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कौन पी गया हाजीपुर के प्यासे सरोबर का अमृत,  मेरठ के जिला मुख्यालय से महज दस किलो मीटर की दूरी पर मौजूद गांव हाजीपुर को योगी सरकार की अमृत सरोबार योजना से तृप्त होने का आज भी इंतजार है। यह सरोबर पूछ रहा है कि उसके हिस्से का अमृत कौन पी गया। ऐसा नहीं कि हाजीपुर गांव का केवल सरोबर ही प्यासा है। गांव की यदि बात करें तो सिस्टम चलाने वाले विकास के दावों की बरसात करते हों, लेकिन जमीनी हकीकत तो यह है कि हाजीपुर गांव विकास की बरसात तो दूर ब्यार को भी तरस रहा है।

दावा तो यह करने का था:—-

प्रदेश भर के गांवों के तालाबों को लेकर पांच माह पूर्व सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ ने एलान किया था कि प्रदेश के गांवों में 16 लाख सरोबर बनाए जाएंगे तथा करीब 24 हजार की खुदाई की भी जानकारी तब दी गयी थी। साथ ही यह भी कि हर ग्राम पंचायत में लबालब भरे तालाब। इनके किनारों पर हरियाली। बैठकर सकुन के कुछ घंटे गुजरने के लिए जगह-जगह लगी बेंचे। कुछ यही स्वरूप होगा आजादी के अमृत महोत्सव पर बन रहे अमृत सरोवरों का। हर अमृत सरोवर खूबसूरत हो और यह गांवों का पर्यटन स्थल बने। इसके लिए सीएम योगी की सरकार एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा भी शुरू करने जा रही है। इसके तहत जो अमृत सरोवर सबसे अच्छे होंगे। उनके निर्माण से जुड़े ग्राम प्रधानों,अधिकारियों और कर्मचारियों को ग्राम्य विकास विभाग सम्मानित करेगा। अमृत सरोवरों के किनारे हरियाली हो इसके लिए 21 सितंबर को पौधरोपण का सघन अभियान भी चलेगा। इस दौरान स्थानीय लोगों के अलावा 80 हजार होम गार्ड के जवान पौधरोपण में भाग लेंगे। इसके लिए गड्ढे मनरेगा से खोदे जाएंगे। निशुल्क पौधे वन विभाग उपलब्ध कराएगा। ये अमृत सरोवर,”सबकी मदद से सबके लिए” और पानी की हर बूंद को संरक्षित करने के साथ अपनी परंपरा को सहेजने की नजीर भी बनेंगे। पहले भी तालाब, कुएं, सराय, धर्मशालाएं और मंदिर जैसी सार्वजनिक उपयोग की चीजों के निर्माण का निर्णय भले किसी एक का होता था। इनके निर्माण में स्थानीय लोगों के श्रम एवं पूंजी की महत्वपूर्ण भूमिका होती थी। यही वजह है कि बात चाहे लुप्तप्राय हो रही नदियों के पुनरुद्धार की हो या अमृत सरोवरों के निर्माण की, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन सबको जनता से जोड़कर जनांदोलन बनाने की बात करते रहे हैं। अमृत सरोवरों की रिकॉर्ड संख्या के निर्माण के पीछे यही वजह है।

16 लाख सरोवर:—
पहले हर जिले में एक अमृत सरोवर के निर्माण का लक्ष्य था। बाद में इसे बढ़ाकर हर ग्राम पंचायत में दो अमृत सरोवरों का निर्णय लिया गया है। इस सबके बनने पर इनकी संख्या एक लाख 16 हजार के करीब हो जाएगी। भविष्य में ये सरोवर अपने अधिग्रहण क्षेत्र में होने वाली बारिश की हर बूंद को सहेजकर स्थानीय स्तर पर भूगर्भ जल स्तर को बढ़ाएंगे। बारिश के पानी का उचित संग्रह होने से बाढ़ और जलजमाव की समस्या का भी हल निकलेगा।  यूपी सरकार अब तक 24583 से ज्यादा  खेत-तालाब खुदवा चुकी है।  पांच साल का लक्ष्य 37500 खेत तालाब निर्माण की है। इनका निर्माण कराने वाले किसानों को सरकार 50% का अनुदान देती है। इस समयावधि में इन पर 457.25 करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य है। उत्तर प्रदेश में अमृत सरोवर के रूप में अब तक 15441 तालाबों का चयन हुआ है। 10656 के निर्माण का काम चल रहा है। 8389 तालाब अमृत सरोवर के रूप में विकसित किये जा चुके हैं।

जमीनी हकीकत:—-

गांव के सरोबर के अलावा चले स्कूल की ओर अभियान चलाने वाला सिस्टम के अफसरों को इस गांव की पाठशाला के बाहर पसरी गंदगी नहीं दिखाई देती, बच्चे भले ही बीमार हो जाएं। स्कूल के आसपास गंदगी के अंबार के बाद अभिभावकों ने भी बच्चों को स्कूल भेजना कम कर दिया है।  एक तरफ केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार एक साथ मिलकर प्रदेश के सभी गांवौ की कायापलट करने का काम कर रही है। वही उत्तर प्रदेश के कई जिले में कई गांव केंद्र सरकार व राज्य सरकार की योजनाओं से वंचित भी हैं। मेरठ ब्लॉक के गांव हाजीपुर का हाल देख सभी ने दांतो तले उंगलियां दवा ली है। हाजीपुर ग्राम पंचायत मेरठ ब्लॉक के अंतर्गत आती है। ग्राम हाजीपुर अपनी मुफलिसी पर रोता नजर आ रहा है। हाजीपुर गांव में करीब तीन हजार वोटर है। गांव में दो सरकारी स्कूल भी हैं। लेकिन इस गांव की कायापलट की बात तो दूर है। गांव में एक भी तालाब ऐसा नहीं जिसमें गांव की पानी निकासी की जा सके। गांव में एक तालाब है। तो उसे वहां के भैंस पालने वाले दूधियो ने कूड़े करकट से भर दिया है। पूरे गांव की नालियों में कूड़े करकट की गंदगी के कारण गांव की पूरी नालियां चौक हो गई है। जिसके कारण गांव का पानी सड़कों पर भर गया है। गांव में बने उच्च प्राथमिक विद्यालय के सामने गंदगी का अंबार भी लगा हुआ है। जिससे स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को काफी दिक्कते उठानी पड़ रही है। वही स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों ने बताया कि सामने पड़ी गंदगी से बुरी महक आती है। जिससे कई बच्चों को कई बार पलटी और बुखार भी हो गया है। लेकिन अधिकारी आते हैं और अपने खन्ना चले जाते हैं।

गेंद गांव प्रधान के पाले में 

जिला मुख्य विकास अधिकारी शशांक चौधरी से जब हाजीपुर गांव की गंदगी के बारे मैं जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि जिले के सभी गांवों के प्रधानों को कहा गया है। कि गांव में जो भी विकास कार्य होने हैं। उन्हें तत्काल प्रभाव से किया जाये। जिस किसी गांव के प्रधान को कोई भी दिक्कत आ रही है। संबंधित अधिकारियों को अवगत कराये उस पर तुरंत अमल किया जाएगा। गांव की साफ सफई और विकास कार्यों की जिम्मेदारी प्रधान की
है।

शशांक चौधरी जिला मुख्य विकास अधिकारी

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