मेरठ। लेट नाइट महिला कर्मचारी को काल करने वाले संयुक्त विकास आयुक्त के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए है। उन पर ऑफिस में काम करने वाली युवती ने लेट नाइट कॉल कर आपत्तिजनक शब्द बोलने तथा अन्य गंभीर आरोप लगाए हैं। कमिश्नर ऋषिकेश भास्कर ने मामले में जांच के आदेश दिए हैं।
रात में कॉल, अपशब्द और धमकी! महिला कर्मचारी ने संयुक्त विकास आयुक्त पर लगाए उत्पीड़न के गंभीर आरोप, महिला कर्मचारी ने महिला आयोग में भी की है संयुक्त विकास आयुक्त की शिकायत, विरोध करने पर नौकरी से निकाले जाने की मिलती है धमकी, सिर पर नहीं हर मां बाप का साया
मेरठ। महिला कर्मचारी को लेट नाइट कॉल करना संयुक्त विकास आयुक्त को महंगा पड़ गया है। उनके खिलाफ जांच के आदेश दिए गए हैं। सबसे दुखद तो यह है कि जिस कर्मचारी ने ये गंभीर आरोप लगाए हैं उसके माता पिता नहीं है। यह पूरा मामला राष्ट्रीय बचत कार्यालय, बच्चा पार्क की एक महिला कर्मचारी से जुड़ा है जिसने संयुक्त विकास आयुक्त पर मानसिक उत्पीड़न, अभद्र भाषा के प्रयोग और रात में कॉल व मैसेज कर परेशान करने के गंभीर आरोप लगाए हैं। पीड़िता ने इस संबंध में महिला आयोग समेत मेरठ मंडलायुक्त, ग्राम विकास आयुक्त लखनऊ और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को पत्र भेजकर न्याय की मांग की है।
विरोध पर नौकरी से निकालने की धमकी।
बकौल पीड़िता 19 मार्च को कार्यालय में संयुक्त विकास आयुक्त ने स्टाफ सदस्यों सचिन और विनय को अपमानित किया और उसी दौरान उनसे भी अभद्र भाषा में बात की। महिला का कहना है कि विरोध करने पर उन्हें बार-बार रात में कॉल और संदेश भेजकर परेशान किया गया। जब उन्होंने इसका विरोध किया तो नौकरी से निकालने की धमकी दी गई। महिला का कहना है कि मानसिक तनाव इतना बढ़ गया है कि वह घर पहुंचते ही मोबाइल बंद करके रखना पड़ता है। महिला कर्मचारी ने कहा कि उनके सिर पर मां बाप का साया नहीं है इस लिए मेरठ में अकेली रहती है,बहन बहनोई हैं जो अन्य जिले में रहते है इस लिए कभी कभी डर भी लगता है।
उन्होंने स्पष्ट रूप से आरोप लगाया कि ये व्यवहार कार्यस्थल के स्वस्थ माहौल के खिलाफ है और उन्हें मानसिक रूप से तोड़ रहा है। परेशान होकर उन्होंने महिला आयोग में भी शिकायत दर्ज कराई है। वही कार्यालय सूत्रों की माने तो संयुक्त विकास आयुक्त का विवादों से पुराना नाता रहा है, अपने अन्य जिले गाजियाबाद के कौशांबी, बागपत ,ओर शामिल में कार्यकाल के दौरान हुए विवादों के कारण सुर्खियों में रहे थे।
बैक फुट पर कथित आरोपी
वहीं इस पूरे प्रकरण पर मंडलीय कार्यालय के अधिकारी बलीराम ने सफाई देते हुए कहा कि “कार्यालय में कार्य की लापरवाही को लेकर मैंने स्टाफ को डांटा था। लेकिन मेरा किसी को परेशान करने का कोई उद्देश्य नहीं था। मेरे ऊपर लगाए गए सारे आरोप बेबुनियाद और गलत हैं।”
मेरठ कमिश्नर का ये है कहना।
मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए मेरठ मंडलायुक्त ऋषिकेश भास्कर ने कहा, “अभी यह मामला मेरे संज्ञान में नहीं आया है। लेकिन यदि ऐसा कुछ है तो जांच कराकर उचित कार्रवाई की जाएगी।”