रंगदारी के झूठे केस में फंसे अधिवक्ता को हाईकोर्ट से मिली राहत, अग्रिम जमानत मंजूर,हाईकोर्ट ने पुलिस विवेचना जल्द पूरी करने का भी दिया निर्देश
प्रयागराज। प्रयागराज में रंगदारी मांगने के आरोप में दर्ज एक फर्जी मुकदमे में अधिवक्ता मोहम्मद जैन को बड़ी राहत मिली है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अधिवक्ता मोहम्मद जैन की अग्रिम जमानत शर्तो के साथ मंजूर कर ली है और विवेचना अधिकारी को तीन माह के भीतर जांच पूरी करने का आदेश दिया है।यह मामला प्रयागराज के एयरपोर्ट थाने से जुड़ा है, जहां 21 मई 2024 को फूलचंद केसरवानी नामक व्यक्ति ने अधिवक्ता मोहम्मद जैन, हासिर,मोहम्मद अनस के खिलाफ मारपीट और 5 लाख रुपये रंगदारी मांगने का मुकदमा दर्ज कराया था।याची मोहम्मद जैन की ओर से अधिवक्ता सुनील चौधरी ने न्यायमूर्ति विवेक वर्मा की अदालत में यह कहते हुए अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की कि याची प्रयागराज जिला न्यायालय में अधिवक्ता है और घटना के दिन जनपद न्यायालय ,प्रयागराज में मौजूद था ।इस मुकदमे पर 17-3-25 को पर्याप्त साक्षय न मिलने पर अंतिम रिपोर्ट विवेचना अधिकारी के द्वारा प्रेषित की गई थी।
रंगदारी से संबंधित मामला जानबूझकर याची के खिलाफ दर्ज कराया गया, जिसमें शिकायतकर्ता अपना दल (एस) के राष्ट्रीय सचिव (युवा विंग) अम्माद हसन के प्रभाव में बताया गया है।याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि मुकदमा दर्ज कराने वाला फूलचंद केशरवानी जो रिजवान निवा गैंग का सक्रिय सदस्य है ।रिजवान निवा ने पूर्व में अपने एक अन्य केयरटेकर माबूद अहमद जो हिस्ट्रीशीटर है प्रार्थी व अन्य के विरुद्ध रंगदारी का मुकदमा दर्ज कराया था और अतीक गैंग का सदस्य बताया था जिसमें प्रार्थी को पहले ही मा. उच्च न्यायालय से अग्रिम जमानत मिल चुकी है ।यह भी तर्क दिया गया कि वह अम्माद हसन के गैंग के लिए काम करता है, जो स्वयं को वक्फ की जमीन का मुतवल्ली बताता है।
दरअसल, याची की मां श्रीमती अर्शी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर वक्फ बोर्ड में गड़बड़ी और वक्फ नंबर 66, 67, 68 की संपत्तियों में अम्माद हसन को अवैध रूप से मुतवल्ली बनवाने की शिकायत की थी। इस शिकायत पर प्रमुख सचिव संजय प्रसाद ने जांच के आदेश दिए थे। अधिवक्ता सुनील चौधरी ने बताया कि याची स्वयं भी उक्त वक्फ संपत्ति पर वक्फ अलल औलाद के तौर पर मुतवल्ली बनने का प्रबल दावेदार था, लेकिन नियमों की अनदेखी कर अम्माद हसन ने खुद को मुतवल्ली घोषित करवा लिया।इस आदेश के विरुद्ध याची ने वक्फ बोर्ड, लखनऊ में मुकदमा किया है जो विचाराधीन हैं।याची के अधिवक्ता ने यह भी बताया कि प्रयागराज जिला बार एसोसिएशन ने इस मुकदमे को झूठा बताते हुए अधिवक्ता के समर्थन में 4 दिन की हड़ताल की थी, जिसमें लगभग 20 हजार अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्य से विरत होकर विरोध दर्ज कराया था।
जमानत याचिका का विरोध अपर शासकीय अधिवक्ता की ओर से किया गया, परंतु कोर्ट ने पक्षों को सुनने के बाद याची को अग्रिम जमानत दे दी। साथ ही न्यायालय ने याची को निर्देशित किया कि वह आदेश की सत्यापित प्रति 10 दिनों के भीतर एसएसपी प्रयागराज को प्रस्तुत करे।साथ ही एसएसपी को आदेश दिया गया कि वे इस आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराएंइस पूरे प्रकरण में कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि पुलिस विवेचना निष्पक्ष एवं समयबद्ध रूप से पूरी की जानी चाहिए ताकि दोषियों को दंड मिल सके और निर्दोष को अनावश्यक रूप से परेशान न किया जाए। यह फैसला न केवल अधिवक्ता समुदाय के लिए राहत भरा है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि न्यायालय किसी निर्दोष को झूठे मुकदमों में फंसाए जाने के विरुद्ध सतर्क है।