
मेरठ। देशवासियों अनेक संस्थाओं ने सार्वजनिक रूप से गुजारिश की है उन्हें सावधान किया है कि फेक न्यूज की फैक्ट्री यानि नोएडा के न्यूज चैनलों को देखना बंद करें। सीज फायर से पहले इन न्यूज चैनलों ने जो कीचड़ TRP के लिए उछाली है वह भारतीय पत्रकारिता जगत के इतिहास में हमेशा बदनुमा व बदबूदार काल के रूप में याद किया जाएगा। इन न्यूज चैनलों की हकरत पत्रकारों के लिए राष्ट्रीय शर्म का विषय है, उन पत्रकारों के लिए जो पूरी खोज खबर और सत्य को परखने के बाद ही कोई खबर लांच करते हैं वो चाहे प्रिंट हो या फिर इलेक्ट्रॉनिक चैनल। युद्ध की कवरेज के नाम पर जो कुछ भी किया गया और देश को परोसा गया और फिर फटकार लगाने के बाद माफी भी मांगी इसको कहते हैं कि बेशर्मी। बेशर्मी इस वजह से ना तो इन्हें ना तो खबरों के नाम से इनके द्वारा परोसे जा रहे झूठ से दुनिया भर में राष्ट्र को शर्मिंदगी उठानी पड़ी उससे कोई सरोकार है और न ही इस बात से कोई सरोकार है कि इनकी वजह से सेना को कितनी परेशानियों को सामना करना पड़ा। जो चीज हुई नहीं उसको सेना के नाम पर TRP के लिए परोस दिया जाना बेइंतहा घटिया हरकत है। सभी देश के विदेश मंत्री को बाकायदा पब्लिक के बीच कहना पड़ा कि फेंक न्यूज ना चलाएं। सेना को भी कहना है पड़ा कि किसी भी बात पर तब तक यकीन ना करे जब तक सेना की ओर से अधिकृत रूप से कोई बात नहीं कही जाए। इसके दो मायने हैं पहला यह कि सरकार और सेना को इस प्रकार के चैनलों पर कोई भरोसा नहीं रह गया है।
झूठा का पुलिंदा हैं ज्यादातर चैनल यह बात युद्ध की कवरेज से साफ हो चुकी है, तभी सरकार ने फटकार लगायी और सेना को भी कहना पड़ा कि युद्ध के संबंध में उसी बात को सही माना जाए जो अधिकृत तौर पर सेना कहे
इसीलिए पूरे देश से गुजारिश है कि इस प्रकार के न्यूज चैनलों को देखना बंद करें। दो बातें होती है पहली यह कि न्यूज चैनल नहीं देखेंगे तो आपके पास हो सकता है कि जानकारी ना हो, लेकिन यदि आप न्यूज चैनल देखेगे तो यह तय है कि आपके पास गलत जानकारी होगी।
इन न्यूज चैनलों की अभी तक दुनिया की पत्रकारिता जगत में बेइज्जती हुआ करती थी, युद्ध की कवरेज के नाम पर स्टूडियो में बैठकर जिस प्रकार की गंद इन्होंने फैलायी है, उसके बाद इनकी अपने खुद के देश में भी निम्न स्तर की बेइज्जती हुई हुई है। तभी इन्हें बाकायदा चैनल पर बैठकर माफी मांगनी पड़ गयी। लेकिन पूरा देश यह ध्यान रखे की जिस प्रकार से कुत्ते की दुम टेढी ही रहती है, उसी प्रकार इस प्रकार के चैनल वालों की प्रवृत्ति है ये माफी मांगने के बाद भी नहीं सुधरने वाले हैं। TRP के लिए ये खुद के लिए और अपने चैनल के मालिक को भी संकट में डालने से परहेज नहीं करेंगे।
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