सबसे बुरा हाल मलीन बस्तियों का, पानी का छिड़काव कराना भूला नगर निगम, पार्षद बोले हालात खतरनाक
नई दिल्ली/ मेरठ। नगर निगम अफसरों के पास शहर के लोगों को गैस चैंबर से बचाने का कोई प्लान नहीं है। हालांकि पार्षदाें ने हालात पर चिंता जतायी है। प्रदूषण का स्तर बेहद खतरनाक है। लोग बीमारियों की चपेट में आ गए हैं। सबसे ज्यादा बुरा हाल दिल में मरीजों का है उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही है। डाक्टर बताते हैं कि इन दिनों आंखों में जलन, गले में खराब व ऐसे ही दूसरे संचारी रोगों के मरीज अधिक आ रहे हैं। नगर निगम को इसके लिए कदम उठाने चाहिए। प्रदूषण के कारण मेरठ देश के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हो गया है, खासकर स्मॉग (धुंध) और जहरीली हवाके कारण यह स्थिति और गंभीर हो गई है, जिससे बुजुर्गों और बच्चों के लिए खतरा बढ़ गया है। नगर निगम के अफसर पानी का छिड़काव कराना भूले बैठे हैं जबकि प्रदूषण के चलते महानगर गैस चैंबर मे तब्दील हो गया है। पार्षदों का कहना है कि ऐसे में पानी का छिड़काव किया जाना चाहिए, लेकिन निगम अफसर पानी का छिड़काव कराना भी भूले बैठे हैँ। शहर में पानी का छिड़काव कराने के बजाए बाईपास पर पानी का छिड़काव कराया जा रहा है जिसका कोई फायदा नहीं। जो इलाके प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं वहां पानी का छिड़काव कराया जाना चाहिए। हालांकि नगर स्वास्थ्य अधिकारी अमर अवाना पानी के वाहनों के काम करने की बात कह रहे हैं।
घने स्मॉग की चादर में लिपटा
शहर इन दिनों घने स्मॉग की चादर में लिपटा हुआ है। शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स लगातार ‘सीवियर’ (गंभीर) स्तर पर बना हुआ है, जो 350-372 के बीच दर्ज किया गया है। माेदीपुरम स्थित मौसम विभाग की माने तो पीएम2.5 और पीएम 10 जैसे खतरनाक पार्टिकल्स की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों से कई गुना ज्यादा है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो रहा है। ठंड़ और शांत हवाओं के कारण प्रदूषण फंस गया है, और शहर सचमुच ‘गैस चैंबर’ में तब्दील हो चुका है।
पार्षद बोले मलिन बस्तियों को बचाओ
नगर निगम के पार्षदों निगम के पूर्व पार्षद अब्दुल गफ्फार ने बताया कि भाई गफ्फार साबिक पार्षद, सदस्य कार्यकारिणी, फ़ज़ल करीम पार्षद, सदस्य कार्यकारिणी, रिज़वान अंसारी, पवन चौधरी, इकराम बालियांन, सुमित शर्मा, विपिन जिंदल, प्रदीप वर्मा, रेशमा दिलशाद, संजय सैनी, नाजरीन शाहिद अब्बासी,कहकशा अब्बासी, अनुराधा गुलाटी, गुड्डी अफजाल, रिहाना शहजाद, शांता पुंडीर, असगरी शरीफ, पार्षद रिज़वान अंसारी आदि ने गैस चैंबर बनते जा रहे शहर को लेकर निगम प्रशासन व महापौर के समक्ष चिंता जाहिर की है तथा शहर के लोगों को इससे राहत का आग्रह किया है।
इन इलाकों का बुरा हाल
प्रदूषण की यदि बात करें तो सबसे बुरा हाल मलीन बस्तियों का है। जयभीम नगर, गंगा नगर, पल्लवपुरम जैसे इलाकों में एक्यूआई 295-350 तक पहुंच रहा है। यहां कूड़ा जलाना, खुले में गंदगी और घनी आबादी के कारण प्रदूषण का स्तर शहर के औसत से भी ज्यादा है। घर-घर में लोग बीमार पड़ रहे हैं। बच्चों और बुजर्गों में सांस की तकलीफ, खांसी, आंखों में जलन और अस्थमा के मामले तेजी से बढ़े हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से गरीब परिवार सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। प्रशासन की लापरवाही साफ दिख रही है। ग्रेप के नियमों का पालन नहीं हो रहा, निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण नहीं, कूड़ा जलाने पर रोक नहीं लग रही। अधिकारी बेखबर हैं, जबकि NCR के अन्य शहरों जैसे दिल्ली, गाजियाबाद में भी यही हाल है। विशेषज्ञों का कहना है कि बिना सख्त कदमों के राहत मुश्किल है।
यह कहना है चिकित्सकों का
शहर के सीनियर फिजिशियन डा. संदीप जैन ने बताया कि प्रदूषण से बचना बेदह जरूरी वर्ना बीमार पड़ना तय है। तमाम प्रकार की बीमारियां घेर लेंगी। बेहतर है कि आप यदि एनउत्तर भारत में आम है। जल्द हवा चले तो राहत मिले, लेकिन फिलहाल सावधानी जरूरी। एलएलआरएम मेडिकल के प्रधानाचार्य डा. आरसी गुप्ता का कहना है कि इस मौसम में प्रदूषण से बचाव ही सबसे बढ़िया इलाज है।
अधिकारी बेखबर क्यों?
कूड़ा जलाने पर रोक नहीं लग रही, निर्माण कार्यों से धूल नहीं रोकी जा रही, और GRAP नियमों का सख्ती से पालन नहीं हो रहा। हालांकि कुछ कदम उठाए जा रहे हैं, जैसे डीजल वाहनों पर प्रतिबंध, लेकिन जमीनी स्तर पर अमल कम दिखता है।
बचाव के उपाय
- बाहर निकलते समय N95/N99 मास्क जरूर पहनें।
- घर में एयर प्यूरीफायर इस्तेमाल करें अगर संभव हो।
- सुबह-शाम वॉक या व्यायाम से बचें।
- कूड़ा न जलाएं और शिकायत करें।
- ज्यादा पेड़ लगाएं और वाहन कम चलाएं।