महफिले बारादरी हुई गुलजार

महफिले बारादरी हुई गुलजार
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महफिले बारादरी हुई गुलजार, गाजियाबाद। सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल में आयोजित महफ़िल ए बारादरी में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवयित्री ममता किरण ने कहा कि गाजियाबाद और बारादरी एक दूसरे के पर्यायवाची हो गए हैं। उन्होंने कहा कि “बच्चों को पर क्या मिले छोड़ गए वो साथ, दीवारें ही बच गई जिन से कर लो बात”। ” महफ़िल ए बारादरी की अध्यक्षता करते हुए ममता किरण ने बेटियों पर  शेर में कहा “एक निर्णय भी नहीं हाथ में मेरे, कोख मेरी है कैसे बचा लूं तुमको।  मुख्य अतिथि डॉ. अलका टंडन भटनागर ने कहा कि अदब से उनका नाता बचपन से ही रहा है। लेकिन बारादरी से जुड कर उनके भीतर का कलमकार पुनः जीवित हो रहा है।  अतिथि डॉ. लक्ष्मी शंकर बाजपेई ने कुछ यूं फरमाया “छुपाए राज कितने ही सभी की जिंदगानी है, कोई भी तख्त हो अपनी अलग कहानी है।  संस्था की संस्थापिका डॉ. माला कपूर ‘गौहर’ की ग़ज़ल के अशआर “रात भर रात मुख़्तसर न हुई, लाख चाहा मगर सहर न हुई। जिस दुआ में उसे ही मांगा था, वो दुआ मेरी बा-असर न हुई। हाल से मेरे बा-ख़बर सब थे, जाने क्यों उसको ही ख़बर न हुई।  डॉ. ईश्वर सिंह तेवतिया के गीत की पंक्तियां “बोझ समझते हो क्यों हमको,। रिंकल शर्मा ने द्रौपदी की व्यथा कुछ यूं बयां की “मृत्यु द्वार पर खड़ी द्रौपदी, अब अंतिम विदाई लेती है, अनिल वर्मा ‘मीत’ ने कहा “हुस्नो-इश्क़ में जंग जो ज़ारी रहती है,  मृत्युंजय साधक का मुक्तक “आँँसुुओं से हमारी तो यारी रही, आशीष मित्तल की कविता ‘क्या मैं पढ़ने के लायक हूं” डॉ. वीना मित्तल ने मकर संक्रांति के अवसर पर पतंग को केंद्र में रख कर कई हाईकू प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का शुभारंभ ऊषा श्रीवास्तव ‘राज’ की सरस्वती वंदना ”माता सरस्वती ज्ञान का वर दे,  से हुआ। राजीव ‘कामिल’ ने फ़रमाया “कहीं सांसे चलाता है कहीं कश्ती डुबाता है, डॉ. तारा गुप्ता ने कहा “प्रेम पर ग़ज़ल हम लिखेंगे नहीं, नेहा वैद के गीत की पंक्तियों “बंद न हो यह दिल का खाता, अनिमेष शर्मा ने कहा “हमने जब जब भी पुकारा फेर कर मुंह चल दिया,  संचालन तरुणा मिश्रा ने किया। उन्होंने फरमाया “एक अकेली तन्हाई है, जिसको आई याद मेरी, उसने मुझको पास बिठाया, और सुनी रूदाद मेरी”। कार्यक्रम में डॉ. स्मिता सिंह,अनुराग जैन एवं शिल्पी जैन को विशेष आमंत्रित अतिथि के रूप में सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में माधवी शंकर, डॉ. अंजू सुमन साधक, राजेश श्रीवास्तव एवं संजीव शर्मा के गीत, गजल और दोहे भी भरपूर सराहे गए। इस अवसर पर आलोक यात्री, तेजवीर सिंह, वी. के. शेखर, सत्य नारायण शर्मा, अक्षयवरनाथ श्रीवास्तव, सुशील शर्मा, राकेश कुमार मिश्रा, गीता रस्तौगी, अंशुल अग्रवाल, रेनू अग्रवाल, रवि शंकर पाण्डेय, तिलक राज अरोड़ा, देवेन्द्र गर्ग, मेघराज सिंह, सुनीता रानी, प्रतीक वर्मा, टेक चंद, तन्नु पाल, साक्षी देशवाल, सिमरन, धर्मपाल सिंह, वंदना, गुरमीत चावला, हीरेंद्र कांत शर्मा व दीपा गर्ग सहित बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित थे।

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