मेरठ/ मेरठ से खासतौर से दिल्ली और दूसरे रूटों चल रही रोडवेज व डग्गामार बसें सवारियों से ज्यादा माल की ढुलाई को तवजों देती हैं। इनके अलावा जो बसें लॉग रूट की होती खासतौर से वाल्वों बसें वो भी सवारी से ज्यादा पूरे शहर से माल उठाती हैं और डग्गामार बसों ने सारी हदें तोड़ दी हैं। ये बसें हूबहू रोडवेज सरीखी होती हैं और माल की ढुलाई में सबसे आगे होती हैं। माल की ढुलाई करने वाली ये बसें हर महीने राज्य सरकार को ढाई से तीन करोड़ की रकम के राजस्व का चुना लगा रही हैं। जो बसें आॅल इंडिया रूट पर चलती हैं वो माल की ढ़ुलाई से केंद्र सरकार को जीएसटी का चूना लगा रही हैं।
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दिल्ली रूट पर सबसे ज्यादा
मेरठ से दिल्ली रूट पर जो बसें चलती हैं सबसे ज्यादा माल की ढूुलाई वो कर रही हैं। ऐसा भी नहीं कि अन्य रूटों पर रोडवेज व डग्गामार बसें माल की ढ़लाई नहीं कर रही हैं। लेकिन दिल्ली रूट इस मामले में आमतौर पर आगे हैं। दिल्ली के कश्मीरी गेट बस स्टेंड से जैसे ही रोडवेज की बसें निकलती हैं। मोहन नगर तक पहुंचे-पहुंचे वो बसें रास्ते में जगह-जगह से माल उठाती हैं। ये वो माल होता है जिसका कोई बिल नहीं होता और जीएसटी की चोरी से लाया जाता है। जिस तरह से कश्मीरी गेट से मोहन नगर के बीच तक ये माल उठाकर चलती हैं, उसी तर्ज पर भैंसाली बस स्टैंड तक पहुंचे-पहुंचे माल उतारती चलती हैं। वैसे भैंसाली बस स्टैंड के भीतर भी इन पर माल उतारने के मामले में कोई रोकटोक नहीं है।
राज्य के भीतर माल की ढुलाई
ये बात बात हुई दिल्ली रूट की अब इसके इतर जो बसें यूपी के भीतर-भीतर लॉग रूट पर चलती हैं। जिनमें ज्यादातर हरिद्वार से बनकर चलती हैं वो बसें कानपुर, प्रयागराज, लखनऊ, आगरा, अलीगढ, मुरादाबाद, इटावा सरीखे तमाम बडेÞ शहरों पर जीएसटी चोरी कर लाया व ले जाया गया माल की ढुलाई करती हैं। ये वो बसें होती हैं जो राज्य सरकार के राजस्व को बढाने के प्रयासों को चूना लगा रही हैं।
लॉग रूट की बसों से ज्यादा नुकसान
अब उन जिन्हें स्लीपर कोच कहा जाता है उन बसों की बात जो राज्य और केंद्र दोनों को राजस्व का नुकसान पहुंचाती हैं। इन बसों में दिल्ली से चलने वाले वॉल्वो और हरिद्वार से चलने वाली वोल्वो बसें होती हैं। लेकिन बड़ी संख्या हरिद्वार आने व जाने वाली बसों की होती हैं। आमतौर पर इन बसों पर धार्मिक स्थल की यात्रा का बैनर आगे लगा होता है। इन बसों का रूट हरिद्वार से वाया मेरठ व दूसरे शहरों से कलकत्ता, गुजरात व महाराष्ट्र तक के शहर होते हैं। दरअसल ये बसें चलती वहीं से हैं और आमतौर पर इनका ठिकाना हरिद्वार या फिर वृंदावन होता है।
यहां से उठाती हैं माल
जिन बसों से राजस्व की चोरी में मदद करती हैं वो शहर में चल रहे अवैध ट्रांसपोर्ट ठिकानों से माल उठाती हैं। इनके ठिकाने बेगमपुल के समीप गंगा प्लाजा से आगे जीआईसी की दुकानें में सोतीगंज का मुर्गा मार्केट, शोहराबगेट बस स्टैंड के समीप और रेलवे रोड आदि की जानकारी तो इस संवाददाता को है। इनके अलावा भी जो कई ऐसे स्थान हो सकते हैं जो इन बसों के रूट के आसपास हों।
डग्गामार बसें सब पर भारी
भैंसाली रोडवेज और शोहराबगेट बस स्टैंड से चंद कदम की दूरी से सवारी उठाने वाली बसों तो सब पर भारी हैं। इन बसों का रंग रूप रोडवेज बसों सरीखा होता है। जो जानकारी रखते हैं केवल वहीं इनकी पहचान कर पाते हैं। आमतौर पर लोग धोखा खाकर इन बसों में बैठ जाते हैं। लेकिन ये बसें ज्यादा लंबे रूट पर नहीं चलती। भैंसाली बस स्टैंड से चलने वाली बसें ज्यादातर गाजियाबाद तक ही जाती हैं। गाजियाबाद से मेरठ और मेरठ से गाजियाबाद इन बसों से जीएसटी चोरी के सामान की खूब ढुलाई होती है। जो बसें शोहराब गेट डिपो के पास से चलती हैं उनका ठिकाना गढमुक्तेश्वर और गजरौला तक होता है। इन बसों में ज्यादातर किराने और लोहे के पार्टस जैसे बैरिंग आदि की ढलाई होती है।
वर्जन
मेरठ से सरकारी व स्लीपर कोच बसों में अवैध रूप से माल की ढुलाई से हर माह करीब तीन करोड़ के राजस्व की हानि राज्य सरकार को होती है। इसके अलावा ट्रांसपोर्टरों को इससे भी ज्यादा हानि हो रही है। गौरव शर्मा ट्रांसपोर्ट एसो. अध्यक्ष
इस प्रकार की बसों की चैकिंग के लिए दो अधिकारी फिल्ड में रहते हैं। इसके अलावा किसी भी रूट पर औचक्क चैकिंग की जाती है। इसकी जानकारी किसी को भी नहीं दी जाती कि कब और कहा जाना है। दुष्यंत कुमार आॅपरेशन हेड रोडवेज
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