खिन्न है राष्ट्र कवि सौरभ सुमन

kabir Sharma
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लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में, तुम तरस नहीं खाते बस्तियां जलाने में, सौरभ सुमन ने की संयम की अपील

नई दिल्ली। यूपी मेरठ के सेंट्रल मार्केट में जो कुछ हुआ उससे राष्ट्र कवि सौरभ जैन सुमन खासे खिन्न हैं। उन्होंने कहा कि जो कुछ भी हुआ है उससे बेहद पीड़ा में हैं, जब अवैध निर्माण हो रहा होता है तब प्रशासन कहां सोया रहता है। जिन दुकानदारों ने बिल्डर्स से वो दुकानें खरीदी होंगी उनका क्या दोष।

बशीर बद्र का शेर याद आया है

बशीर बद्र का शेर याद आया है “लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में/तुम तरस नहीं खाते बस्तियां जलाने में”
बिल्डर ने पैसा कमा लिया दुकानें बनाई और बेच दी। अब वो बेचारे क्या करें जिन्होंने अपने जीवन की गाढ़ी कमाई से दुकानें खरीदी और आजीविका का साधन स्थापित किया। आज की कार्यवाही से मन बहुत खिन्न है।

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