उद्धव ठाकरे बनाम एकनाथ शिंदे, जो महाराष्ट्र में हुआ बिहार में उसका एक्शन रिप्ले, सरकार बनी तो भाजपा का सीएम तय
नई दिल्ली/पटना। बिहार चुनाव में भाजपा के एक ही दांव से नितिश अपनों के हाथों पस्त नजर आ रहे हैं। उनके अपने दरबारी भाजपा के गीत गा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर कहा जाने लगा है कि जो कुछ महाराष्ट्र में हुआ भाजपा वहीं अब बिहार के चुनाव में दोहराने पर अमादा है। फर्क बस इतना है कि उद्धव ठाकरे से अलग हुए एकनाथ शिंदे ढाई साल महाराष्ट्र के सीएम रहे और बिहार में भाजपा के सुर से सुर मिलाने वाले नितिश कुमार की पार्टी के बड़े नेताओं को सीएम तो नहीं बनाया जाएगा लेकिन सीएम भाजपा का ही बनेगा यदि सरकार बनाने की स्थिति आती है। अपने नवरात्नों के द्वारा भाजपा के सुर से सुर मिलाए जाने पर खुद नितिश कुमार भी परेशान हैं। लेकिन नितिश कुमार के लिए अब काफी देर हो चुकी है। चुनाव पूरे पीक पर है और अब अपनों को मनाने का वक्त भी इतना बाकि नहीं रहा है।
नितिश ने डोर ढीली क्या छोड़ी लगे लपेटने
बिहार चुनाव के एलान से पहले नितिश कुमार ने संगठन की डोर ढीली क्या छोड़ी उनके खास दरबारी लपेटने लग गए और ऐसा लपेटा की सीधे भाजपा के सुर से सुर मिला दिया। यह सुर सीएम के चेहरे को लेकर है। भाजपा का कहना है कि सीएम का फैसला विधायक दल करेगा। भाजपा का विधायक दल वाला राग नितिश को पंसद नहीं आ रहा है। वो चाहते हैं कि उनको बतौर सीएम पेश किया जाए, लेकिन इसमें अब काफी देर हो चुकी है। भाजपा के लिए यह सवाल नितिश के करीबियों ने ही बेमाने कर दिया है। हालांकि चुनाव के परिणाम के बाद क्या होगा ऊंट किस करवट बैठेगा इसका इंतजार करना होगा..