तवादल के बाद भी हटने को तैयार नहीं

kabir Sharma
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बीएसए ऑफिस का बाबू प्रदीप बंसल सब पर भारी, आय से अधिक संपत्ति मामले की जांच, छदम नामाें से जमा की अकूत संपत्ति

लखनऊ /मेरठ। तवादले के बाद भी बीएसए के बाबू प्रदीप बंसल की कुर्सी को कोई नहीं हिला सका। डीएम के आदेश पर तवादला आर्डर तो तैयार किया और तवादला कर भी दिया गया, लेकिन तवादला होने के बाद भी प्रदीप बंसल बीएसए कार्यालय यानि मुख्यायल में ही बैठकर काम कर रहे हैं। यानि डीएम के आदेशों पर भी तवादला होने के बाद भी बीएसए ऑफिस छोड़ने को तैयार नहीं यह बाबू भारी पड़ रहा है। हैरानी तो इस बात की है कि शासन के अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बीते 21 अक्तूबर को सचिव माध्यमिक शिक्षा, महानिदेशक शिक्षा और निदेशक माध्यमिक शिक्षा को भेजी चिट्ठी में नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा है कि शासन के संज्ञान में आया है कि अधिनस्थ अधिकारियों ने कुछ कर्मचारियों की ऐसे स्थान पर तैनात की हुई जो जो उनकी मूल तैनाती का स्थान नहीं है। साथ ही चेतावनी दी है कि किसी भी अध्यापक व लिपिक को ऐसे स्थान पर संबंद्ध ना किया जाए जो उसकी मूल तैनाती का स्थान नहीं है, लेकिन लगता है कि मेरठ के बीएसए ऑफिस ने प्रदीप बंसल के मामले को शासन के अपर मुख्य सचिव के अधिकार क्षेत्र से बाहर का मान लिया है।

तवादले का खेल ट्रांसफर हुए रिलीव नहीं

बीएसए का यह बाबू आज भी कार्यालय में डटा है भले ही उसका तवादला कर दिया गया हो। यह मामला प्रशासनिक अनियमितताओं को उजागर कर रहा है, जहां अधिकारी और कर्मचारी तबादला नियमों का पालन करने से बच रहे हैं। स्थानीय शिक्षक संगठनों ने इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से की है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। सूत्रों के अनुसार, बीएसए कार्यालय में कार्यरत इस बाबू का तबादला पिछले महीने ही जारी किया गया था, जिसमें उन्हें स्थानांतरित करने का आदेश था। लेकिन तबादला होने के एक माह बाद भी वह मेरठ कार्यालय में ही नियमित रूप से उपस्थित हो रहे हैं और फाइलों का निपटारा कर रहे हैं। यह स्थिति न केवल विभागीय नियमों का उल्लंघन है, बल्कि अन्य कर्मचारियों के मनोबल को भी प्रभावित कर रही है। एक वरिष्ठ शिक्षक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “ऐसे मामलों से विभाग में भ्रष्टाचार और पक्षपात की बू आती है। तबादला क्यों नहीं हो रहा? क्या ऊपर से दबाव है?”

संदिग्ध है फेरबदल

मेरठ बीएसए कार्यालय में हाल ही में हुए फेरबदल के बीच यह घटना और भी संदिग्ध लग रही है। उत्तर प्रदेश सरकार ने जून 2025 में आठ बीएसए और 15 डीआईओएस अधिकारियों के स्थानांतरण किए थे, जिसमें मेरठ सहित कई जिलों के अधिकारी प्रभावित हुए। लेकिन निचले स्तर पर क्लर्कों के तबादलों में देरी या अनदेखी आम हो गई है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि फाइलों में देरी, कागजी खानापूर्ति और राजनीतिक दबाव के कारण ऐसे मामले बढ़ रहे हैं। शिक्षक संघों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो वे आंदोलन की राह पकड़ेंगे। यह घटना बेसिक शिक्षा विभाग की पारदर्शिता पर सवाल उठाती है, जहां प्राथमिक शिक्षा के लिए करोड़ों रुपये खर्च होते हैं, लेकिन आंतरिक व्यवस्था लड़खड़ा रही है। अभिभावक और शिक्षक उम्मीद कर रहे हैं कि उच्च स्तर से हस्तक्षेप हो और ऐसे अनियमितताओं पर पूर्ण विराम लगे।

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