पद्मश्री बाबा योगेंद्र को श्रद्धाजंलि

पद्मश्री बाबा योगेंद्र को श्रद्धाजंलि
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पद्मश्री बाबा योगेंद्र को श्रद्धाजंलि,- संस्कार भारती के संस्थापक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठतम प्रचारक थे पद्मश्री बाबा योगेंद्र जी। उनके यूं चले जाने पर सभी सन्न हैं। आंखे नम हैं।  मेरठ। संस्कार भारती के संस्थापक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठतम प्रचारक पद्मश्री बाबा योगेंद्र जी के निधन पर संस्कार भारती द्वारा श्रद्धाजंलि सभा का आयोजन किया गया। विभिन्न संस्थाओं से जुड़े लोगों ने बाबा योगेंद्र जी को भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय मैनेजमेंट कॉलेज माल रोड पर आयोजित श्रद्धाजंलि सभा में संस्कार भारती के साथ काव्य, साहित्य, संगीत से जुड़ी संस्थाओं राष्ट्रीय कवि संगम, साहित्यलोक, साहित्य परिषद, विद्या भारती, पर्यावरण संरक्षण, स्वांगशाला अभिनय नाटक एकेडमी, नवचेतना स्वर समूह, अभिव्यक्ति हिंदी सेवा समिति, सेवा भारती, सांस्कृतिक प्रकोष्ठ भाजपा, भारत विकास परिषद ने ऋषि तुल्य बाबा योगेंद्र जी को श्रद्धाजंलि दी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचार प्रमुख श्री सुरेंद्र सिंह जी ने बाबा योगेंद्र जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि उन्होंने भारतीय लोककला को संवर्धित व संरक्षित करने के लिए अपना संपूर्ण जीवन समिति समर्पित कर दिया। ऐसे ऋषि तुल्य कला साधक का जाना कलाकारों के लिए अपूरणीय क्षति है।
संस्कार भारती के विभाग संयोजक शीलवर्धन  ने कहा कि बाबा योगेंद्र जी बताए गए आदर्शों पर चलना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धाजंलि होगी। श्रद्धाजंलि सभा में भारत भूषण शर्मा, अनिल शर्मा, कवि ईश्वर चंद गंभीर, सुमनेश सुमन, जनार्दन शर्मा, सुधाकर आशावादी, शोभा शर्मा, अनुराग कुमार, डा0 दिशा दिनेश, मनमोहन भल्ला, डॉक्टर मयंक अग्रवाल ने युगपुरुष बाबा योगेंद्र  को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। लोगों ने कहा कि बाबा योगेन्द्र जी का व्यक्तित्व और उनका कृतित्व जिस प्रकार का था उसने बाबा योगेन्द्र को चलता फिरता इंस्टीट्यूशन बना दिया। एक ऐसा इंस्टीट्यूशन जो पूरे राष्ट्र की प्रेरणा का स्रोत बना। राष्ट्र सेवा की प्रेरणा बाबा योगेन्द्र जी से ही तमाम लोगों को मिली। बाबा जी ने संस्कार भारती का जो पौधा लगाया था वो पूरे राष्ट्र में आज वट वृक्ष बन चुका है, लेकिन यह सब इतना आसान नहीं था। पद्यमश्री बाबा योगेन्द्र जी ने उसको सींचा था। तब कहीं जाकर यह संभव हो सका।

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