प्रचार प्रमुख सुरेन्द्र कुमार का व्याख्यान

प्रचार प्रमुख सुरेन्द्र कुमार का व्याख्यान
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प्रचार प्रमुख सुरेन्द्र कुमार का व्याख्यान, मेरठ। जो मनुष्य स्वयं के लिए साधन जुटाकर जीवन जी रहा है, यह प्रकृति है। जो मनुष्य स्वयं के अलावा दूसरों से छीनने की सोचे यह विकृति है। यदि मनुष्य स्वयं के अलावा दूसरे के सुख की भी चिंता करे यही संस्कृति है।  मनुष्य में जब ईश्वर व्यक्त होता है तो व्यक्ति कहलाने लगता है। उक्त बातें पंडित दीनदयाल उपाध्याय जयंती की पूर्व संध्या पर आईआईएमटी विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांत प्रचार प्रमुख  सुरेन्द्र कुमार  ने कहीं। उन्होंने विद्यार्थियों को दीनदयाल उपाध्याय जी के जीवन से सीख लेकर जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। सुरेन्द्र कुमार  ने कहा कि अंत्योदय से ही राष्ट्र निर्माण की बात करने वाले पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ही थे। दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानव दर्शन विश्व को राह दिखाने वाला है। उन्होंने कहा कि दीनदयाल जी ने इस दर्शन को दिया ही नहीं जिया भी। वे अंतिम व्यक्ति तक विकास न पहुंचने को विकास नहीं मानते थे। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर नरेन्द्र कुमार मिश्र ने की। उन्होंने अध्यक्षीय उदबोधन में दीनदयाल जी के जीवन के कई किस्सों को साझा किया और मुख्य वक्ता सुरेन्द्र का स्मृति चिन्ह देकर आभार व्यक्त किया। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के जीवन को वृत्त चित्र के माध्यम से विद्यार्थियों के समक्ष रख गया।  23 सितम्बर को सिनेमा दिवस के अवसर पर आयोजित हुई फ़िल्म आधारित क्विज प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त हर्ष, द्वितीय स्थान पर रहने वाली रितिका और तृतीय रहे बॉबी राज को सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संचालन विभागाध्यक्ष विशाल शर्मा ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ. विवेक सिंह, डॉ. पृथ्वी सेंगर, सचिन गोस्वामी, कुंवर सिद्वार्थ दापे, अमित राय, मोहन मिश्र, ज्ञान प्रकाश और अभिषेक शर्मा का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

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